बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अदालत के जरिये जब सहारा समूह से उसके निवेशकों का ब्योरा मांगा था तब उसे पता भी नहीं होगा कि उसके लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। सहारा ने तो अपने 3 करोड़ निवेशकों के आवेदन 2 ट्रकों में भरकर सेबी के दफ्तर भेज दिए, लेकिन उनकी जांच के लिए अब सेबी को 100 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं।
दरअसल सेबी ने कई करोड़ रुपये की निविदा जारी की है, जिसमें रजिस्ट्री एवं ट्रांसफर एजेंट (आरटीए) की सेवा मांगी गई है। इस आरटीए को 3 करोड़ लाभार्थियों के 30 करोड़ आवेदन जांचने हैं। उद्योग सूत्रों के मुताबिक इस पर तकरीबन 100 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। हालांकि सेबी ने अपनी निविदा में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया है कि दस्तावेज सहारा के विवादित डिबेंचर निर्गम से संबंधित हैं, लेकिन पंजीकरण एजेंटों और नियामकीय अधिकारियों का कहना है कि यह निविदा मूल रूप से लखनऊ की कंपनी के डाटा प्रसंस्करण के लिए ही है।
सहारा ने देश भर में 3 करोड़ निवेशकों से वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचरों (ओएफसीडी) के जरिए तकरीबन 24,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। यह मामला विवादों में घिरने के बाद उच्चतम न्यायालय ने निवेशकों का पूरा पैसा 15 फीसदी ब्याज के साथ निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया। सहारा को यह रकम सेबी के पास जमा करानी थी जिसे सेबी खुद निवेशकों को लौटाती। अदालत ने सहारा से कहा कि वह अनुमानित 3 करोड़ निवेशकों की जानकारियां सेबी को उपलब्ध कराए। इस आदेश के बाद सहारा ने 12 सितंबर को दो ट्रकों में दस्तावेज भर कर मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स स्थित सेबी मुख्यालय में भिजवाए।
सेबी ने इनमें से कुछ ही दस्तावेज स्वीकार किए और उन दस्तावेजों को वापस लौटा दिया जो उसके पास मियाद पूरी होने के बाद पहुंचे थे। बीते शुक्रवार को अदालत ने सेबी से कहा कि वह अपने हिसाब से इस मामले से निपटे मगर निवेशकों को उनकी रकम लौट जानी चाहिए। सेबी के अधिकारियों ने कहा कि वे दस्तावेजों को स्वीकार कर उपयुक्त जांच कराएंगे और सहारा के 3 करोड़ निवेश्कों के लिए अपने ग्राहक को जानो शर्तों को भी खंगालेंगे। सेबी ने 26 सितंबर को यह निविदा जारी की थी और इस महीने के आखिर तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाने की उम्मीद है। आरटीए सोमवार को अपनी बोली जमा कराएंगे। (बीएस)