नई दिल्ली : प्रेस काउंसिल के चेयरमैन जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा है कि अक्सर ये बोला जाता है कि वो सरकारी कर्मचारी हैं इसलिए किसी के खिलाफ नहीं बोल सकते. काटजू ने कहा कि प्रेस काउंसिल के चेयरमैन पद पर रहते हुए भी उन्हें बोलने का अधिकार है. अंग्रेजी अखबार 'द हिन्दू' अखबार में लिखे लेख में काटजू ने कहा है कि कुछ लोगों की तरफ से लोगों के बीच ये भ्रम फैलाया जा रहा है इसीलिए उन्होंने ये जवाब दिया है.
काटजू के मुताबिक, 'प्रेस काउंसिल के चेयरमैन की नियुक्ति सरकार नहीं करती बल्कि इस पद के लिए चयन राज्य सभा के सभापति, लोकसभा स्पीकर और प्रेस काउंसिल के प्रतिनिधि करते हैं. इस कमेटी ने प्रेस काउंसिल अध्यक्ष के लिए मेरा चयन किया है, इसलिए मैं सरकारी कर्मचारी नहीं हूं. हर सरकारी कर्मचारी का कोई बॉस होता है, मेरा कोई बॉस नहीं है. स्वतंत्र कमेटी ने मुझे स्वतंत्र अधिकार दिए हैं.'
उन्होंने कहा, 'ये तर्क दिया जा सकता है कि मैं सरकार से सैलरी लेता हूं, लेकिन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज को भी तो सरकार से ही तनख्वाह मिलती है तो क्या वे सभी सरकारी कर्मचारी हो गए और सरकार के खिलाफ कोई फैसला नहीं सुना सकते? कुछ लोग कह रहे हैं कि मैंने सिर्फ गैर कांग्रेसी सरकारों की आलोचना की है तो मैं उनको ये बताना चाहता हूं कि मैंने महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली की सरकार की भी आलोचना की है.' (एबीपी)