जाने माने शिक्षाविद प्रो. यशपाल ने कहा है कि बच्चों के जरिये यह बात आनी चाहिए कि उनके शिक्षक कैसे हो? उसी के अनुसार अध्यापकों को प्रशिक्षण देना होगा। जब बच्चों को यह आजादी दी जायेगी तभी उनमें रचनात्मकता का विकास होगा। पूर्व यू.जी.सी. चेयरमैन और जे.एन.यू. के पूर्व चांसलर पदमभूषण प्रो. यशपाल मंगलवार को कुशीनगर आयें और प्रो. यशपाल बुधवार को बुद्ध पीजी कालेज में विज्ञान और प्रौ़द्योगिकी मन्त्रालय के सौजन्य से आयोजित इंस्पायर इंटर्नशिप कैंप में भाग लिये। ग्लोबल साइंस फोरम के लाईफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजे गये।
प्रो. यशपाल ने कहा कि बच्चों के विकास के प्रश्न पर पूर्व राष्ट्रपति डॉ0 एपीजे अब्दुल कलॉम ने विचार मांगे थे। मैने उनसे भी कहा कि बच्चों से पूछिये वे क्या चाहते हैं। उन्होने कहा कि आज के दौर में ज्यादा सोचने वाले लोग भी हैं और चालाक लोग भी हैं, किन्तु हमारी समस्यायें कुछ परिप्रेक्ष्य में अलग नही हैं। किसी क्षेत्र के पिछडेपन को आंकने को अलग-अलग मानक हैं। तथा डॉ कलाम सदैव बच्चों के विकास पर चिन्ति रहते है। पूर्वांचल की भूमि पर सतहीं पिछड़ापन किन्ही क्षेत्रो में दिखता है तो कही न कही यहां की मेधा का अपना अलग स्थान भी है।
छात्रों को विज्ञान की जानकारी देंगे
प्रो. यशपाल एक मार्च को दिग्विजय नाथ पोस्ट ग्रेजुएट कालेज गोरखपुर में शहर के विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियो की विज्ञान संबन्धी जिज्ञासाओं का समाधान करेगे। कार्यक्रम में प्रो. यशपाल बच्चों के प्रश्नों के उत्तर देगे। यह कार्यक्रम सुबह 10 बजे से शुरू होगा। मंगलवार को प्रो. यशपाल अपने पत्नी निर्मल पाल के साथ कुशीनगर पहुचे। में कहा कि बच्चों के जरिये यह बात आनी चाहिए कि उनके शिक्षक कैसे हो। उसी के अनुसार अध्यापकों को प्रशिक्षण देना होगा। जब बच्चों को यह आजादी दी जायेगी, तभी उनमें रचनात्मकता का विकास होगा।
महराजगंज से ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी की रिपोर्ट