नोएडा : टीवी चैनल शगुन का शगुन आज गड़बड़ा गया। गड़बड़ा क्या, सत्यानाश हो गया। खबर है कि अनुरंजन झा की जुगाड़-टेक्नालॉजी से खड़ा हुआ यह चैनल आपसी बंटवारा के बवाल के चलते बंटाधार हो गया। देर शाम को ही इस चैनल के सारे कर्मचारियों को नोटिस थमा दी गयी कि :- दुकान बंद हो चुकी है, अब कल से आफिस मत आना। कहने की जरूरत नहीं कि इससे इस चैनल के दर्जनों कर्मचारियों पर जबर्दस्त बज्रपात हुआ है। हालत इतनी टाइट है कि यह कर्मचारी भुखमरी की शिकार होते जा रहे हैं। वजह यह कि दो महीनों से ही यह चैनल अपने कर्मचारियों को वेतन तक वेतन नहीं दे पाया था।
कई चैनलों को शुरू और बंद करवाने में बाकायदा महारत हासिल कर चुके अनुरंजन झा ने इस चैनल को पैदा करने मेहनत की थी। शगुन के नाम पर यह इंटरमेंट चैनल शुरू हुआ था। इसमें एक बड़े अफसर सीडी चक्रधर का पैसा लगाया गया बताया जाता है। इस चैनल में करीब तीन दर्जन कर्मचारी शामिल किये गये थे। झा और चक्रधर ने कर्मचारियों के सामने खूब हांका था कि यह चैनल जल्दी ही चैनल की दुनिया में श्रेष्ठतम दर्जा हासिल कर लेगा। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। बताया जाता है कि इसमें लूट-खसोट के कीड़े बड़ी तादात में घुस गये थे और इस चैनल को देसी शौचालय के सोग-पिट जैसा बना डाला गया था।
कुछ भी हो, झा के इस चैनल में पिछले दो महीनों से चक्रधर ने पैसा देना बंद कर दिया था। हालत पतली ही जा रही थी। अब कल शाम झा ने सारे कर्मचारियों के सथ मीटिंग की और चैनल की बंदी का ऐलान कर दिया। बोले : अगले एक पखवाड़े में सारे कर्मचारियों का हिसाब-किताब हो जाएगा। आप लोग अब आफिस आना बंद कर दें। यह सुनते ही सारे कर्मचारियों पर मानो सांप ही सूंघ गया। कर्मचारियों ने तय किया है कि अगर एक पखवाड़े के भीतर सारे देयों और नोटिस आदि की रकम अदा नहीं की गयी तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उधर पता है कि अनुरंजन ने शगुन की बंदी के पहले ही अपने लिए एक नये चैनल की नाव पकड़ ली है। इस संदर्भ जब चैनल के हेड और सीईओ अनुरंजन झा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हां, मैंने टीम छोटी कर दी है। अब यह चैनल रिकार्डिंग मोड में डाल दिया गया है।
कुमार सौवीर की रिपोर्ट. श्री सौवीर यूपी के वरिष्ठ तथा तेजतर्रार पत्रकार हैं.