किसी की मौत पर आयना दिखाना सबसे तकलीफदेह है. एक बड़ा उद्योगपति जो अंबानी को पीछे धकेलने के सपने संजोए था, खुद अपने भाई को मारने और फिर उसी की गोली से मौत पायेगा, ये पोंटी चड्ढा के दुश्मनों को भी कबूल न होगा . पैसे की हवस, रुतबे का गुरूर और गला काटकर आगे बढने की चाह पोंटी की ताकत रही और आज ये ही सबसे बड़ी कमजोरी भी बनी.
20 हज़ार करोड़ से ज्यादा का साम्राज्य खड़े करने वाले पोंटी अपने सगे भाई को 50 करोड़ का फार्म हाउस देने को तैयार न था. मुलायम और मायवती पर वो हज़ारों करोड़ लुटा सकते थे लेकिन 50 करोड़ का घर अपने सगे भाई को देने में मरने मारने को तैयार हो गए. दरअसल मायावती और मुलायम पर पैसा लगाने में पैसे मिलता था लेकिन भाई पर पैसा लगाने पर क्या मिलता. ये है मानसिकता पोंटी जैसे उद्योगपतियों की.बिना मुनाफा कुछ भी कबूल नही.
1994 में दैनिक जागरण के रिपोर्टर की हैसियत से मैं लखनऊ में जब आबकारी का सालाना ठेके पर खबर कर रहा था तो पोंटी चड्ढा का पहली बार नाम सुना. उनसे दूसरी मुलाक़ात 2001 में यूपी सदन दिल्ली में हुई जब वे मायावती से मिलने आये थे. तीसरी मुलाकात आज हुई, महरौली के उस फार्म हाउज़ में जहाँ से उनकी लाश अस्पताल पहुँची थी.
पोंटी की मौत को मै इसलिए बड़ी घटना मानता हूँ की यह पैसे के हवस की वो नंगी कथा है जहाँ आज के कुछ उद्योगपति पैसे के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. ऐसे उद्योगपति जिस काली कमाई से नौकरशाह और नेता खरीद रहे, वो देश के लिए घातक है. जिस तरह सरकारी चीनी मिलें, पेपर मिलें, शराब के ठेके, नोएडा की ज़मीनें पाप की कमाई से खरीदी जा रही हैं, वो देश से दगाबाजी है. सच ये है की पोंटी के पाप की कमाई मायावती और मुलायम को कबूल होगी, पर हमें नही.
दीपक शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार.
Lakhon gharon ko sharaab se Barbaad karne wale aaj khudh barbaad ho gaye. Taaza udharan Ponty Chadha aur Vijya Mallya hai. Bhagwan k ghar der hai, andher nahi. Jis din vo hissab karne pe aata hai to phir barson ka banaya ujadne mein pal bhar hi waqt lagta hai..
surinder mehan और Naresh Arora के फेसबुक वॉल से साभार.
पॉन्टी चड्ढा और प्रमोद महाजन की मौत से एक सीख मिली की अगर आप बड़े भाई है और छोटा भाई आपसे प्रॉपर्टी या कुछ धन दौलत मांग रहा है और आप के पास वो सब है तो आप तुरंत छोटे भाई को वो सब खुशी-खुशी दे दें वर्ना कब लक्ष्मन जैसा भाई आपके सीने मे गोली उतार दे, पता नहीं चलता है..चड्ढा और महाजन जैसे हादसे तो यही सीख देते हैं कि घर को आग लग गयी घर के ही चिराग से और दोनों भाइयों की मौत हो गयी..इसलिये बड़े भाइयों को सलाह– अपने छोटे भाइयों से संम्भल कर रहे..मैं भी परिवार में बड़ा भाई हूं इसलिये सलाह दे रहा हूं…
Zafar Irshad के फेसबुक वाल से साभार.