नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन की परेशानी और बढ़ती नजर आ रही है क्योंकि सीबीआई उनके परिवार से जुड़ी डीटीएच कंपनी सन डायरेक्ट को स्पेक्ट्रम तथा घर पर उच्च क्षमता वाली 300 टेलीफोन लाइनें आवंटित करने के मामले में उनकी भूमिका की पड़ताल कर रही है। आरोप हैं कि मारन ने यह दोनों कार्य मंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए अपने भाई के स्वामित्व वाले टीवी चैनल को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया था.
जांच एजेंसी ने डीटीएच ब्रॉडकास्ट कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटित किए जाने से संबंधित फाइलें दूरसंचार विभाग (डॉट) से मांगी है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि डीटीएच ब्रॉडकास्टर्स की जांच का फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि सीबीआई के अधिकारियों ने अपनी जांच में पाया है कि 2जी घोटाले में घेरे में आई कुछ कंपनियां इस सेवा का भी प्रसारण करती हैं। एजेंसी ने जिन कंपनियों की फाइल की जांच की है उनमें डिश टीवी इंडिया लि., रिलायंस बिग टीवी, भारती मल्टी मीडिया लि., भारती बिजनेस चैनल, दूरदर्शन, सन डायरेक्ट टीवी और टाटा स्काई लि. शामिल हैं। हालांकि सन डायरेक्ट के अलावा सीबीआई ने सभी अन्य फाइलें लौटा दी हैं।
सूत्रों का कहना है कि टेलीफोन एक्सचेंज मामले के जांच-पड़ताल में अभी दो महीने का वक्त लग सकता है। दस्तावेजों की जांच का काम पूरा होने के बाद सीबीआई इस मामले में नियमित मुकदमा दायर करेगी। एजेंसी ने इस मामले में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज करने के बाद इस सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल से दस्तावेज मांगे थे। सीबीआई इस बात का पता लगाने में जुटी है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर आईएसडीएन लाइनें मारन के चेन्नई स्थित आवास तक कैसे ले जाई गईं और किस तरह इन्हें सन टीवी चैनल के दफ्तर से जोड़ा गया। इसके अलावा सीबीआई यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन लाइनों के लिए बीएसएनएल को कितना नुकसान उठाना पड़ा।