सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि किन परिस्थितियों में ठाणे की उन दो लड़कियों को गिरफ्तार किया गया जिन्होंने शिवसेना नेता बाल ठाकरे की मौत के बाद मुंबई बंद की फेसबुक पर आलोचना की थी. दिल्ली की एक छात्रा श्रेया सिंघल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर और और जस्टिस जे चेलामेश्वर की खंडपीठ ने ये नोटिस दिया है.
इस जनहित याचिका में आईटी कानून की धारा 66 ए को खत्म करने की मांग की गई है. इसी धारा के तहत पुलिस ने महाराष्ट्र के ठाणे जिले में पालघर की दो लड़कियों को गिरफ्तार किया था. मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर और जस्टिस जे चेलामेश्वर की खंडपीठ ने कहा, “महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया गया है कि वो बताएँ कि किन परिस्थतियों में इन लड़कियों को फेसबुक पर टिप्पणी करने के लिए गिरफ्तार किया गया.”
बेंच ने राज्य सरकार से चार हफ्तों के भीतर नोटिस का जवाब देने को कहा है. अदालत ने पश्चिम बंगाल और पॉन्डिचेरी की सरकारों को भी इस मामले में पक्ष बनाया है क्योंकि वहां भी हाल में ऐसे मामले देखने को मिले हैं. दिल्ली सरकार को भी नोटिस जारी किया गया है और जवाब देने के लिए चार हफ्तों का समय दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई छह हफ्तों बाद होगी. अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती ने कहा, “कृपया सूचना प्रोद्यौगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66 ए की समीक्षा की जाए.” अदालत ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल की मदद भी मांगी है.
वाहनवती ने इन दिशानिर्देशों की तरफ ध्यान दिलाया कि आईटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने का फैसला ग्रामीण इलाकों में डीजीपी और शहरों में आईजीपी रैंक का अधिकारी ही करेगा. अटॉर्नी जनरल ने कहा, “पुलिस थाने का प्रमुख ऐसा नहीं कर सकता है.” इस बीच श्रेया की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने इस बारे में अदालत के निर्देश मांगे हैं कि देश भर में इस सिलसिले में कोई भी मामला तब तक दर्ज नहीं होना चाहिए जब तक ऐसी शिकायतों को राज्य के डीजीपी देख न लें और अपनी मंजूरी न दें. (बीबीसी)