जालौन में सपा नेता पर हुए जानलेवा हमले के मामले में अमर उजाला के पत्रकार को फर्जी फंसाए जाने का विरोध तेज हो गया है. पिछले कई दिनों से उरई में जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष क्रमिक धरना कर रहे पत्रकार अब भी जमे हुए हैं. रविवार को सर्वदलीय सभा आयोजित की गई है, जिसमें सभी दलों के लोग भाग ले रहे हैं. सत्ताधारी पार्टी सपा के लोग भी इस सभा में सम्मिलित हैं. प्रशासन के रवैये से पत्रकारों में खासा रोष है.
पत्रकार लगातार मांग कर रहे हैं कि मामले की निष्पक्ष जाचं कराई जाए पर प्रशासन सत्ता पक्ष के दबाव में कोई सही कार्रवाई नहीं कर रहा है. गौरतलब है कि 6 नवम्बर को देर रात जालौन के एट थाना क्षेत्र में सपा के पूर्व कोषाध्यक्ष राकेश पटेल जब अपने गाँव सोमई से बाइक से एटा जा रहे थे तभी कुछ अज्ञात हमलावरों ने उन पर फायरिंग कर दी जिसमें वो घायल हो गये थे. घटना के नौ दिन बाद सपा नेता के भाई ने 16 नवम्बर 2012 को गाँव के ही दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला के पत्रकार शशिकांत तिवारी के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराया था, जिस पर पुलिस ने करवाई कर पत्रकार को जेल भेज दिया.
इस मामले में पत्रकार एसपी आरपी चतुर्वेदी और जिलाधिकारी मनीषा त्रिघटिया से भी जांच कराने की बात की थी, परन्तु उन लोगों ने ध्यान नहीं दिया. इसके बाद पत्रकार अमर उजाला के ब्यूरोचीफ अनिल शर्मा के नेतृत्व में 22 नवम्बर से उरई में क्रमिक धरने पर बैठ गए हैं. इसी क्रम में आज सर्वदलीय सभा हो रही है, जिसमें सभी दलों के लोग शामिल हो रहे हैं. अनिल शर्मा ने बताया कि अगर प्रशासन निष्पक्ष और उचित कार्रवाई नहीं करेगा तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा. किसी भी पत्रकार का उत्पीड़न निंदनीय है. सपा सरकार में सबसे ज्यादा उत्पीड़न से पत्रकार ही जूझ रहे हैं.
धरने के दौरान प्रिंट मीडिया के वरिष्ठ पत्रकार केपी सिंह, नाथूराम निगम, ब्रजेश मिश्रा, संजीव श्रीवास्तव, ओमप्रकाश राठौर, मनोज राजा, आबिद नकवी, सुनील शर्मा, संजय मिश्रा, रमाशंकर शर्मा, जमील टाटा, अरमान, विकास जादौन, श्रीकांत शर्मा, अलीम सिद्दीकी, संजय गुप्ता, मनीष राज, अजय श्रीवास्तव, प्रदीप त्रिपाठी, शशिकांत शर्मा, जितेंद्र द्विवेदी, राहुल गुप्ता, संजय सोनी सहित तमाम पत्रकार, नेता एवं समाजसेवी मौजूद रहे.