हैदराबाद : देश की जानी मानी मीडिया कंपनी डेक्कन क्रॉनिकल 4300 करोड़ रुपए के कर्ज तले दबी हुई है। कर्ज देने वाले दो दर्जन से ज्यादा कर्जदारों के दबाव के बाद कंपनी सीबीआई जांच के घेरे में है। आईपीएल डेक्कन चार्जर्स की स्वामित्व रखने वाली इस कंपनी का पतन तभी शुरू हो गया, जब इस कंपनी को बीसीसीआई ने आईपीएल से बाहर कर दिया। माना जा रहा है कि आईपीएल के नुकसान ने कंपनी को बरबाद करके रख दिया है।
2009 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित दूसरे इंडियन प्रीमियर लीग टूर्नामेंट में खिताब जीतने वाले डेक्कन चार्जर्स के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि महज तीन साल के भीतर इस टीम की स्वामित्व रखने वाला डेक्कन मीडिया समूह का पतन हो जाएगा। अनुबंध शर्तों के उल्लंघन के आरोप में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने 2012 में इस आईपीएल टीम को खत्म कर दिया था। इसके बाद से कंपनी के हालात और बदतर हुए, जिसके बाद कंपनी की देनदारियां ब्याज के साथ लगातार बढ़ती चली गईं।
हैदराबाद की यह मीडिया कंपनी फिलहाल सीबीआई जांच के घेरे में है। कंपनी ने शेयर बाजार को भेजी ताजा सूचना में कहा है कि उसने अपने ऋणदाताओं से सुरक्षा के लिए सितंबर में औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड (बीआईएफआर) के पास आवेदन किया है। इससे पहले कंपनी ने अपने कर्ज पर ब्याज की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए ऋणदाताओं पर आरोप लगाया था कि वे न तो बकाये रकम की पुष्टि कर रहे हैं और न ही गैर-नकद परिसंपत्तियों आकलन के लिए आधार मुहैया करा रहे हैं। इसके चलते परेशानियां बढ़ रही हैं।
इसके बाद कंपनी ने 30 सितंबर, 2013 को समाप्त तिमाही के दौरान अपने कर्ज के लिए सामान्य दर पर 130 करोड़ रुपये के ब्याज होने की बात स्वीकार की है। तिमाही के दौरान उसकी कुल आय 81 करोड़ रुपये रही। यह रकम उसके ब्याज के बकाए से काफी कम है। इस दौरान कंपनी ने 4.74 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया है। कंपनी पर 24 से अधिक कर्जदाताओं का करीब 4,300 करोड़ रुपए का बकाया है। डेक्कन समूह की मुश्किलें 2012 में उस समय बढ़नी शुरू हुई, जब उसने अपने कर्जदाताओं का पुनर्भुगतान बंद कर दिया।
जब इस स्थिति को देखकर कर्ज देने वाले बैंकर परेशान होने लगे तो डेक्कन समूह ने 2012 में अपने कर्ज के पुनर्भुगतान न होने पर कंपनी के गैर परिवर्तनीय ऋण पत्रों को आईएफसीआई के हाथों बेच दिया था। इसके बाद कंपनी के अन्य कर्जदाता भी वसूली के लिए सक्रिय होने लगे। इसी साल 22 फरवरी को कंपनी के प्रबंधन ने स्वीकार किया कि कंपनी 4,217.54 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज तले दबी है। साथ ही सितंबर 2012 को समाप्त 18 महीनों की अवधि के लिए कंपनी ने 1,040 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया। डेक्कन क्रॉनिकल पर आईसीआईसीआई का सबसे अधिक 490 करोड़ रुपये का बकाया है। इसके बाद ऐक्सिस बैंक का 400 करोड़ रुपये और केनरा बैंक का 360 करोड़ रुपये बकाया है।
इस बकाए से परेशान केनरा बैंक ने कंपनी के बहीखातों की फोरेंसिक ऑडिट भी कराया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कंपनी ने कितना और किस लिए कर्ज लिया था। बाद में बैंक कंपनी के खिलाफ सीबीआई में शिकायत दर्ज करा चुकी है। हालांकि डेक्कन क्रॉनिकल के अच्छी खबर यह है कि इसका प्रमुख मीडिया कारोबार इस संकट से अप्रभावित रहा है। सूत्रों ने बताया कि प्रबंधन अब नए बैंकों में नए खातों का संचालन कर रही है ताकि कारोबार को सुचारू रूप से चलाया जा सके। कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का लाभ भी दिया गया है। माना जा रहा है कि कंपनी इस मुश्किल से बाहर निकलने का कोई रास्ता तलाश लेगी।