नई दिल्ली। रीटेल में एफडीआई के मुद्दे पर संसद में मिली जीत से सरकार उत्साहित है। वहीं, एक खबर के मुताबिक रीटेल की दुनिया में बड़े नाम वालमार्ट ने भारत में अपने रास्ते खुलवाने के लिए साल 2008 के बाद से अब तक करीब सवा सौ करोड़ रुपए लॉबिंग में खर्च किए। अमेरिकी सीनेट में वॉलमार्ट ने ये जानकारी दी है, जिसके बाद विपक्ष एक बार फिर सरकार पर हमलावर हो गया है।
लंबी जद्दोजहद के बाद रीटेल में एफडीआई के मुद्दे पर सरकार संसद में कामयाब रही। लेकिन एक खबर ने सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। अमेरिकी सीनेट में दाखिल अपनी रिपोर्ट में वॉलमार्ट ने कहा है कि उसने भारत में अपने लिए दरवाजे खुलवाने के लिए साल 2008 के बाद से अब तक अमेरिकी कानून निर्माताओं के साथ लॉबिंग पर 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी करीब सवा सौ करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
वॉलमार्ट के मुताबिक इस साल सितबंर में खत्म हुई आखिरी तिमाही में ही कंपनी ने करीब 1.65 मिलियन डॉलर यानी करीब दस करोड़ रुपए खर्च किए। जाहिर है कि इस खबर ने विपक्ष को सरकार पर हमला करने का एक और मौका दे दिया है। बीजेपी प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी के मुताबिक ये फ्लोर मैनजमेंट नहीं था बल्कि फंड मैनजमेंट था। इसे आम आदमी स्वीकार नहीं करेगा। अमेरिकी नियमों के मुताबिक कंपनियों को अपने मामलों की पैरवी करने के लिए विभिन्न एजेंसियों और विभागों के साथ लॉबिंग की इजाजत है। लेकिन उन्हें हर तिमाही अमेरिकी सीनेट में लॉबिंग पर खर्च होने वाली रकम का ब्योरा देना होता है।
समाचार एजेंसी पीटीआई की इस खबर पर सरकार और कांग्रेस ने सधी हुई प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि ये रिटेल में एफडीआई के खिलाफ हो रहे दुष्प्रचार का हिस्सा है। केंद्रीय मंत्री हरीश रावत के मुताबिक ये सब चीज़ें दुष्प्रचार का हिस्सा हैं। इन सब बातों से आगे भी जूझना पड़ेगा। इसमें कोई तथ्य नहीं है। अगले छह महीने के अन्दर सभी बातों का खुलासा हो जाएगा। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी के मुताबिक बेबुनियाद खबरें हैं। अगर ऐसी कोई सच्चाई किसी के पास है तो साबित करे। रिश्वत की बुनियाद पर विदेशी ताकत नहीं आ सकती। ऐसे एजेंडे देश के हित में नहीं हैं। (आईबीएन)