: राष्ट्रपति पदक से सम्मानित होना था गंणतंत्र दिवस पर : रेप कांडों के चलते दब गई भ्रष्टचारी पुलिस की खबर : दिल्ली में हुए गैंगरेप के बाद उजागर हो रहे एक के बाद एक रेप कांडों की खबरों के बीच अजमेर में पुलिस भ्रष्टाचार की इस अनोखी गाथा की खबर राष्ट्रीय स्तर पर दब सी गई है। अजमेर संभवतः देश का पहला जिला होगा जहां का जिला पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा भ्रष्टाचार के आरोप में रंगे हाथों रकम सहित गिरफ्तार किया गया, उसके कुछ घंटों बाद ही जिले का अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लोकेश सोनवाल पकड़े जाने के डर से फरार हो गया। अगले दिन ही एसपी को मंथली बंधी देने वाले एक दर्जन थानाधिकारियों को लाइन हाजिर कर दिया गया। उनकी जगह दूसरे जिले से थानाधिकारी बुलाने पड़े और जयपुर पुलिस मुख्यालय से नए थानाधिकारी लगाने के लिए कहना पड़ गया।
दिलचस्प पहलू यह है कि 26 जनवरी 2013 को नई दिल्ली में होने जा रहे गणतंत्र दिवस समारोह में महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी उत्कृष्ट और उल्लेखनीय सेवाओं और योगदान के लिए राजेश मीणा को ‘राष्ट्रीय पुलिस पदक’ से सम्मानित करने वाले थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसकी सिफरिश दिल्ली भेज चुके थे। मीणा की गिरफतारी के बाद उनका नाम सम्मानित होने वालों की सूची से हटाने की चिट्ठी भेजी गई और मीणा का निलंबन किया गया। बीते साल में अजमेर में यह दूसरा मामला है जब कोई आईपीएस रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा और गिरफतार किया गया। इससे पहले मीणा के ही मातहत अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सिटी अजय सिंह गिरफ्तार हुआ था जो फिलहाल जमानत पर है।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के हाथों मीणा की गिरफ्तारी बड़े नाटकीय अंदाज में हुई। एक है रामदेव ठठेरा। मुख्यमंत्री गहलोत के गृह नगर जोधपुर का रहने वाला है। एसपी मीणा ने रामदेव को अजमेर के पुलिस थानाधिकारियों से हर महीने चौथ वसूली यानि रंगदारी लेकर अपने तक पहुंचाने के लिए नियुक्त कर रखा था। रामदेव हर महीने 1 से 5 तारीख के बीच में जोधपुर से अजमेर आता, थानाधिकारियों से रकम वसूलता और एसपी मीणा को पहुंचा देता। इस काम के लिए उसे पंद्रह हजार रुपए महीना मिला करते थे। जो थानाधिकारी यह रकम नहीं दे पाता उससे अगले महीने ज्यादा रकम वसूली जाती थी।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को पिछले तीन महीने से एसपी और रामदेव की इस कारगुजारी की खबर थी। तभी से दोनों के टेलीफोन और मोबाइल ब्यूरो ने अपनी निगरानी में लेकर टेप करने शुरू कर दिए। नई साल की दस्तक के साथ ही ब्यूरो की टीम ने अजमेर में डेरा डाल दिया। हमेशा की तरह रामेदव जोधपुर से बस से चलकर अजमेर आया और उसने अजमेर के एएसपी सोनवाल से बस स्टेशन गाड़ी भेजने के लिए कहा। गाड़ी नहीं आ पाई परंतु वह बस स्टेशन स्थित पुलिस चौकी के एक सिपाही के साथ सोनवाल के सरकारी बंगले चला गया। वहां से उसने एसपी मीणा से बात की और उसके सरकारी बंगले जा पहुंचा। इससे बेखबर की ब्यूरो की टीम उसके पीछे है। ब्यूरो की टीम लाइव कैमरा समेत बंगले में दाखिल हुई। सबसे पहले एसपी के बंगले में तैनात सुरक्षा पुलिस के हथियार जब्त किए। रोकने की मामूली कोशिशों को दरकिनार कर टीम ड्राइंग रूम में दाखिल हो गई। एसपी मीणा और रामदेव टेबल पर रखी करीब सवा दो लाख रुपए की रिश्वत की रकम समेत धर लिए गए। रकम के साथ मिली एक डायरी जिसमें किस थानाधिकारी ने कितनी रकम दी इसका हिसाब-किताब दर्ज था। किस मामले में पुलिस को मुकदमा दर्ज करना है, किसे रफा-दफा करना है और इसका सौदा कितने में तय हुआ, यह जिक्र भी डायरी में था।
एसपी की गैर मौजूदगी में जिले की कमान संभालने वाले अतिरिक्त एसपी लोकेश सोनवाल को जैसे ही अपने आका के पकड़े जाने की खबर मिली, उसने अपने ड्राइवर को छुट्टी की अर्जी थमाई और अपने एक दलाल की गाड़ी में फरार हो गया। एसपी को हर महीने बंधी देने वाले जिन 12 थानाधिकारियों के नाम पुलिस डायरी में मिले हैं, उन्हें भी निलंबित किया जा चुका है। इनमें सिविल लाइंस थानाधिकारी रविंद्र सिंह, क्रिश्चियन गंज थानाधिकारी सुनील विश्नोई, गंज थानाधिकारी जयपाल विश्नोई, दरगाह थानाधिकारी हनुमान विश्नोई, क्लॉक टॉवर थानाधिकारी प्रमोद स्वामी, आदर्श नगर थानाधिकारी खान मोहम्मद, रामगंज थानाधिकारी कुशाल चौरड़िया, नसीराबाद सदर थानाधिकारी आईदान राम, पुष्कर थानाधिकारी गोपाल हिंडोनिया, सावर थानाधिकारी संजय शर्मा, भिनाय थानाधिकारी अशोक विश्नोई शामिल हैं। इनमें सात थाने अजमेर नगर के और बाकी ग्रामीण इलाकों के हैं। तीन दिन हो चुके हैं अजमेर जिले में ना एसपी है और ना ही एएसपी, सारी कमान आईजी अरूण पालीवाल ने संभाल ली है। उन्होंने कामचलाउ तौर पर एक दूसरे अतिरिक्त एसपी डॉ0 रामदेव सिंह को जिले का चार्ज सौंप रखा है। हाल यह है कि बगल के भीलवाड़ा जिले से सात थानाधिकारी अजमेर में लगाने पडे़ हैं, इससे वहां के थाने खाली हो गए हैं और अजमेर में भी पांच थाने खाली पड़े हैं।
एक और महत्वपूर्ण बात एसपी के लिए थानेदारों से चौथ वसूली करने वाला रामदेव वास्तु और ज्योतिष का जानकार है। अपनी इसी चमत्कारी कला के चलते वह एसपी के संपर्क में आया था। यह और बात है कि अपने इस ज्ञान और चमत्कार के चलते उसे अपनी और एसपी मीणा की गिरफ्तारी का पता क्यों नहीं लग पाया? सवाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के संवेदनशील और पारदर्शी सुशासन पर भी उठ रहा है। क्या उन्हें पता नहीं था कि उनका एक एसपी इतना भ्रष्ट है। अगर पता था तो उन्होंने पहले कार्रवाई क्यों नहीं की और उसका नाम राष्ट्रपति से सम्मान के लिए क्यों भेजा?
पुलिस गिरफ्त में आते ही बड़े और प्रभावशाली लोगों के साथ आमतौर पर जो होता है, वही अब हो रहा है। एसपी राजेश मीणा की तबियत खराब हो गई है। उसे जवाहर लाल नेहरू अस्पताल ले जाया गया है। पुलिस गाड़ी से अपने पैरों पर चलकर मीणा अस्पताल के भीतर डॉक्टरों के पास पहुंचा। मीडिया के कैमरों के ऑन होते हुए ही वह व्हील चेयर पर हो गया और डॉक्टरों के जांच के बाद ठीकठाक होने की रिपोर्ट देने के बावजूद पता नहीं कैसे वह वापस जेल ले जाने की जगह अस्पताल में ही भर्ती कर लिया गया। समझ में नहीं आता अगर शारीरिक तौर पर इतना की कमजोर है हमारा एसपी तो उसे फील्ड पोस्टिंग पर अजमेर में लगा ही क्यूं रखा था?
लेखक राजेंद्र हाड़ा अजमेर के निवासी हैं. करीब दो दशक तक सक्रिय पत्रकारिता में रहे. अब पूर्णकालिक वकील हैं. यदा-कदा लेखन भी करते हैं. लॉ और जर्नलिज्म के स्टूडेंट्स को पढ़ा भी रहे हैं. उनसे संपर्क 09549155160, 09829270160 के जरिए किया जा सकता है.