नई दिल्ली। एमयूआरसी ने मंगलवार को इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी को लिखे एक पत्र में विस्तार से बताया है कि क्यों वर्तमान सर्वेक्षण पद्धति सर्वश्रेष्ठ है।
नया सर्वेक्षण
आबादी : सर्वेक्षण में आबादी के अनुमान का आधार 2011 की जनगणना रही। 2001-11 के बीच कई शहरों की सीमाओं और आबादी में काफी परिवर्तन आया है।
डाटा कलेक्शन मैथडोलॉजी : सभी साक्षात्कारों में डुएल स्क्रीन कंप्यूटर असिस्टेड पर्सनल इंटरव्यू का प्रयोग। इसमें एक साथ दो कंप्यूटर स्क्रीन की सहायता से पाठक का इंटरव्यू लिया जाता है -एक स्क्रीन पर डाटा फीड होता है तो दूसरी स्क्रीन पर यह सब पाठक देख सकता है। इंटरव्यू के तुरंत बाद इसे "लॉक" कर दिया जाता है, इसके बाद इसमें फेरबदल संभव नहीं होता।
साक्षात्कार अवधि : हर इंटरव्यू की अवधि 30 मिनट रही। इसमें भी 50 हजार से भी ज्यादा की ऑडियो रिकॉर्डिग सुरक्षित। कौन से 50 हजार इंटरव्यू रखे जाएंगे यह पूर्व तय नहीं था।
मीडिया उपभोग के नए पैमाने : मीडिया उपभोग के लिए एक विशेष समय सीमा का प्रयोग – उदाहरण के लिए समाचार पत्र के लिए एक माह की सीमा अवधि रखी गई।
सैंपल साइज : वर्तमान पाठक सर्वेक्षण में सैंपल साइज काफी बड़ी – लगभग 235000 घर (हाउसहोल्ड) थे। इसमें शहरी भारत से 160000 घर तथा ग्रामीण भारत से लगभग 75000 घर रहे, जो किसी एक क्षेत्र में केंद्रित नहीं वरन सारे देश में फैले हुए थे।
पुराना सर्वेक्षण
सर्वेक्षण में आबादी के अनुमान का आधार 2001 की आबादी रही। यह सर्वेक्षण मुख्यत: पेपर एडिड पर्सनल इंटरव्यू पर ही आधारित रहे। केवल कुछ ही डाटा कलेक्शन में डीएस-सीएपीआई का प्रयोग किया गया था। डाटा रिकॉर्ड करने के बाद डाटा फीडिंग में फेरबदल संभव। इंटरव्यू की अवधि 90 मिनट रही। इतनी लंबी अवधि इंटरव्यू लेने और देनेवाले, दोनों के लिए काफी थकाऊ होती थी। ऑडियो रिकॉर्डिग भी कम। मीडिया उपभोग के लिए ऎसी किसी समय अवधि की प्रयोग नहीं किया गया था। इसके पूर्व के सर्वेक्षणों में सैंपल साइज अपेक्षाकृत कम थी। (पत्रिका)