गाजियाबाद। दैनिक प्रभात के गाजियाबाद संस्करण द्वारा वर्षगांठ -२०१२ के उपलक्ष्य में आयोजित संगोष्ठी में ''विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह : मीडिया बना मंडी'' पर अपना विचार व्यक्त करते हुए संगोष्ठी के मुख्य वक्ता 'द संडे इंडियन' के संपादक ओंकारेश्वर पांडे ने पत्रकारों को समाचार पर अपने विचारों को स्थान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि मीडियाकर्मियों को अपने दायित्व का बोध होना चाहिए कि आखिर वह समाचारों को किस रूप में प्रकाशित करना चाहते हैं।
पांडे ने कहा कि आम और खास में अंतर पैदा करने के लिए यह आवश्यक है कि पत्रकार समाचारों के साथ अपना विचार अवश्य लिखे। मुख्य वक्ता ने कहा कि सरकार या अधिकारियों अथवा संस्थाओं द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की प्रशंसा की जानी चाहिए। केवल आलोचना करना ही पत्रकारों का मुख्य काम नहीं है। देश में करीब ८४६ चैनल तथा ७५००० समाचार पत्र है जो विश्व में सर्वाधिक है। न्यू मीडिया के बारे में बोलते हुए श्री पांडे ने कहा कि इसने लोगों को बोलने की आजादी दी। कोई भी अपना विचार रख सकता है। वर्षगांठ २०१२ के अवसर पर समाचार संपादक दिलीप झा को विशिष्ठ सेवा के लिए पुरस्कृत किया गया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व सिंचाई मंत्री नवाब सिंह नागर ने कहा कि आज पत्रकारों के लिए अनेक चुनौतियां हैं। पत्रकारिता पर विश्वसनीयता का संकट गहराता जा रहा है। चौथे स्तंभ के रूप में पत्रकारिता पर ज्यादा जिम्मेवारी बनती है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि संविधान के तीनों अन्य स्तंभों पर प्रश्न उठने लगे है। जनता प्रेस से काफी उम्मीद लगाए बैठी है। इन उम्मीदों पर खरा उतरने की बहुत बड़ी चुनौती पत्रकारों पर है।
दैनिक प्रभात के मुद्रक एवं प्रकाशक डॉ. जीएस भटनागर ने कहा कि ग्रामीण पत्रकारिता पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने वास्मे के वरिष्ठ सलाहार डॉ. पी.सी सबरवाल के सुझाव का समर्थन करते हुए कहा कि पत्रकारों को गांव के ऐसे समाचारों पर ध्यान देना चाहिए जिससे लोगों को अपनी समस्याओं का समाधान करने में सुविधा हो। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भविष्य में ग्रामीण पत्रकारिता पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। भटनागर ने गाजियाबाद के संपादक का ध्यान इस ओर आकृष्ट करते हुए कहा कि ग्रामीण स्तर पर संवाददाता नियुक्त करें। इससे गांव के लोगों को समस्याओं से निजात पाने में मदद मिलेगी।
दैनिक प्रभात के संपादक अवनीन्द्र ठाकुर ने कहा कि हमे पत्रकारिता को प्रदूषण-मुक्त करना होगा और पीत पत्रकारिता से परहेज करना होगा। लेकिन पत्रकारों की भी अनेक समस्याएं है जिस पर तत्काल नीति निर्धारित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पहले समाचार पत्र कम पूंजी में निकल जाते थे आज समाचार पत्र निकालना आसान नहीं है। इसलिए अधिकांश अखबार व्यवसायिक हो चुके हैं। इस चुनौती को भी हमें स्वीकार करना होगा तथा सकरात्मक सोच के साथ परिवर्तन के लिए प्रयास जारी रखना होगा।
वरिष्ठ समाजसेवी एवं नोएडा लोकमंच के महासचिव महेश सक्सेना ने कहा कि पत्रकारिता को समाजिक मूल्यों से जोड़ कर देखा जाना चाहिए। वह दिन लोकतंत्र के लिए शुभ दिन होगा जब समाचार पत्रों के माध्यम से थानों में जरूरतमंद एवं अहसहाय लोगों की प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। क्योंकि सीधे थानों में जाकर आम आदमी के लिए प्राथमिकी दर्ज कराना काफी मुश्किल है। सक्सेना ने कहा कि समाचार पत्र सामाजिक समस्याओं से मुंह मोड रहे है यहीं कारण है कि चाहे विधवा पेंशन योजना हो या सरकार द्वारा प्रदत्त कोई अन्य सुविधा। जानकारी के अभाव में लोग इधर-उधर भटकते हैं जबकि अगर उन सुविधाओं को मीडिया द्वारा प्रचारित किया जाए तो समाज के कमजोर वर्ग को इसका सीधा लाभ मिलेगा।
पीत पत्रकारिता की समस्या पर बोलते हुए सुभारती मीडिया लिमिटेड के सलाहकार विजय भोला ने कहा कि पीत पत्रकारिता इस जगत की सबसे बड़ी समस्या है। इसका हर हाल में हल ढूढ़ऩा होगा। उन्होंने प्रभात के सहयोगियों को पीत पत्रकारिता से दूर रहने की सलाह दी। प्रभात मेरठ संस्करण के संपादक सुनील छइयां ने कहा कि जब तक सरकारी स्तर पर मुद्रक प्रशासक एवं पत्रकारों को सहयोग नहीं मिलता तब-तक इस प्रकार की समस्याओं से निजात पाना मुश्किल है। छइयां ने कुछ बड़े समाचार पत्रों के ब्रांडिग पर चुटकी लेते हुए कहा कि समाचार पत्र बड़े-छोटे नहीं होते बल्कि महत्व होता है उनमें प्रकाशित समाचारों का।
संगोष्ठी के प्रारंभ में स्वतंत्र युवा पत्रकार विश्वेद्र नाथ ठाकुर ने समाचार पत्र के प्रकाशन में आने वाली सतही समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महंगाई के युग में चैनल या समाचार पत्र चलाने के लिए एकमुश्त धन की आवश्यकता होती है। ऐसे में अगर मीडिया मंडी में तदील हो गया तो यह देखना दिलचस्प होगा कि मंडी में आखिर क्या बिक रहा है। ठाकुर ने न्यू मीडिया के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि एक ओर जहां समाचार पत्र या चैनल के लिए अधिक धन की आवश्कता होती है वहीं न्यू मीडिया कम खर्च में एक सशक्त माध्यम बन गया है।
पूर्व प्राध्यापिका एवं समाज सेवी डॉ. शशि राव ने मीडिया में व्याप्त भ्रष्टाचार पर बोलते हुए दो टूक शदों में कहा कि आज हर स्तर पर भ्रष्टाचार का बोलबाला है। ऐसे में केवल मीडिया से ईमानदारी की अपेक्षा करना बेमानी होगा। लेकिन लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में स्थापित मीडिया को अपनी जवाबदेही तय करनी होगी। कवि एवं समाचोलक डॉ. वाई.एस तोमर 'यशी' ने कहा कि पत्रकारिता ही नहीं समाज के हर भाग में भ्रष्टाचार है। अपने व्यक्तिगत हितों को त्यागना होगा। तभी किसी सुखद परिणाम की आशा कर सकते है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि मदन चौहान सहित विशिष्ठ अतिथि जी एस भटनागर, विजय भोला, पी सी सबरवाल, एवं संपादक अवनीन्द्र ठाकुर ने दीप प्रज्वलित किया। आगतुक अतिथियों का स्वागत सपांदक अवनीद्र ठाकुर ने की जबकि धन्यवाद ज्ञापन सुभारती मीडिया लिमिटेड के सलाहाकार विजय भोला ने की। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व सिंचाई मंत्री नवाब सिंह नागर ने की। वर्षगांठ २०१२ के अवसर पर समाचार संपादक दिलीप झा को विशिष्ठ सेवा के लिए पुरस्कृत किया गया। समारोह का संचालन करते हुए दैनिक प्रभात के संपादक श्री अवनीन्द्र ठाकुर ने इस अवसर पर सभी साथियों को बधाई दी।