यह खबर सुनने को मिली तो एक सुखद आश्चर्य हुआ. प्राइम टाइम में स्नो पाउडर लगाकर स्टूडियो में बहस करते, झगड़े सुलझाते रवीश कुमार एक बार फिर सड़कों-गलियों, खेतों-खलिहानों, बाजार-हाट, कस्बों-झोपड़पट्टी की धूल भरी सड़कों पर अपने चिरपरिचित अंदाज में नजर आएंगे. लोगों से खुद को इंटरेक्ट करते दिखेंगे. अपनी अलहदा शैली में लोगों से बतियाते, उनकी परेशानियों-तकलीफों को अपने देशी अंदाज में अपने शब्दों की चाशनी में लपेटते-भिगोते-डूबोते नजर आएंगे. एक बार फिर स्टूडियो से बाहर सुनने को मिलेगा, नमस्कार मैं रवीश कुमार..! क्योंकि अब एनडीटीवी पर एक बार फिर शुरू होने जा रहा है 'रवीश की रिपोर्ट'.
एक बड़ा वर्ग जो न्यूज चैनलों पर अपनी खबरें भूसे के ढेर में पड़ी सुई की तरह खोज रहा है, उसके लिए यह बड़ी खबर हो सकती है. यह बड़ा वर्ग, जिसकी मार्केटिंग और ग्लोबल दुनिया में सुनने वाला कोई नहीं है, रवीश की रिपोर्ट को अपनी आवाज समझता था. यह रिपोर्ट उसकी अपनी बन गई थी, आम लोगों के बीच धूल फांकते, उनकी झोपड़ी में बैठते रवीश आम भारतीय की आवाज लगते थे, पर एनडीटीवी ने इस कार्यक्रम को खतम करके रवीश को स्टूडियो का एयरकंडिशनजीवी शोपीस बना डाला था.
अब जब एक बार फिर रवीश की रिपोर्ट शुरू होने की चर्चा है तो मेरे जैसे तमाम लोग खुश होंगे, जो इस रिपोर्ट का इंतजार करते थे तथा बंद हो जाने के बाद दुखी हो गए थे. बुलेट न्यूज और भागती-दौड़ती-हांफती-कांपती-दुहाराती सूचनाओं के बीच एक बार फिर खबरों की उम्मीद जग रही है. एक बार फिर उम्मीद कर सकते हैं कि रवीश स्टूडियो में लगी जंग को झाड़कर अपने उसी तेवर के साथ 'रवीश की रिपोर्ट' प्रस्तुत करते दिखेंगे. खबरिया चैनलों की विजुअल नौटंकी के बीच लोग आधा घंटा के लिए ही सही पर राहत तो ले ही सकते हैं. अभी यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि इसका प्रसारण पुराने समय और दिन पर होगा या कोई नया टाइम तय किया जाएगा.