नयी दिल्ली। मामला पूर्व भाजपा अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में गवाही से संबंधित है। पत्रकार ने आग्रह किया था कि इस पेशी में हुए उसके खर्च के उचित भुगतान का सरकार को निर्देश दिया जाए। मुख्य न्यायाधीश डी मुरुगेसन और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडला की पीठ ने तहलका के पूर्व पत्रकार मैथ्यू सैम्युअल के आग्रह को खारिज करते हुए कहा, ‘‘आपको संबंधित अधिकारियों से आग्रह करना चाहिए था । इन वर्षों में आप चुप रहे और अब आप इस चरण में अदालत का आदेश चाहते हैं।’’
तहलका न्यूजपोर्टल के साथ काम करते हुए सैम्युअल ने मई 2001 में ‘आपरेशन वेस्ट एंड’ नाम से एक स्टिंग आपरेशन कर रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार का खुलासा किया था । वीडियो फुटेज में कथित रूप से सेना के लिए लक्ष्मण एक फर्जी कंपनी से काल्पनिक रक्षा उपकरणों की खरीद की सिफारिश करने के लिए नकदी स्वीकार करते दिख रहे थे ।
र्तमान में केरल में रह रहे सैम्युअल ने अपने आग्रह में कहा था कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज 12 आपराधिक मामलों और अन्य कार्यवाहियों में अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में विभिन्न अदालतों, जांच आयोगों, विभागीय कार्यवाहियों और कोर्ट मार्शल की कार्यवाही में पेश होते हुए उन्हें 11 साल हो गए, लेकिन उन्हें दिल्ली फौजदारी अदालत (शिकायतकर्ता और गवाहों के खर्च के भुगतान) नियम के तहत मात्र थोड़ी सी राशि का ही भुगतान किया गया है ।
उन्होंने अपने आग्रह में कहा, ‘‘गवाह के रूप में नियमित उपस्थिति के चलते याचिकाकर्ता (सैम्यूल) कोई स्थाई प्रकृति की नौकरी हासिल करने की स्थिति में नहीं है।’’ सैम्युअल ने कहा कि आपराधिक मामलों, जांच आयोगों, विभागीय कार्यवाहियों और कोर्ट मार्शल की कार्यवाही में अभियोजन पक्ष के गवाहों के खर्च का भुगतान करने की मौजूदा प्रणाली ‘‘अपर्याप्त’’ है ।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें मिले भुगतान का गवाह के रूप में पेशी पर हुए उनके असल खर्च से कोई मेल नहीं है ।’’ सैम्युअल ने कहा कि नियम के मुताबिक, दिनभर की सुनवाई के लिए वह केवल 275 रुपये पाने के हकदार हैं जिसमें उनकी यात्रा और खाने का खर्च शामिल है। पत्रकार ने आग्रह किया था कि विभिन्न मंचों पर कानूनी कार्यवाहियों में पेशी के चलते हुए उनके खर्च के उचित भुगतान के लिए दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए ।
उन्होंने मुद्दे पर दिशा निर्देश तय करने के लिए सरकार को आदेश दिए जाने का अनुरोध करते हुए कहा था कि दिल्ली फौजदारी अदालत :शिकायतकर्ता और गवाहों को भुगतान: नियम को पूरी तरह अपर्याप्त घोषित किया जाए तथा न्याय के हित में इसकी समीक्षा का निर्देश दिया जाए। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को हिरासत में ले लिया है। गंभीर हालत में उन्हें सदर अस्पताल लाया गया जहां से चिकित्सकों ने पीजीआई लखनऊ के लिए रेफर कर दिया। गढ़वार के एसओ डीपी सिंह ने कहा कि मामले की तहकीकात की जा रही है। दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। (एजेंसी)