आईआरएस 2013 IRS 2013 : बनारस में हिंदुस्‍तान ने जागरण को पछाड़ा

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आईआरएस के सर्वे में सबसे बुरी ख‍बर दैनिक जागरण के लिए आई है. लांचिंग के बाद से बनारस में नम्‍बर एक रहे अखबार को हिंदुस्‍तान ने खिसका कर दूसरे स्‍थान पर कर दिया है. दैनिक जागरण में जहां विजन की कमी और गुटबाजी हावी रही वहीं हिंदुस्‍तान की टीम एकजुट होकर काम में जुटी रही. बनारस दैनिक जागरण के गढ़ के रूप में जाना जाता रहा है. अमर उजाला, हिंदुस्‍तान, राष्‍ट्रीय सहारा, जनसंदेश टाइम्‍स के आने के बाद भी दैनिक जागरण को उसकी गद्दी से कोई उतार नहीं पाया था, परंतु 2013 के चौथी तिमाही में जागरण का राज खतम हो गया.

बनारस में हिंदुस्‍तान अखबार को नंबर एक पर पहुंचाने का श्रेय पूर्व संपादक मनोज पमार को है तो दैनिक जागरण को दूसरे स्‍थान पर खिसकाने का श्रेय आशुतोष शुक्‍ला को दिया जा सकता है. मनोज पमार ने पब्लिक कनेक्‍ट अभियान चलाकर लोगों को हिंदुस्‍तान से जोड़ा तो दैनिक जागरण के संपादक ऐसा कोई अभियान नहीं चला सके. दूसरे मनोज पमार बिखरी हुई टीम को एकजुट किया तो आशुतोष शुक्‍ल ने एकजुट टीम को बिखेर दिया. इसका परिणाम रहा कि हिंदुस्‍तान ने दैनिक जागरण को पीछे छोड़कर नम्‍बर एक पर पहुंच गया है.

हिंदुस्‍तान में बिना भेदभाव के सबको जिम्‍मेदारी सौंपी गई तो दैनिक जागरण में पुराने संपादक के लोगों को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया. सूत्रों का कहना है कि इसी के चलते दैनिक जागरण पहली बार दूसरे नंबर पर खिसका है. राघवेंद्र चड्ढा के समय में जो टीम एकजुट होकर अखबार को नम्‍बर एक पर बनाए रखा, उसके बिखरने की कीमत दूसरे नंबर पर पहुंच कर चुकानी पड़ी है. सूत्र बता रहे हैं कि पद्म पुरस्‍कारों के दौरान भी एक पत्रकार को संपादक आशुतोष शुक्‍ल ने दो दिन की छुट्टी पर भेज दिया जबकि वह बीट उस रिपोर्टर की थी ही नहीं.

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