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देवरिया जिले में 147 उम्‍मीदवारों के भाग्‍य का फैसला करेंगे 22 लाख मतदाता

: इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ने के आसार : देवरिया। उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में बसे देवरिया जिले को कभी देव भूमि के नाम से उच्चारित किया जाता था। देव भूमि यानि दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्त और सभी सुखों से सम्पन्न भूमि। लेकिन आज वास्तविकता कुछ अलग ही कहानी कह रही है। अनगिनत समस्याओं से प्रतिदिन दो-चार होता हुआ यह जिला पीड़ा और दुःखों से जार-जार रो रहा है। आजादी के 64 साल भी किसानों को खाद व बीज के लिए पुलिस की लाठियां खानी पड़ती है। नहरों में पानी नही है। कल कारखाने बन्द है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य में भ्रष्टाचार का घुन समा गया है। स्वास्थ्य विभाग खुद बीमार हो गया है और उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को बाहर जाना पड़ता है।

: इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ने के आसार : देवरिया। उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में बसे देवरिया जिले को कभी देव भूमि के नाम से उच्चारित किया जाता था। देव भूमि यानि दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्त और सभी सुखों से सम्पन्न भूमि। लेकिन आज वास्तविकता कुछ अलग ही कहानी कह रही है। अनगिनत समस्याओं से प्रतिदिन दो-चार होता हुआ यह जिला पीड़ा और दुःखों से जार-जार रो रहा है। आजादी के 64 साल भी किसानों को खाद व बीज के लिए पुलिस की लाठियां खानी पड़ती है। नहरों में पानी नही है। कल कारखाने बन्द है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य में भ्रष्टाचार का घुन समा गया है। स्वास्थ्य विभाग खुद बीमार हो गया है और उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को बाहर जाना पड़ता है।

जिले की पांच चीनी मिलों में से चार बन्द हो चुकी है। यही वजह है कि चीनी का कटोरा कहे जाने वाले इस क्षेत्र में आज गन्ने की खेती 35 हजार हेक्टेयर से घट कर 12 हजार  हेक्टेयर तक रह गई है। लेकिन कोई भी नेता इसकी चर्चा अपनी चुनावी भाषणों में नहीं करता है। कोई भी नहीं बता रहा कि रोजगार के लिए विदेश खासतौर से खाड़ी देश जाने की विवशता से कब मुक्ति मिलेगी। सभी नेताओं ने अपनी चुनावी भाषणों में खुद को पाक साफ तथा दुसरों को दागदार साबित करने में अपनी सारी उर्जा झोंकी। विकास और उत्थान की ज्वलन्त मुददों एवं चर्चाओं से कोसों दूर इन नेताओं ने केवल वादों की फुलझड़ियों में केवल और केवल वोट पर ही अपने निशाने साधे। वर्ष 2007 के चुनाव में सात सीटों में से चार सीट सपा और तीन बसपा को मिली थी। इस बार दोनों को भाजपा एवं कांग्रेस तगड़ी चुनौती दे रही है।

16वीं विधान सभा के लिए यहां के सात सीटों पर कुल 147 प्रत्याशी अपनी किस्मत चमकाने के लिए 11,93,795 पुरुष और 09,78,348 महिला मतदाताओं के भरोसे है। इन सभी प्रत्याशियों जिनमें कुछ दिग्गज नेता भी हैं, सभी का भाग्य रविवार को ईवीएम में कैद हो जाएगा। वर्ष 2007 में 11,62,539 पुरुष एवं 9,71,502 महिलाओं अर्थात कुल मतदाताओं 21,34,041 में से मात्र 48 प्रतिशत मतदाताओं ने ही प्रत्याशियों के किस्मत को लिखा था। इस बार मतों के प्रतिशत में 20 से 30 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। इस बार युवाओं में मतदान के प्रति खासा उत्साह है। 

रामपुर कारखाना क्षेत्र के छोटी गण्डक नदी पर बने पटनवा पुल पर बरईपुर लाला गांव के सेवा निवृत्त जय प्रकाश श्रीवास्तव कहते हैं कि चीनी मिलों के बन्द हो जाने से किसान परेशान है। पिछले वर्ष के पहली तारीख को ही जटहवा बाबा की हत्या और उसके बाद उत्पन्न हुए दंगो की आंच अभी भी यहां सुलग रही है। लेकिन किसी भी नेता ने उस प्रकरण पर चर्चा नहीं की। जबकि चुनाव में सपा की विधायक गजाला लारी और भाजपा के राजीव मिश्र पूरी तैयारी से हैं। इन सबके बीच निर्दल गिरिजेश शाही उर्फ गुडडू शाही दमदारी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। लेकिन उन पर हमला होने के कारण वह पीजीआई लखनऊ से ईलाज कराकर क्षेत्र में तो आ गए हैं, लेकिन वे अभी भी अस्वस्थ हैं। उनकी पत्नी पुष्पा शाही ही मतदाताओं से वोट की अपील कर रही है।

देवरिया सदर विधान सभा क्षेत्र की रामगुलाम टोला मुहल्ले की रहने वाली गृहणी पुष्पा कहती हैं कि जनता खास तौर से गृहणियों की परेशानियों से किसी दलीय उम्मीदवार को मतलब नहीं है। आज भी हमें खाना पकाने के लिए गैस सिलिण्डर के लिए महीनों इन्तजार करना पड़ता है। यहां के काग्रेस के जे पी जायसवाल, भाजपा के जन्मेजय सिंह, बसपा के प्रमोद सिंह और सपा के दीनानाथ कुशवाहा के बीच मुकाबला है।

बरहज विधायक राम प्रसाद की दरिया दिली क्षेत्र में चर्चा में है। बरहज में एक चाय की दुकान पर उनके दो बेटों की तिलक समारोह में सत्तर हजार लोगों की दावत और अभी हाल ही में कुछ माह पूर्व सम्पन्न हुए 101 कन्याओं की विवाह पर खूब बात हो रही है। लेकिन मईल में देवरहवा बाबा की आश्रम की भूमि पर दबंगों द्वारा किए जा रहे अवैध कब्जा एवं आश्रम की दुर्दशा पर सब खामोश हैं। विधायक राम प्रसाद जायसवाल की जगह उनकी पत्नी रेनू जायसवाल चुनावी जंग में सपा के प्रेम प्रकाश सिंह, पीस पार्टी से दुर्गा मिश्रा, कांग्रेस के विरेन्द्र चौधरी और भाजपा के नरेन्द्र मिश्रा से दो-दो हाथ कर रहीं है।

पथरदेवा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही के मुकाबले सपा के पूर्व विधायक और मंत्री शाकिर अली, बसपा के संजय सिंह और कांग्रेस के सुयश मणि मैदान में है। कंचनपुर चौराहे के आगे एक दर्जन नौजवान दिखे। चुनाव चर्चा पर मेडिकल स्टारे चलाने वाला प्रकाश कहता है कि चुनाव बीतने के बाद कोई झांकने तक नहीं आता है। दलों और नेताओं से क्या अपेक्षा की जाय। भीखू सपाट बोलता है कि नेता लोग क्यूं वादा करते हैं। वादा करके किसको मूर्ख बनाते हैं खुद को या जनता को।

रूद्रपुर प्रतिवर्ष बाढ़ग्रस्त एवं अत्यधिक पीड़ित क्षेत्र है। रूद्रपुर को दूसरा काशी कहे जाता है दुग्धेश्वर मंदिर के पास बैठे संजय कहते है करहकोल घाट और सेमरा घाट पर पुल बनाए जाने का ख्वाब पिछले कई दशकों से यहां के वोटरों को दिया जा रहा है लेकिन इसे आज तक कोई निभा नहीं पाया। बाढ़ से हो रही प्रतिवर्ष की क्षति और पलायन का कोई नाम लेवा नहीं। यहां बसपा के सुरेश तिवारी, कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह, भाजपा के जयप्रकाश और सपा के मुक्तिनाथ यादव के बीच घमासान है।

सलेमपुर सुरक्षित सीट हो गई है। इसलिए यहां से सपा की विधायक गजाला लारी रामपुर कारखाना विधान से एक बार फिर किस्मत आजमा रही हैं। पुलिस कर्मी जितेन्द्र सिंह बताते हैं कि बताते हैं कि ओवर ब्रिज बनने में देर हो रही है। अनुआपार में रेलवे क्रासिंग नहीं बन पा रहा है। जिसके क्षेत्र के लोग परेशान है। जो यहां की खास आवश्यकता है। यहां सपा के मनबोध प्रसाद, भाजपा की विजय लक्ष्मी गौतम, कांग्रेस के राम अधार और बसपा के बलिराम में चुनावी जंग है।

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भाटपाररानी में भी मुददे हाशिये पर हैं और लोगों के जेहन में बस यही सवाल है कि बसपा के सभाकुंवर, सपा के कामेश्वर उपाध्याय, भाजपा के राजकुमार शाही और कांग्रेस की बिन्दा कुशवाहा में से सीधी लड़ाई में से कौन है। बिहार राज्य की सीमा पर होने के कारण यहां तस्करों और अपराधियों से पूरा इलाका दहशत के साये में जीता है। मेडिकल प्रतिनिधि दिनेश सिंह कहते हैं कि कि उत्तर प्रदेश में सबसे पिछड़ा जिला देवरिया और देवरिया में सबसे पिछड़ा इलाका भाटपाररानी। यहां समस्याओं और दिक्कतों के आलावा कहने-सुनने के सिवा कुछ नहीं है।  

देवरिया से ओपी श्रीवास्‍तव की रिपोर्ट.

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