वेंकैया के पीसी में भिड़े इलेक्‍ट्रानिक मीडिया के पत्रकार, असली-नकली का संघर्ष

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लखनऊ : भाजपा के मीडिया कांफ्रेंस रूम मंगलवार को उत्तर प्रदेश की विधानसभा की शक्ल अख्तियार करता नजर आया। असली नकली को लेकर इलेक्ट्रानिक मीडिया कर्मी आपस में ही भिड़ गए। यह सब हुआ भाजपा के पूर्व राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष वेंकैया नायडू के प्रेस कांफ्रेंस के दौरान। दोनों पक्ष एक दूसरे को नकली साबित करने में लगे थे। ऐसे में जो वाकई फट्टेबाज टाइप के पत्रकार थे उन्होंने कांफ्रेंस मे मिलने वाले नाश्ते का डिब्बा लिया और किनारे से बाहर जाने का रास्ता पकड़ा।

इलेक्ट्रानिक मीडियाकर्मियों को आपस में लड़ता देख पार्टी मुख्‍यालय में मौजूद हर छोटा बड़ा नेता यही कह रहा था जो काम उनका है, वो काम मीडिया के लोग भी करने लग गए। मामला यह था कि नायडू की प्रेस कांफ्रेंस चल रही थी, इसी दौरान एक लोकल चैनल का कर्मी आया और अपना माइक आईडी रखने लगा। उसके आईडी रखने के दौरान पीछे खड़े इलेक्‍ट्रानिक मीडिया के पत्रकार तथा कैमरामैनों ने हल्‍ला किया। इसके बाद नायडू ने पत्रकारों से कहा कि वे शांतिपूर्वक कवरेज करें, जरूरत होगी तो वे अलग से बाइट दे देंगे।

नायडू की पीसी खत्‍म हो गई। इलेक्‍ट्रानिक मीडिया वाले कैमरामैन और पत्रकार उन्‍हें मधुमक्खियों की तरह घेर लिया। अखबार के पत्रकार पीसी के बाद डब्‍बा बंटने वाले जोन में चले गए। कुछ लोग इधर उधर खड़े होकर चर्चा में मशगूल थे तभी पीछे से तेज शोर हुआ। श्री न्‍यूज चैनल का पत्रकार अखंड शाही ने लोकल चैनल के कर्मचारी को पीटने लगा। कारण किसी के कुछ समझ में नहीं आया। यह मारपीट वेंकैया के सामने हुआ। लोग मारपीट का कारण समझने की कोशिश करते रहे लेकिन असली मामला पता नहीं चल पाया।

पहले पता चला कि मामला बदजुबानी से जुड़ा हुआ है, लेकिन दूसरे ही पल पता चला कि मामला असली-नकली से जुड़ा हुआ है। कई चैनलों के पत्रकार लोकल चैनल के कर्मचारी पर आरोप लगा रहे थे कि उसने अपने चैनल के अलावा चैनल वन का आईडी भी रखा था। काफी देर तक चैनल वन वाले इधर उधर घूमते रहे, जबकि मारपीट करने वाला अखंड शाही मौके से गायब हो चुका था। बाद में चैनल वन के पत्रकार असली नकली का आरोप लगाते पुलिस में मामला दर्ज कराने की बात कहते निकल गए।

इतने में लोकल चैनल का एक व्‍यक्ति आया और उसने हवाबाजी शुरू कर दी। उसने कहा किसने इसे मारा है। मैं अपने कर्मचारियों को बीस हजार रुपए महीना देता हूं। शिवपाल सिंह यादव का काम देखता हूं। कौन है जो शिवपाल के लिए काम करने वाले आदमी को मारा है। थोड़ी देर हवाबाजी करने के बाद वो शख्‍स निकल गया। पर इस घटना के बाद वरिष्‍ठ इलेक्‍ट्रानिक पत्रकारों ने शर्मिंदगी जताते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं से असली पत्रकार भी बदनाम हो रहे हैं।

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