: नाराज पत्रकार भाजपा के खिलाफ अभियान चलाने में जुटे : लखनऊ : नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह यूपी में रैली कर के भाजपा के पक्ष में हवा बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं तो यूपी का मीडिया और प्रवक्ता सेल एक दूसरे को निपटाने के अलावा कुछ अखबारों में बड़े नेताओं के खिलाफ स्टोरी प्लांट कराने में मगन है. नरेंद्र मोदी की रैलियों में घटिया मैनेजमेंट का ही असर है कि इन रैलियों के प्रदेश के अखबारों में उतना जगह नहीं मिल रहा है, जितनी सपा की रैलियों को मिल रही है. भाजपा के भीतर पत्रकारों को लेकर चल रही घटिया राजनीति से कई पत्रकार भी नाराज हैं.
इन रैलियों से पहले भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी श्रीकांत शर्मा ने प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष शुक्ला एवं अन्य सह प्रभारियों से कई राउंड मीटिंग की. इन लोगों को बेहतर मीडिया मैनेजमेंट की ताकीद की, लेकिन इसके बाद भी भाजपा का प्रदेश मीडिया सेल अपनी आपसी घटिया राजनीति से बाहर नहीं निकल पाया है. सारी मीटिंग रैलियों के प्रबंधन के दौरान फेल साबित हो रही है. बहराइच रैली में श्रीटाइम्स के वरिष्ठ पत्रकार अनीता अग्रवाल की घटिया मैनेजमेंट से नाराज होकर रैली कवर करने ही नहीं गए. अनीता अग्रवाल ऐसे पत्रकारों गुटों का नेतृत्व करती हैं, जो कहां खबरें छापते हैं किसी को पता नहीं चलता. हां, ये पत्रकार रैलियों में तफरी के लिए जाते जरूर हैं.
मीडिया प्रभारी मनीष शुक्ला और प्रवक्ता विजय बहादुर की जुगल जोड़ी तीन चार बड़े अखबारों के पत्रकारों को ओबलाइज करके मानती है कि उसने बड़ा तीर मान लिया है. इन लोगों के अलावा अन्य पत्रकारों को यह घसियारा मानकर चलते हैं. जय-वीरू की यह जुगल जोड़ी आजकल कलराज मिश्र से नाराज चल रही है. कलराज मिश्र के कानपुर से चुनाव लड़ने की चर्चा है, लिहाजा उनकी लखनऊ पूर्व की सीट खाली होने की संभावना है. इस सीट पर विजय बहादुर पाठक की नजर है, लेकिन कलराज अपना खड़ाऊं अपने पुत्र को सौंपना चाहते हैं. बताया जा रहा है कि इसी से नाराज पाठक और शुक्ला की जोड़ी कई अखबारों में शहजादों के नाम पर कलराज मिश्रा के खिलाफ स्टोरियां प्लांट करवा रही है.
इतना ही नहीं ये लोग राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह के खिलाफ भी अपने चहेते पत्रकारों की मदद से अभियान चलवा रहे हैं. एक तरफ नरेंद्र मोदी राहुल गांधी और अखिलेश यादव को शाहबजादे कह कर संबोधित कर रहे हैं तो ये लोग पंकज सिंह, गोपाल जी टंडन, रमापति राम त्रिपाठी को टार्गेट करते हुए उनके पुत्र पर निशाना सधवा रहे हैं. यही नहीं अनीता अग्रवाल और मनीष शुक्ला की जोड़ी एक दूसरे को निपटाने के लिए पत्रकारों का दो गुट खड़ा कर लिया है, जिन्हें पार्टी के भीतर की खबरें देकर भाजपा की किरकिरी करवाया जा रहा है. ये दोनों पत्रकारों को नहीं बल्कि अपने अपने गुटों को लेकर नरेंद्र मोदी की रैलियों में पहुंच रहे हैं. आगरा रैली से पहले भी यही किया गया, इसका परिणाम यह रहा कि कई पत्रकार इनकार कर दिए तो कई वरिष्ठ पत्रकारों को पूछा तक नहीं गया.
पार्टी अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी और अमित शाह के खिलाफ भी तमाम कहानियां पत्रकारों को यह तिकड़ी उपलब्ध करा रही है. तमाम वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र सिंह राणा के अच्छे कार्यकाल को याद कर रहे हैं. अगर वरिष्ठ नेता अब भी नहीं चेते तो भाजपा के गुब्बारे की हवा निकलते देर नहीं लगेगी. भाजपा ऐसे ही चम्मचों की बदौलत यूपी में रसातल में जा चुकी है. मनीष शुक्ला और विजय बहादुर पाठक जैसे लटकन कार्यकर्ताओं की वजह से पार्टी यूपी में हाशिए पर पहुंच चुकी है. पार्टी के टिकट पर ये लोग चुनाव हारने के बाद जुगाड़ करके संगठन में घुसने में भी सफल रहे. कभी कलराज मिश्र का इस्तेमाल करके अपनी हैसियत बनाई अब उनको ही निपटाने में जुटे हुए हैं. (कानाफूसी)