बड़े अखबारों ने बनाया ‘हिन्दी दिवस’ का मजाक, जनसंदेश टाइम्स ने खोली पोल

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30 सितम्बर को हिन्दी पखवाड़े का समापन हो गया। इस दौरान हिन्दी की दशा-दिशा और दुर्दशा को लेकर जमकर कार्यक्रम हुये। इस ‘आंदोलन’ में सभी अखबारों ने भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। हर बार की तरह इस बार भी हिन्दी पखवाड़ा शान्ति के साथ बीत जाता लेकिन इसके बीतते बीतते जनसंदेश टाइम्स के इलाहाबाद संस्करण ने एक बड़ा सवाल उठा दिया, जिसको लेकर शहर के साहित्यकार एक बार फिर हिन्दी की चर्चा करने लगे हैं।

दरअसल, इलाहाबाद में महापौर अभिलाषा गुप्ता ने सोमवार को ‘झांसी की रानी’ जैसी प्रसिद्ध कविता लिखने वाली सुभद्रा कुमारी चौहान के नाम पर बने मार्ग लोकार्पण किया। शिलापट का अनावरण किया गया तो उसमें ‘कवयित्री’ के स्थान पर ‘कवित्री’ था, जबकि इससे संबंधित समारोह के बैनर में भी ‘कावित्रि’ लिखा था। इसी खबर को जनसंदेश टाइम्स ने उठा लिया और अपने 30 सितंबर के अंक में पेज नं. 3 पर बॉटम में ‘हिन्दी की ‘दुर्गति’ करते शिलापट का महापौर ने किया अनावरण’ शीर्षक खबर प्रकाशित किया। जबकि हिन्दी दिवस का राग अलापने वाले अन्य सभी अखबारों ने इसी गलती के साथ ही खबर छाप दी।

खबर छपते ही अगले दिन शहरभर के कवियों यश मालवीय, श्लेष गौतम व हरिश्चंद्र पाण्डेय व श्रीरंग पाण्डेय ‘कवयित्री’ को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। इस तरह हिन्दी पखवाड़ा के समापन के बाद एक बार फिर ‘हिन्दी की दुर्गति’ को लेकर चर्चा छिड़ गई। इस बारे में जब जनसंदेश टाइम्स इलाहाबाद में कार्यरत डेस्क इंचार्ज रवि प्रकाश मौर्य से बात की गई तो उन्होंने इसकी पुष्टि की। श्री रवि ने कहा कि कल शाम को जब मेरे पास शिलापट के अनावरण के फोटोग्राफ्स आये तो ‘कवयित्री’ के स्थान पर ‘कवित्री’ लिखा देख चौंक पड़ा। बैनर में भी ‘कावित्रि’ लिखा था। यह तो सुभद्रा जी का भी अपमान है। मैंने तत्काल अमलेश को अपने निर्देशन में इस पर तत्काल एक स्टोरी बनाने का कहा। आखिर महापौर को भी यह सोचना चाहिये कि उनका कार्य देखने वाले कितना हिन्दी जानते हैं। अगर हम इस बारे में अभी नहीं चेते तो हिन्दी का गौरव कभी नहीं लौटेगा।

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