बसपा प्रत्‍याशी ने चंदौली के पत्रकारों को बांटी नगदी!

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हिंदुस्‍तान के प्रधान संपादक शशि शेखर 26 फरवरी की सुबह लोगों को 'वोट की चोट का अर्थ' समझा रहे थे. अपने 'आओ राजनीति करो अभियान' की सफलता का गुणगान कर रहे थे. इसी दिन एक जगह उनके अखबार के एक ब्‍यूरोचीफ के बिकने की तैयारी चल रही थी. पेड न्‍यूज पर मातम करके पेड न्‍यूज छापना हिंदुस्‍तान की पुरानी नीति रही है. पिछली बार भी विधानसभा चुनाव के दौरान हिंदुस्‍तान, बनारस में माफिया डॉन ब्रजेश सिंह का पेड न्‍यूज छापने पर कई लोगों की बत्‍ती गुल हुई थी. इसके बाद भी हिंदुस्‍तानियों ने स‍बक नहीं लिया. हालांकि इस बार हिंदुस्‍तान समेत कई अखबारों के ब्‍यूरो चीफ और पत्रकार पैसा पाकर संबंधित प्रत्‍याशी के पक्ष में माहौल बनाने को तैयार हुए हैं.

मामला चंदौली जिले का है. चंदौली लोकसभा सीट से बसपा ने धनबली अनिल मौर्या को प्रभारी घोषित किया है. यानी एक तरह से प्रत्‍याशी बनाया है. अनिल मौर्या लंबे समय से चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं. अखबारों को बड़े-बड़े विज्ञापन पहले से ही देते रहे हैं. इस बार उन्‍होंने पत्रकारों को ही ओबलाइज करने की तैयारी की. इसके लिए दिन चुना गया 26 फरवरी, जिस दिन सुबह हिंदुस्‍तान के प्रधान संपादक शशि शेखर वोट की चोट का अर्थ समझा रहे थे. जगह चुना गया मुगलसराय और चंदौली के बीच स्थित चौपाल सागर. समय तय किया गया दिन के एक बजे. खिलाने-पिलाने से लेकर गिफ्ट और नगदी देने की तैयारी की गई.  

बसपा प्रभारी अपने नियत समय से चौपाल सागर पहुंचे. इसके बाद दैनिक जागरण के प्रभारी विजय सिंह जूनियर भी विज्ञापन प्रभारी नन्‍हें मुगल और फोटोग्राफर के साथ चौपाल सागर पहुंचे. आज अखबार के ब्‍यूरोचीफ शिव पूजन व पत्रकार गनपत राय, राष्‍ट्रीय सहारा के ब्‍यूरोचीफ आनंद सिंह भी पहुंच गए. सवा बजे तक हिंदुस्‍तान और अमर उजाला के ब्‍यूरोचीफ नहीं पहुंचे तो इंतजार करने वालों की धड़कन बढ़ गई. इंतजार के दर्द को कम करने के लिए पनीर पकौड़े का दौर शुरू हुआ. पत्रकार बंधु जमकर पनीर पकौड़ा तोड़ने लगे. इसी बीच लगभग पौने दो बजे के आसपास हिंदुस्‍तान के ब्‍यूरोचीफ प्रदीप शर्मा भी मौके पर पहुंच गए.

इसके बाद मौर्या जी के पक्ष में लंबी-लंबी फेकने का दौर चलने लगा. पत्रकार चौपाल सागर में ही अनिल मौर्या को जिताने लगे. उन्‍हें जातीय समीकरण समझाने लगे. अखबार में उनके लिए गुडी गुडी लिखने के कसमे वादे भी खाने लगे. दो बजे के आसपास अमर उजाला के ब्‍यूरोचीफ अजातशत्रु चौबे भी अपने दो साथियों अमित द्विवेदी और शमशाद के साथ पहुंचे. इसके बाद शुरू हुआ खाने का दौर. पत्रकार बंधु जमकर खाना पीना खाए. जब चलने लगे तो ब्‍यूरोचीफ लोगों को एक-एक लिफाफा थमाया गया, जबकि उनके साथ गए चिंटू-पिंटू को गिफ्ट पैकेट दिए गए. इसमें महंगे टी सेट और अन्‍य सामान थे. सूत्रों ने बताया कि ब्‍यूरोचीफों को जो लिफाफे दिए गए उसमें नगद ग्‍यारह-ग्‍यारह हजार रुपए थे.

लिहाफा थामने के बाद खुशी मन से सभी ने अपनी अपनी जेबों में रख लिया. किसी ने भी उसे वापस करने की हिमाकत नहीं की, किसी ने भी मुंह पर मारने की हिम्‍मत नहीं की. सभी लोग खुश होकर मौर्या की वाहवाही करते हुए अपने कामों पर लौट आए. हालांकि गलती यह हो गई कि यह काम चोरी छिपे करने की बजाय सरेआम होने से भेद खुल गया. चूंकि इस मामले की कोई खबर अखबार में भी नहीं प्रकाशित हुई, लिहाजा यह भी कहने को नहीं बचा कि प्रत्‍याशी ने प्रेस कांफ्रेंस या ऐसा कुछ कार्यक्रम किया था. अब माल और गिफ्ट लेने वाले भेद खुलने के बाद मुंह छिपाते फिर रहे हैं. ऐसी घटनाएं पहले भी होती थी, लुके और छिपे लेकिन अब तो यह दस्‍तूर बन गया है. (कानाफूसी)

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