भाजपा का मीडिया मैनेजमेंट कितना कारगर है, यह कानपुर में नरेंद्र मोदी की रैली में देखने को मिला. इस रैली में मीडिया को उचित व्यवस्था देने के लिए राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी श्रीकांत शर्मा और प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष शुक्ला ने कई राउंड की मीटिंग की थी, लेकिन जब सुविधाएं देने की बारी आई तो यह सारी मीटिंग फेल हो गई. मीडियाकर्मियों को धूप में बैठकर रैली की रिपोर्टिंग करनी पड़ी. इस अव्यवस्था से मीडियाकर्मियों में खासी नाराजगी देखने को मिली.
अव्यवस्थाओं का आलम यह रहा कि मीडिया के लिए बने सेंटर में तमाम ऐसे लोग आ गए, जिनका मीडिया से कोई सरोकार नहीं था. ये लोग मीडियाकर्मियों के सामने आकर खड़े हो गए, जिससे उन्हें कवरेज करने में परेशानी हुई. कई बार कहने के बावजूद ये लोग नहीं हटे. मीडिया प्रभारी भी ऐसे लोगों को नियंत्रित करने में असफल रहे. बैरकेटिंग फांदकर कई कार्यकर्ता भी मीडिया सेंटर में आकर खड़े हो गए. कई बार मीडिया सेंटर में ही अराजक स्थिति दिखी जब पानी-कोल्डड्रिंक के लिए कई लोगों में मारपीट की नौबत आ गई.
खबर भेजने के लिए तैयार किए गए कम्प्यूटर सेंटर में भी अराजक माहौल बना हुआ था. नेट काम नहीं कर रहा था तो आईटी सेल के लोगों ने कई कम्प्यूटरों को बंद कर दिया था, जिसके चलते पत्रकारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. बीएसएनएल का वाई फाई भी बेकार साबित हुआ, जिससे कई अखबार और एजेंसी के प्रतिनिधि खबर भेजने को लेकर परेशान रहे. लखनऊ से गए जिन पत्रकारों का कार्यालय कानपुर में था, वे तो खबर बनाने के लिए वहां पहुंच गए, लेकिन मझोले दर्जे के अखबार के प्रतिनिधियों को मुकिश्ल का सामना करना पड़ा। मोदी की रैली भले ही सफल रही हो लेकिन प्रदेश मीडिया प्रभारी का प्रबंधन पूरी तरफ फेल रहा. भाजपा के मीडिया सह प्रभारी मनीष दीक्षित अकेले प्रयास करके व्यवस्था को ठीक करने की कोशिश करते रहे, लेकिन प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष शुक्ला की हवा हवाई व्यवस्था सब पर भारी पड़ गई.