: भाग अंतिम : उच्च न्यायालय में लंबित है सीबीआई जांच की याचिका : इलाहाबाद। यूपी में हजारों करोड़ के चीनी मिल बिक्री घोटाले का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन है। हाईकोर्ट ने सरकार, मिल खरीदार कंपनियों और सीएजी रिपोर्ट का भी संज्ञान ले रखा है। पत्रकार सच्चिदानंद गुप्त ने हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में याचिका दायर कर बसपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वर्ष 2010 में सरकार ने मुनाफा दे रही 11 चालू चीनी मिलों को औने-पौने दामों में निजी कंपनियों को बेच दिया है, इसी प्रकार 4 जनवरी 2011 को दस अन्य चीनी मिलों को भी नियम विरुद्ध तरीके से बेच दिया गया है।
इन सभी 21 चीनी मिलों को वेव इंडस्ट्रीज लिमिटेड, इंडियन पोटाश लिमिटेड, गिरासो कंपनी प्राइवेट लिमिटेड, नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड, एसआर बिल्डकाम प्राइवेट लिमिटेड, नीलगिरी फूड प्रोडक्ट लिमिटेड व फूड एंड एग्रो प्रोडक्ट लिमिटेड को बेचा गया है। याचिका में भी मिलों को बेचे जाने संबंधी आदेशों को खारिज करने व इस घोटाले की सीबीआई जांच कराने का अनुतोष मांगा गया है। चीनी मिल बिक्री घोटाले को सपा, भाजपा और कांग्रेस भी समय-समय पर उठाती रही हैं। कांग्रेस ने जहां इस मामले में लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है वहीं भाजपा ने पोंटी चड्ढा और यूपी सरकार द्वारा मिलकर किए गए चीनी मिल घोटाले पर आरोप पत्र ही जारी कर रखा है। यह मामला अब प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया है। इसमें प्रदेश के कद्दावर मंत्री नसीमुद्दीन और उनके करीबी अफसरों द्वारा किए गए करोड़ों रुपए के घोटालों की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह, कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी, प्रदेश कांग्रेस विधानमंडल के नेता प्रमोद तिवारी तथा कांग्रेस पार्टी के किसान नेता वीएम सिंह ने लोकायुक्त को दिए शिकायत पत्र में आरोप लगाया है कि नसीमुद्दीन ने कुछ खास व्यक्तियों और उनकी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से 2 जुलाई 2010 और 17 सितम्बर 2010 को इन चीनी मिलों को पोंटी चड्ढा को बेचने की साजिश में मुख्य भूमिका निभाई है।
तत्कालीन मुख्य सचिव एके गुप्ता, उत्तर प्रदेश गन्ना विभाग के विशेष सचिव सुभाष त्रिवेणी, विभागीय प्रमुख सचिव नेतराम को भी साजिश में शामिल बताया गया है। पत्र में कहा गया है कि मुख्य सचिव एके गुप्ता, प्रमुख सचिव नेतराम और सुभाष त्रिवेदी उस कोर कमेटी के सदस्य थे, जिसने चीनी मिलें बेचने का निर्णय लिया था। विधानसभा में विपक्ष के नेता शिवपाल सिंह का कहना था कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश की परिसम्पत्तियों को बेचकर अपनी तिजोरी भरी है। उनका आरोप था कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित सचिव समूह (सीजीडी) के 8 मई 2010 के कार्यवृत से स्पष्ट है कि 11 चीनी मिलों का अनुमानित मूल्य अगस्त 2009 में 639.54 करोड़ रुपए तय हुआ था, जिसे बाद में वर्ष 2010 में घटाकर 614.70 करोड़ रुपए कर दिया गया। सचिव समूह द्वारा 28 अगस्त 2010 एवं 19 नवम्बर 2010 की बैठकों में कई चीनी मिलों को उनके अनुमानित मूल्य से बहुत कम धनराशि में विक्रय कर दिया गया है।
भाजपा का आरोप है कि निगम की पोंटी चड्ढा को बेची गईं 35 मिलों में करीब 25 हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है। बिक्री करते वक्त नियम कानून को दरकिनार करते हुए पोंटी चड्ढा के समूह को लाभ पहुंचाया गया। करोड़ों के इस घोटाले के संबंध में आरोप पत्र जारी करते हुए भाजपा सचिव किरीट सोमैया तथा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि चीनी निगम की मिलों के विक्रय में सरकारी मशीनरी का जमकर दुरुपयोग किया गया। श्री सोमैया ने कहा कि चार साल के कार्यकाल में बसपा सरकार ने दो लाख 54 हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही का आरोप है कि इन सरकारी चीनी मिलों को उनकी वास्तविक कीमत से मात्र 10 फीसदी पैसा लेकर निजी क्षेत्र को बेचा गया है।
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जेपी सिंह द्वारा लिखी गई यह खबर लखनऊ-इलाहाबाद से प्रकाशित अखबार डीएनए में छप चुकी है, वहीं से साभार लिया गया है.