लखनऊ : बेनी बाबू के मोबाइल, कैश और बैग ने लखनऊ की पत्रकारिता को गरम कर रखा है. होटल ताज में आयोजित कार्यक्रम में बैग पाने के लिए दर्जनों पत्रकार लाइन में लगे रहे. शर्म हया को ताक पर रखकर. इतना करने के बाद भी बेनी बाबू ने इन लोगों को छोटा सा बैग थमाकर अरमानों पर पानी फेर दिया. कई दिनों तक यह मामला सचिवालय के प्रेस रूम और तमाम जगहों पर गरमा गरम बहस का मुद्दा बना रहा.
लखनऊ के वे पत्रकार तो दुखी हुए ही जिन्हें बड़ा या छोटा कोई बैग नहीं मिला, लेकिन सबसे ज्यादा दुखी वे पत्रकार नजर आए जो वहां पहुंचने के बाद भी नगदी वाला बैग नहीं लहा पाए. कई शातिर पत्रकार बंधु तो नगदी भी लिए, मोबाइल भी लिए, दो-दो लोगों के वास्ते लिए और बेनी बाबू को अपने अपने अखबारों में बेइज्जत भी किया. पर अब इस मामले से अलग एक और भी खबर सामने आ रही है.
एक पत्रकार बंधु, जिन पर माया सरकार में सौंदर्यीकरण में दलाली खाने का आरोप है, बताते फिर रहे हैं कि खुद को जर्नलिस्टों का नेता कहने वाले एक बड़े पत्रकार बेनी बाबू से 25 बैंग लिए हैं. इन बैंगों में कैश, मोबाइल भी शामिल है. दलाली खाने के आरोपी पत्रकार बताते फिर रहे हैं कि कई किताबें लिखने वाले ये पत्रकार महोदय खुद को पत्रकारों का बड़ा नेता बताकर बेनी बाबू को अर्दब में लिया है. उन्हें आश्वस्त भी किया है कि वे सभी 25 डग्गा बड़े पत्रकारों तक पहुंचा देंगे.
अब पत्रकार महोदय की बातों में कितनी सच्चाई है यह तो वे ही जाने, लेकिन लखनऊ की मीडिया हलकों में दोनों पत्रकारों की दलाली की किस्सागोई नमक मिर्च लगाकर सुनाई-बताई जा रही है. हालांकि ये दोनों ही पत्रकार मोटी चमड़ी के माने जाते हैं, लिहाजा इनके ऊपर किसी बात का असर होगा कहना मुश्किल है. हां, लखनऊ के पत्रकारों ने हार नहीं मानी है. उन्हें उम्मीद है कि बेनी बाबू ने नहीं दिया तो क्या हुआ, अभी तो लोकसभा चुनाव बचा ही है. (कानाफूसी)