लखनऊ : करीब एक साल तक चली जद्दोजहद के बाद आखिरकार गुरुवार को राज्य सूचना आयोग में में खाली पड़े सूचना आयुक्तों के आठ पदों पर नियुक्तियां सरकार ने नियुक्तियां कर दी है। इनमें चार पत्रकार शामिल हैं। पूर्वानुमान के अनुसार मुलायम सिंह यादव के समधी और पत्रकार अरविंद सिंह बिष्ट के अतिरिक्त पत्रकार कोटे से राजकेश्वर सिंह, स्वदेश कुमार व विजय शर्मा को सूचना आयुक्त बनाया गया है।
इनके अतिरिक्त वकील पारस नाथ गुप्ता, हैदर अब्बास रिजवी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हाफिज मो. उस्मान तथा मुख्यमंत्री के करीबी गजेंद्र यादव को सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया है। इसमें बसपा के कोटे से दो आयुक्तों की नियुक्ति की गई है। सूचना आयुक्तों के आठ रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए पिछले एक साल के दौरान दो बार विज्ञापन निकाले गए। पहली बार विज्ञापन के बाद छह सौ से ज्यादा आवेदन आए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से गाइडलाइन जारी किए जाने के कारण चयन प्रक्रिया लटक गई।
बाद में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार दोबारा विज्ञापन निकालकर आवेदन मांगे गए। सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सरकार और राजभवन के बीच लंबी खींचतान भी चली। कई लोगों ने तरह तरह से एप्रोच लगाया। सूचना आयुक्त की कुर्सी तक पहुंचने के लिए हर जोड़ तोड़ किए गए, लेकिन सफलता चुनिंदा लोगों को ही मिली। इस मामले पर मुख्यमंत्री को कई बार राज्यपाल से मिलने राजभवन भी गए।
सूत्रों का कहना है कि पिछले सप्ताह चयन समिति की ओर से भेजी सिफारिशों पर राजभवन ने आपत्तियां लगाते हुए सरकार से कुछ और जानकारियां मांगी थीं। सरकार ने समस्त आपत्तियों को दूर करके राजभवन को पत्रावली भेजी थी जिसे राज्यपाल ने हरी झंडी दे दी। इसके बाद गुरुवार देर शाम प्रशासनिक सुधार विभाग के सचिव एसपी गोयल ने आठ सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए। जल्द ही इन्हें शपथ ग्रहण कराई जाएगी जिसके बाद वे कार्यभार संभाल लेंगे।
अधिसूचना जारी होने के बाद से कई लोगों को झटका लगा है। लखनऊ के कई पत्रकार सूचना आयुक्त बनने की कोशिश में दिन रात जुटे थे। कई ने तमाम तरह से अपने पुराने नए राजनीतिक आकाओं को खुश करने की कोशिश भी कि ताकि सूचना आयुक्त का पद उन्हें मिल सके। लेकिन कई दल बदलू टाइप के पत्रकारों की हकीकत जान चुकी सपा सरकार ने चुनिंदा लोगों को सूचना आयुक्त नियुक्त करके रंगा सियारों की मंशा पर पानी फेर दिया।