हाई कोर्ट निर्देश : एडवाइजरी का प्रयोग न किया जाए न्‍यूज चैनलों के खिलाफ

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लखनऊ : सामाजिक कार्यकर्ता डा. नूतन ठाकुर की सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पारित 21 अक्टूबर 2013 की एडवाइजरी को निरस्त करने सम्बंधित पीआईएल पर इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच ने आदेशित किया है कि इसका प्रयोग भविष्य में किसी न्यूज़ चैनल के खिलाफ नहीं किया जाए.

चीफ जस्टिस धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड और जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की बेंच ने कहा कि इस ऐडवाइजरी, जिसके माध्यम से प्रधानमंत्री को अन्य राजनैतिक नेताओं से तुलना किये जाने पर न्यूज़ चैनलों को उनके लाइसेंस निरस्त किये जाने की बात कही गयी है, का उपयोग मात्र नियमों का पालन किये जाने तक ही किया जाएगा, उसके अलावा किसी अन्य उद्देश्य से नहीं.

 याचिका के अनुसार मंत्रालय ने केबल टेलीविज़न नेटवर्क (रेगुलेशन) एक्ट 1995 की धारा 20 के अंतर्गत न्यूज़ चैनलों को उनका लाइसेंस निरस्त करने की ऐडवाइजरी  मात्र इसलिए जारी की क्योंकि इन चैनलों ने स्वतंत्रता दिवस पर दोनों नेताओं के भाषणों को तुलनात्मक रूप से प्रस्तुत कर दिया था जो सरकार को अनुचित और बुरा लगा गया. मात्र एक राजनैतिक नेता को पीएम से तुलना करने पर जारी इस ऐडवाइजरी को सरकार द्वारा मीडिया की स्वतंत्रता को दबाने वाला तानाशाही कदम बताते हुए डॉ ठाकुर ने लोकतंत्र तत्काल व्यापक जनहित में इसे निरस्त किये जाने की माग की थी.

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