उत्तर प्रदेश में एक ऐसे भी समुदाय के लोग रहते हैं जो सांसद के लिये वोट देते हैं पर प्रधान के लिये मत देने का अधिकार नहीं है। यह हैं महराजगंज के सोहगी बरवॉ वन्य जीव प्रभाग के अंदर बसे बन टांगियां परिवार के लोग। महराजगंज जनपद में 42 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले जंगल में लगभग 5 हजार बन टांगियां परिवार रहते हैं। यह लोग 1937 से जंगल में टांगियां पद्धति से जंगल लगाते आये हैं।
टांगियां पद्धति अर्थात एक जगह पेड़ लगाने पर वह पौधा बडे़ हो जाने पर दूसरे जगह जाकर पुनः पौधा लगाना। इसके लिये वन विभाग इनको मजदूरी देता था तथा यह साखू के वृक्ष लगाने में माहिर होते हैं। धीरे-धीरे यह प्रथा जंगल से समाप्त हो गई। यह लोग जंगल में ही घर बनाकर रहना प्रारम्भ कर दिये। गरीब होने के कारण पैसे के अभाव में दूसरे जगह घर बनाकर भी नहीं रह सकते।
इनका जीवन भी जंगली जीवो के तरह हो गया। इनके पास मूल-भूत सुविधाओं का भी अभाव है। जंगल में यह पक्की मकान नहीं बना सकते नहीं इनके वच्चों को पढ़ने के लिये विद्यालय की कोई व्यवस्था है। इन्हे प्रधान चुनने कर भी हक नहीं है। पर ये लोग सांसद के चुनाव में अपना मत देते हैं। उच्चतम न्यायालय ने इन लोगों के द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवायी करते हुये 2006-07 में अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन अधिकारों की मान्यता कानून नियमावली बनाकर इनके गॉवो को राजस्व गॉव का दर्जा देने के लिये राज्य सरकार को आदेश दिया। परन्तु अभी 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकार ने इनके गॉवो का राजस्व गॉव में घोषणा नहीं किया है।
महराजगंज से ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी की रिपोर्ट.