: जनसंदेश चैनल, मौर्य टीवी, जीएनएन न्यूज, हमार टीवी, महुआ, आर्यन टीवी के कई स्ट्रिंगरों को नहीं मिला पेमेंट : केंद्र सरकार ने अखबार तथा एजेंसियों के पत्रकार तथा गैर पत्रकार कर्मचारियों के लिए गठित मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को कुछ बदलाव के साथ मानकर दिवाली का तोहफा दिया है. पर स्ट्रिंगर के रूप में काम करने वाले पत्रकारों की कौन सुनेगा. जनसंदेश चैनल, मौर्य टीवी, महुआ न्यूज, जीएनएन न्यूज, हमार टीवी, आर्यन जैसे चैनलों को अपनी सेवा देने वाले अनेकों स्ट्रिंगरों को दिवाली पर बोनस मिलना तो दूर उनको मिलने वाला पेमेंट अब तक नहीं दिया गया है. नवदुनिया के पत्रकार भी प्रबंधन के रवैये दुखी हैं.
इन चैनलों के कई स्ट्रिंगरों ने ई-मेल भेजकर भड़ास4मीडिया को अपना दर्द भेजा है. हालांकि इन लोगों को बिना सेलरी वाली नौकरी जाने का भी डर है और इनके अनुरोध पर हम इन लोगों का नाम नहीं दे रहे हैं, पर इनके पत्र को प्रकाशित कर इनकी आवाज इन तथाकथित चैनलों के प्रबंधन तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. जनसंदेश चैनल के स्ट्रिंगर ने अपने मेल में लिखा है कि जनसन्देश चैनल ने शायद इस बात की कसम खा रखी है कि स्ट्रिंगर से काम कराओ मगर पैसे के नाम पर सिर्फ आश्वासन देते रहो. पहले पुनीत कुमार ने करीब 17 महीने का पेमेन्ट एक साथ कराने के नाम पर काट-छांट कर कराने का आश्वासन देकर स्ट्रिंगरों को राजी कर लिया और पेमेन्ट सेटलमेण्ट के नाम पर आधा पैसा दे दिया गया. कहा गया कि शेष पैसा अगले 15 दिन में पूरा करा दिया जायेगा. फिर 1 दिन में तीन-तीन खबर मांगने लगे, पर पेमेंट आज तक नहीं दिया.
मार्च 2011 तक का पेमेन्ट सेटेलमेन्ट में जोडा गया, जिसका 50 हजार रुपये हुए उसका सेटेलमेन्ट कर दिया 10 हजार में. दिये 5000 और कहा कि 15 दिन में पूरा पैसा दे दिया जाएगा पर आज तक नहीं मिला. मार्च 2011 से अब तक के पेमेन्ट का तो कोई पता ही नहीं. असाइनमेंट से चैनल चलता रहे इस लिये प्रमोशन का लॉलीपाप देकर चैनल चलाया जा रहा है. यूपी के चुनाव को मिशन मानने वाले चैनल के लोग कब समझेंगे कि पैसा नही देंगे तो चुनाव में उनके नेताओं की गली मोहल्लों की सभा एसाइनमेंट तक कौन पहुंचायेगा, क्योंकि खबर इनको स्टार न्यूज, आजतक से भी पहले चहिये होती है.
मौर्य न्यूज यूपी को सेवाएं देने वाले स्ट्रिंगर लिखते हैं कि यशवंतजी, आपको यह पत्र भेज रहा हूँ ताकि यूपी के स्ट्रिंगरों का दर्द आप मौर्य टीवी प्रबंधन तक पहुंचा कर दीपावली पर हमारे दुःख को साझा कर सकें. हमारा नाम आप सार्वजानिक नहीं करेंगे इस विश्वास के साथ आपको बता रहा हूँ कि यूपी में अपना कदम बढ़ाने के लिए मौर्य टीवी ने पूरे प्रदेश में स्ट्रिंगर रखे. चैनल को पहचान और मुकाम दिलाने के लिए स्ट्रिंगरों ने न सिर्फ कड़ी मेहनत की बल्कि खबरें भी खूब भेजीं, लेकिन मौर्य टीवी ने खबरें चलायी तो जरूर लेकिन स्ट्रिंगरों को पारिश्रमिक देने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया. यूपी भर के स्ट्रिंगरों द्वारा एक साथ खबरें भेजना बंद करने पर प्रबंधन ने दीपावली से पहले तक पारिश्रमिक देने का आश्वासन दिया. अब दीपावली भी आ गयी लेकिन पैसा नहीं आया. मौर्य में काम करने वाले स्ट्रिंगर अब परेशान हैं कि बिना पैसे कैसे मनाये दिवाली. चैनल के मुखिया प्रकाश झा क्या नहीं जानते कि स्ट्रिंगरों की काली होती दीवाली पैसे की जरूरत पड़ती है. मौर्य टीवी से जुड़े स्ट्रिंगरों को पैसा कब मिलेगा? अभी कुछ नहीं पता है.
जीएनएन न्यूज के छत्तीसगढ़ के स्ट्रिंगर का कहना है कि जीएनएन न्यूज के लांचिंग से पहले से हमलोग इस चैनल से जुड़े हुए हैं. शुरू में सब ठीक रहा तो हम लोगों ने मन लगाकर काम किया, पर जब इस चैनल की लांचिंग हुई है तब से हमलोगों का पैसा चैनल प्रबंधन ने नहीं दिया है. पैसे के बारे में बात करने पर बस आश्वासन मिलता है कि इतने तारीख को दिया जाएगा, उतने तारीख को दिया जाएगा. हम इस मजबूरी में छोड़ नहीं रहे कि जितना दिन मेहनत किया कम से कम उतने दिन का पैसा तो मिल जाए. छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे प्रदेशों के कई स्ट्रिंगरों को भी इन्होंने पैसा नहीं दिया है. वैसे इसके पहले भी एक स्ट्रिंगर का मेल आने पर भड़ास4मीडिया ने कंसल्टिंग एडिटर अमिताभ भट्टाचार्य से संपर्क किया था तो उन्होंने कहा था कि सभी को दिवाली का गिफ्ट तथा पैसे भेजे जा रहे हैं, पर एक बार फिर मेल आने के बाद ऐसा लग रहा है कि प्रबंधन ने अभी तक सभी स्ट्रिंगरों का पैसा नहीं दिया है.
इसी तरह से एक दो लाइन के मेल भेजकर हमार टीवी, आर्यन टीवी और महुआ के स्ट्रिंगरों ने कहा है कि उन्हें पेमेंट दिए जाने के आश्वासन तो दिए जा रहा है पर पेमेंट नहीं दिया जा रहा है. इन लोगों ने बताया कि इन्हें न्यूनतम दो महीने से लेकर अधिकतम आठ महीने तक का पेमेंट नहीं दिया गया है. दिवाली पर उम्मीद थी कि सभी चैनल पेमेंट कर रहे हैं तो हमारे चैनल भी हमारा बकाया दे देगा पर निराशा ही हाथ लगी है. नवदुनिया अखबार के पत्रकार ने पत्र भेजकर कहा है कि प्रबंधन कर्मचारियों का बोनस खा गया. ईएसआई कटौती की लिमिट पन्द्रह हजार सेलरी वालों की है और बोनस केवल दस हजार तक की सेलरी वाले कर्मचारियों को दिया गया.
यह तथ्य कई चैनलों के स्ट्रिंगरों द्वारा भेजे गए मेल पर आधारित है. लिहाजा इसमें कुछ कमी-बेसी हो सकती है. इस संदर्भ में जिसको कुछ कहना है वो मेल भेजकर या नीचे कमेंट बाक्स में अपनी बात लिख सकता है.