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125 लोगों को सदस्‍य बनाएंगे तो मान्‍यता प्राप्‍त पत्रकार बना दिए जाएंगे

: वेब मीडिया के वेश्‍यालय : हिंदी में न्यूज पोर्टल शुरू करने का काम अपने आप में बेहद जोखिम भरा है. शुरुआती खर्चों की बात दीगर है, अगर आप किसी बड़े अखबार के न्यूज पोर्टल के सापेक्ष अपने पोर्टल को स्थापित करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको अपना घर-बार बेचना पड़ेगा या खुलेआम भीख मांगने की नौबत आन पड़ेगी. निश्चित तौर पर तमाम आर्थिक अभाव के बावजूद हिंदी के न्यूज पोर्टलों ने अब तक सम्मान और साहस के साथ काम किया है. बहुत कुछ जो कभी बाजार से जुडी जरूरतों की वजह से चैनलों और अखबारों की सुर्खियाँ नहीं बनता, वेब मीडिया ने उसे जम कर छापा है, लेकिन अब वक्त बदल रहा है. वेब के उन्नत स्वरुप को देखते हुए तमाम किस्म के बनिए, दलाल और अपराधी इस माध्यम में भी घुस आये हैं, जो वेब मीडिया को तो बदनाम कर ही रहे हैं समूची पत्रकारिता को शर्मसार कर रहे हैं. इनकी वजह से वेब उस बाजार में तब्दील हो गया है जहां सब कुछ ख़रीदा और बेचा जा सकता है.

: वेब मीडिया के वेश्‍यालय : हिंदी में न्यूज पोर्टल शुरू करने का काम अपने आप में बेहद जोखिम भरा है. शुरुआती खर्चों की बात दीगर है, अगर आप किसी बड़े अखबार के न्यूज पोर्टल के सापेक्ष अपने पोर्टल को स्थापित करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको अपना घर-बार बेचना पड़ेगा या खुलेआम भीख मांगने की नौबत आन पड़ेगी. निश्चित तौर पर तमाम आर्थिक अभाव के बावजूद हिंदी के न्यूज पोर्टलों ने अब तक सम्मान और साहस के साथ काम किया है. बहुत कुछ जो कभी बाजार से जुडी जरूरतों की वजह से चैनलों और अखबारों की सुर्खियाँ नहीं बनता, वेब मीडिया ने उसे जम कर छापा है, लेकिन अब वक्त बदल रहा है. वेब के उन्नत स्वरुप को देखते हुए तमाम किस्म के बनिए, दलाल और अपराधी इस माध्यम में भी घुस आये हैं, जो वेब मीडिया को तो बदनाम कर ही रहे हैं समूची पत्रकारिता को शर्मसार कर रहे हैं. इनकी वजह से वेब उस बाजार में तब्दील हो गया है जहां सब कुछ ख़रीदा और बेचा जा सकता है.

अब से थोड़ी देर पहले मेरे एक मित्र ने बनारस के एक अखबार 'फास्टन्यूज इंडिया' और उसके पोर्टल के बारे में जानकारी दी. अखबार ठीक-ठाक था लेकिन जब उन्होंने बताया कि उनकी वेबसाईट  http://www.fastnewsindia.net/ पर पत्रकार बनने के लिए 725 रूपए देकर रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा तो मेरा माथा ठनका. मैंने पोर्टल देखा तो ख़बरों के स्तर, सरकारी, गैर सरकारी विज्ञापनों को देखकर (जो कि आम खबरिया पोर्टलों पर नजर नहीं आता) मैं समझ गया कि इसे चलाने वाले इससे जमकर नोट पीट रहे हैं. इस अखबार और पोर्टल की सम्पादक कोई श्रीमती विजेता द्विवेदी हैं. मैंने पोर्टल पर दिए गए नंबर पर 8542859201 पर काल किया तो किन्ही प्रभाकर द्विवेदी ने फोन उठाया, जो खुद को अखबार का सह सम्पादक बता रहे थे. मैंने खुद को मोनू पांडे बनाकर प्रस्तुत किया जो कक्षा १२ पास है. आप इस पूरी बातचीत को भी सुन भी सकते हैं.

इस बातचीत में जो राज खुला वो हैरत में डाल देने वाला है. इस बातचीत से उत्तर प्रदेश की मान्यता समिति, पत्र सूचना पंजीयन कार्यालय भी संदेह के घेरे में आ जाते हैं. प्रभाकर द्विवेदी से जब मैंने पूछा कि आपके पोर्टल से कैसे जुड़ा जा सकता है तो उन्होंने बताया कि सात बड़े राज्यों में फैले मेरे अखबार से जुड़ने के लिए आपको रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके लिए आपको एक निःशुल्क फ़ार्म भरना होगा, लेकिन आपको 725 रूपए जमा करने होंगे, जो एक तरह से अखबार का शुल्क होगा, जिसके बदले में हम आपको प्रेस की आईडी और ब्रोसर वगैरह भेजेंगे. उसके बाद आपको अगर प्रदेश सरकार से मान्यता लेनी है तो अपने नीचे 125 लोगों को सदस्य बनाना होगा और अगर आप राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त पत्रकार बनना चाहते हैं तो आपको 625 लोगों को सदस्य बनाना होगा. सह-सम्पादक द्वारा ये भी बताया गया कि मान्यता के बाद आपको ट्रेन, बस और हवाई जहाज में रियायती दर पर यात्रा करने का लाभ मिलने लगेगा, सिर्फ इतना ही नहीं ये भी जानकार दी गयी कि कई लोग इस अखबार के माध्यम से मान्यता ले चुके हैं.

प्रभाकर द्वारा मुझे बताया गया कि पत्रकार बनने की न्यूनतम योग्यता हाईस्कुल या इंटर पास होना है, लेकिन अगर कोई अच्छी पर्सनालिटी वाला है तो अगर 8 पास क्यों न हो उसे पत्रकार बना दिया जाएगा. जब हमने अखबार के सम्पादक विजेता द्विवेदी से बात कराने का अनुरोध किया तो कहा गया कि अखबार का सारा काम मैं ही देख रहा हूँ मैडम दिल्ली रहती है. 19 नवम्‍बर को हम लोग एक सेमीनार कर रहे हैं उसमें मैडम से मुलाक़ात की जा सकती है. जब हमने  बताया कि मेरे ढेर सारें मित्र बेरोजगार हैं तो प्रभाकर द्वारा मुझे ज्यादा से ज्यादा सदस्य बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता रहा. महत्वपूर्ण है कि अखबार के पिछले एक साल के दौरान केवल ५ संस्करण प्रकाशित हुए हैं. जानकारी दी गयी कि जनवरी से वो इसे दैनिक अखबार बना देंगे, तब आपको 1250 रूपए जमा करने होंगे. 

पूरी बातचीत इस टेप में है, सुनिए…

लेखक आवेश तिवारी तेजतर्रार पत्रकार हैं. कई अखबारों एवं संस्‍थानों में काम करने के बाद आजकल न्‍यूज पोर्टल नेटवर्क6 का संचालन कर रहे हैं. 

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