90 फीसदी लोगों के प्रमुख है काटजू. भोपाल में साहब फरमाते हैं कि एक गैंगरेप पर इतना बखेड़ा क्यों? न्याय की परमप्रतिमा ने नहीं बताया कि कितने सौ या हज़ार या लाख गैंगरेप हों तब बखेड़ा करें? रिटायर होते ही मूढ़ता की सिद्धि पा चुके ज्ञानमूर्ति ने यह भी फरमाया –" बेकारी, ग़रीबी, महँगाई पर बखेड़ा क्यों नहीं?"…..यानी ग़रीबी, बेकारी या महँगाई हो तो गैंगरेप होते रहने चाहिए?
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिंदुस्तान के फेसबुक वॉल से साभार.