छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के दो स्थानीय अखबारों के बीच प्रतिस्पर्धा अब जंग में तब्दील हो चुकी है। हाल में शुरू हुए दो रंगीन अखबार 'दैनिक पहुना' और 'क्रांतिकारी संकेत' में एक दूसरे को पीछे धकेलने की होड़ लगी हुई है। इससे पत्रकारों की भी बल्ले-बल्ले है। दोनों अखबारों के मालिक एक दूसरे के कर्मचारियों को तोड़कर अपने साथ शामिल करने की कोशिश में सारी हदें पार करने पर तुले हैं। इससे बड़े बैनर के अखबार के कर्मचारी भी अब अछूते नहीं रहे हैं।
,क्रांतिकारी संकेत ने जब अपने रिलांचिंग के होर्डिंग्स लगाए तब दैनिक पहुना ने मैदान में पहले आगाज कर उससे आगे निकलने में सफलता अर्जित कर ली। इसके बाद क्रांतिकारी संकेत के कई कर्मचारी भी दैनिक पहुना जा पहुंचे, जिसके चलते क्रांतिकारी संकेत को लांच होने में काफी ज्यादा वक्त लग गया। अब यही प्रतिस्पर्धा इन दोनों के बीच जंग के रूप में तब्दील हो चुकी है। दोनों अखबार एक दूसरे पर हावी होने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। दैनिक पहुंना के एक मात्र पंज कंपोजर को तोड़ने के लिए क्रांतिकारी संकेत ने मुंहमांगी तनख्वाह देने की भी पेशकश की है। वहीं तल्ख मिजाज के दैनिक पहुना के प्रधान संपादक ने भी क्रांतिकारी की लुटिया डूबोने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं, मुकाबला रोमांचक है.. देखना है कि आगे और क्या-क्या होता है।
राजनांदगांव से विक्रम बाजपेयी की रिपोर्ट.