: सपा-भाजपा-बसपा-कांग्रेस के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर : 103 दागी प्रत्याशी भी ठोंक रहे हैं ताल : उत्तर प्रदेश में चौथे चरण का मतदान (19 फरवरी) कई मामलों में अन्य चरणों के मुकाबले अलग तस्वीर दिखाएगा। राज्य की सत्ता का केन्द्र माने जाने वाला नबावों के शहर लखनऊ तथा आसपास के कई जिलों में भी इसी दिन मतदान होगा। इन इलाकों को राजनैतिक रूप से काफी परिपक्व माना जाता है, जिस कारण राजनैतिक पंडितों की नजरें इस पर दौर कुछ ज्यादा ही टिकी हैं। कांग्रेस और भाजपा को यहां से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें हैं, यह और बात है कि यहां 2007 के चुनाव में बसपा का झंडा मजबूती के साथ लहराया था और सपा दूसरे नंबर पर रही थी। बात लखनऊ से ही शुरू की जाए। राज्य की राजधानी लखनऊ कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी का संसदीय क्षेत्र होता था, आज भी भाजपा अटल बिहारी वाजपेयी का कोई विकल्प तलाश नहीं कर पाई है। वह अटल जी का ही नाम आगे करके विधान सभा चुनाव में अपनी किस्मत अजमा रही है। देखना यह है कि क्या अटल जी अभी भी लखनऊ की जनता के दिलो-दिमाग में छाए हुए हैं।
अटल के अलावा चौथे चरण में जिन प्रमुख हस्तियों के भाग्य का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फैसला होना है, उसमें कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी, कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, अलिखेश सिंह यादव, हाल में ही बसपा छोड़कर सपा का दामन थामने वाले नरेश अग्रवाल, कांग्रेस के दिग्गज और अपने बयानों के कारण विवादित केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रमोद तिवारी, यूपी कांग्रेस की अध्यक्षा डा. रीता बहुगुणा जोशी, भाजपा के दिग्गजों कलराज मिश्र, लाल जी टंडन, निर्दल विधायकी का चुनाव लड़ रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, बसपा के बड़े नेता समझे जाने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी, सतीश मिश्र के अलावा बसपा से निष्कासित और पर्दे के पीछे से भाजपा की मदद कर रहे पूर्व बसपा मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा शामिल हैं।
बात अतीत की कि जाए तो 19 फरवरी को जिन 56 सीटों पर मतदान होने जा रहा है, वहां से 2007 के विधान सभा चुनाव में बसपा के खाते में 25, समाजवादी पार्टी के खाते में 14, भाजपा और कांग्रेस के खाते में 7-7 सीटें आईं थीं। अन्य यहां से 04 सीटें निकालने में सफल रहे थे। चौथे चरण में करीब पौने दो करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करके 966 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। इसके लिए 12,821 पोलिंग सेंटर बनाए गए हैं। मतदान शांतिपूर्वक कराने के लिए भारी संख्या में केन्द्रीय सुरक्षा बलों के सिपाहियों के अलावा यूपी पुलिस भी मोर्चे पर लगी है। निष्पच चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहता है। यह और बात है कि वह दागी प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में जाने से नहीं रोक पाया। कुल 966 उम्मीदवारों में से 103 प्रत्याशियों का आपराधिक रिकार्ड है। इसमें से 47 प्रत्याशी ऐसे हैं जिनके ऊपर हत्या, लूट और डकैती के मुकदमे चल रहे हैं। टॉप टेन प्रत्याशियों की बात की जाए तो इसमें लखनऊ मध्य से सपा प्रत्याशी रविदास मेहरोत्रा के खिलाफ कुल 17 मामले, चित्रकूट से सपा के उम्मीदवार वीर सिंह पटेल के खिलाफ 09 संगीन मामले तो कुंडा विधानसभा क्षेत्र से सपा समर्थित निर्दल प्रत्याशी रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ 08, प्रतापगढ़ से जदयू प्रत्याशी बृजेश सौरभ के खिलाफ 07, रायबरेली से पीस पार्टी के उम्मीदवार अखिलेश प्रताप सिंह के खिलाफ 08, लखनऊ कैंट से बसपा प्रत्याशी नवीन चंद्र द्विवेदी के खिलाफ 03, फतेहपुर से सपा के सैय्यद काशिम हसन के खिलाफ 05, रायबरेली से बसपा प्रत्याशी पुष्पेन्द्र के खिलाफ 09, मानिकपुर से बसपा प्रत्याशी चंद्रभान सिंह पटेल के खिलाफ 11 और अयाह विधान सभा क्षेत्र से सपा के आनंद प्रकाश लोधी के खिलाफ 05 मामले दर्ज हैं।
विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को टिकट देने की बात की जाए तो प्रमुख राजनैतिक दलों में सपा ने 54 प्रतिशत, बसपा ने 32 प्रतिशत, भाजपा ने 20 प्रतिशत, कांग्रेस ने 45 प्रतिशत, पीस पार्टी ने 32 प्रतिशत, अपना दल ने 29 प्रतिशत दागी प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं। 19 फरवरी को जिन सीटों पर मतदान होना है उसमें राजधानी लखनऊ की 09, रायबरेली की 05 (नवगठित ऊंचाहार सीट सहित), प्रतापगढ़ की 07, फतेहपुर की 06, हरदोई की 08, कन्नौज की 03, उन्नाव की 06, फर्रूखाबाद की 04, छत्रपति शाहूजी महाराज नगर (अमेठी) की 02, चित्रकूट की 02 तथा बांदा 04 मिलाकर कुल 56 सीटें शामिल हैं। वैसे तो इस चरण में लगभग सभी दलों के नेताओं की किसी न किसी रूप में प्रतिष्ठा जुड़ी है, लेकिन इसमें सबसे कठिन परीक्षा कांग्रेस की होनी है। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली और उनके सांसद पुत्र राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी (सीएसएम नगर) की कुल सात विधान सभा सीटें इसमें शामिल हैं। सोनिया और राहुल के राजनीतिक कद के दम पर 2007 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस ने सात में से पांच सीटें जीती थी। पार्टी के पुराने प्रदर्शन को देखते हुए कांग्रेस को इस बार यहां से काफी उम्मीदें है। इन उम्मीदों को परवान चढ़ाने के लिए प्रियंका गांधी ने विशेष रूप से यहां चुनाव प्रबंधन की कमान संभाल रखी है, वह अपने भाई के साथ मिलकर यहां रोड शो भी कर चुकी हैं। वैसे भी गांधी परिवार से रायबरेली का काफी पुराना नाता रहा हैं। यह पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी और उनके पति फिरोज गांधी की कर्मभूमि और संसदीय क्षेत्र रहा है। कहा यह भी जा रहा है कि राहुल और सोनिया के दबदबे वाली इन छह सीटों के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं रहे तो इसका प्रभाव दिल्ली तक पड़ सकता है।
चौथे चरण में कांग्रेस के दूसरे बड़े गढ़ के रूप में पहचाने जाने वाले प्रतापगढ़ की भी 07 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है। यहां से मैदान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी हैं। प्रतापगढ़ प्रमोद तिवारी का का गृह जनपद होने के साथ-साथ उनका निर्वाचन क्षेत्र भी रहा हैं। यहां की रामपुर खास सीट पर लगातार 28 साल से उनका कब्जा है। 28 वर्षों तक यह सीट अपने कब्जे में रखकर जीत की नयी इबारत लिखने वाले श्री तिवारी के दम पर कांग्रेस यहां अतीत में भी अच्छा प्रदर्शन करती आयी है। इसके साथ ही दबंग राजनेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का निर्वाचन क्षेत्र कुण्डा भी इसी जनपद में आता है। वह प्रमोद को कड़ी चुनौती दे रहे हैं, राजा को सपा का समर्थन मिला है और वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। बात कांग्रेस की ही करी जाए तो चौथे चरण में ही दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के गृह जनपद उन्नाव की सभी विधानसभा सीटों पर भी इसी मतदान होना है। इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कांग्रेस की युवा सांसद अन्नू टंडन कर रही हैं। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का गृह जनपद होने के नाते कांग्रेस को यहां से भी उम्मीद है। बसपा नेता और राज्यसभा सदस्य अशोक पाठक को इन नेताओं से मुकाबला करने अपने प्रत्याशियों को जिताना होगा।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस की एक और बड़ी नेत्री रीता बहुगुणा जोशी भी अपनी किस्मत अजमा रही हैं। कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी के भाग्य का निर्णय राजधानी लखनऊ के कैन्ट विधानसभा क्षेत्र के मतदाता करेंगे। उनका वहां से भाजपा के करोड़पति प्रत्याशी सुरेश तिवारी से मुकाबला दिख रहा है। लखनऊ से 2009 में लोकसभा का चुनाव रीता यहां हार चुकी थीं, फिर भी उनके हौसले पस्त नहीं हुए। इस बार रीता फिर कैंट विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही हैं और जीत के प्रति आश्वस्त हैं। लखनऊ कैंट से ही बसपा के अपराधी प्रत्याशी नवीद द्विवेदी भी ताल ठोंक रहे हैं। लखनऊ मध्य से डेढ़ दर्जन मुकदमों में फंसे सपा प्रत्याशी रविदास मेहरोत्रा को भाजपा के सुरेश चन्द्र श्रीवास्वत तथा कांग्रेस के फाखिर सिद्दीकी से कड़ी टक्कर मिल रही है। फाखिर सिद्दीकी को यहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। यहां से कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रहे सुबोध श्रीवास्तव टिकट चाह रहे थे, लेकिन ऐन मौके पर बाहर से आए फाखिर को टिकट थमा दिया गया। इसके अतिरिक्त प्रमुख उम्मीदवारों में हरदोई सदर से सपा के दिग्गज नेता नरेश अग्रवाल का बेटा नितिन अग्रवाल, हरदोई की संडीला विधान सभा क्षेत्र से अब्दुल मन्नान, पीस पार्टी के टिकट से दबंग विधायक अखिलेश प्रताप सिंह शामिल हैं।
बात बसपा की। चौथे चरण में सतीश मिश्र की भी जमीनी ताकत और ब्राह्मणों पर उनकी पकड़ का अंदाजा बसपा को हो जाएगा। बसपा के कर्णधार माने जाने वाले राज्यसभा सदस्य सतीश चन्द्र मिश्र के गृह जनपद फर्रुखाबाद की 04 विधानसभा सीटों पर चौथे ही चरण में मतदान होना है। वैसे हकीकत यह भी है कि फर्रुखाबाद और कन्नौज का इलाका सपा का गढ़ रहा है। कांग्रेस के केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद भी यहीं से आते हैं। यहां श्री मिश्र को निश्चित रूप से कड़े़ इम्तहान से गुजरना होगा। गौरतलब हो, फर्रुखाबाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव तथा प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव का निर्वाचन क्षेत्र भी रहा है। सपा यहां पर अच्छा प्रदर्शन करती आयी हैं और आगे भी ऐसा हुआ तो इसका विपरीत प्रभाव सतीश मिश्र की राजनैतिक हैसियत पर भी पड़ सकता है। फर्रुखाबाद सदर से ही केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद कांग्रेस के टिकट मैदान में हैं।
बात बुंदेलखंड की कि जाए तो मायावती सरकार के ताकतवर मंत्रियों में शामिल नसीमुद्दीन सिद्दीकी की लोकप्रियता का पैमाना चौथे चरण में उनके गृह जनपद बांदा में तय होगा। यद्यपि नसीमुद्दीन सिद्दीकी सीधे तौर पर चुनाव में नहीं है लेकिन बसपा सुप्रीमो अपने इस मंत्री की जनता में पकड़ का पैमाना उनके गृह जनपद से नापना चाहेंगी। इस इलाके में टिकट वितरण के समय सिददीकी की खूब चली थी। बांदा जनपद की विधानसभा सीटों पर बसपा की दिलचस्पी इसलिए और भी ज्यादा है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में बांदा समेत पूरे बुंदेलखंड में अच्छा प्रदर्शन किया था। पिछली बार नसीमुद्दीन के साथ साथ बाबू सिंह कुशवाहा के प्रभाव ने भी बसपा के लिए काम किया था, लेकिन इस बार बाबू सिंह कुशवाहा भाजपा के साथ हैं और बसपा को उसकी हैसियत बताने में लगे हैं।
चौथे ही चरण में भाजपा में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल नेताओं की सूची में गिने जाने वाले कलराज मिश्र राजधानी लखनऊ के पूर्व विधानसभा क्षेत्र से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनके खिलाफ सपा ने पूर्व मुख्य सचिव अखंड प्रताप सिंह की बेटी जूही सिंह को मैदान में उतारा है। लखनऊ का शहरी इलाका पिछले करीब दो दशक से भाजपा का गढ़ रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई लोकसभा चुनाव में यहां से जीत की हैट्रिक जमा चुके हैं और वर्तमान में लालजी टंडन यहां से सांसद हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में लखनऊ की सभी चार शहरी विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। लखनऊ की बख्शी का तालाब विधान सभा क्षेत्र से बसपा मंत्री नकुल दुबे भी एक बार फिर अपना निर्वाचन क्षेत्र बदल कर नीला परचम लहराने की कोशिश में हैं। चौथे चरण के मतदान में 19 फरवरी को जनता प्रत्याशियों के भाग्य को बैलेट मशीनों में लॉक करेगी तो यह लॉक खुलने का इंतजार मतदाताओं और उम्मीदवारों दोनों को ही 06 मार्च तक करना होगा।
लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार की रिपोर्ट. अजय ‘माया’ मैग्जीन के ब्यूरो प्रमुख रह चुके हैं. वर्तमान में ‘चौथी दुनिया’ और ‘प्रभा साक्षी’ से संबद्ध हैं.