Abhishek Srivastava : गुरदास दासगुप्ता कुछ दिनों से इस बात को लेकर परेशान थे कि हड़ताल सम्बन्धी बयान कोई नहीं छाप रहा/दिखा रहा है। दस दिन पहले तक स्थिति यह थी कि भाषा के एक रिपोर्टर दीपक रंजन ने जब उनका एक साक्षात्कार लिया, तब जाकर खबर चल सकी। प्रधानमंत्री के परसों अपील करते ही हालांकि खबर अचानक बड़ी बन गई। और चैनलों की स्वामिभक्ति देखिए कि आज सब जगह लिखा आ रहा है: … हज़ार करोड़ की हड़ताल/देश को नुकसान, आदि।
लाखों करोड़ का नुकसान किसका है भाई? जनता का? मजदूर का? किसान का? नहीं न! लुटेरी-सटोरी आवारा पूंजी का नुकसान है, धनपशुओं का नुकसान है ये। तो होने दीजिए न। रोज़ फायदा ही कमाएंगे हरामखोर?
युवा व जनपक्षधर पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से.