दैनिक जागरण में बम्पर छंटनी अभियान में गोरखपुर में भी तीन पत्रकारों की बलि दे दी गयी. अभी दस और पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखाने की कार्रवाई जारी है. खबर है कि आरडी दीक्षित, बनमाली त्रिपाठी, जितेन्द्र शुक्ल से इस्तीफा लिया गया है. आरडी दीक्षित, गोरखपुर में समीक्षा का कार्य देखते थे. बनमाली त्रिपाठी महाराजगंज में थे और जागरण के धुरंधर पत्रकारों में शुमार थे. जितेन्द्र शुक्ल संत कबीर नगर में रिपोर्टर थे. कहा जा रहा है कि दीक्षित रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन पर थे. जागरण उन्हें समीक्षा के लिए रखा था. महराजगंज में बनमाली त्रिपाठी लिखाड़ रिपोर्टर थे. वहां के ब्यूरो प्रभारी ने अपनी कुर्सी बचाने में बनमाली की बलि दिलवा दी.
इनके अलावा जिन लोगों का नाम छंटनी की लिस्ट में बताया जा रहा है, उनमें देवरिया से संजीव शुक्ला, गोरखपुर से धर्मेन्द्र पाण्डेय, मनोज त्रिपाठी, सतीश शुक्ला, वीरेंद्र मिश्र दीपक, योगेश श्रीवास्तव, बस्ती से दिनेश कसेरा, सिद्धार्थनगर से रितेश वाजपेयी व दीपक श्रीवास्तव तथा महराजगंज में केदार शरण मिश्र का नाम है. इनमें से सतीश शुक्ला और दिनेश कसेरा ने लंबा जैक लगाया है. यहाँ यह भी बताते चले कि गोरखपुर जागरण से शैलेन्द्र मणि के साथ ४५ लोग तो पहले ही जनसंदेश टाइम्स चले गए थे, जिसके बाद जागरण कर्मचारियों के अभाव से जूझ रहा था. बाद के दिनों में वरिष्ठ पत्रकार शम्भू दयाल वाजपेयी और महाप्रबंधक चन्द्रकान्त त्रिपाठी ने भी जागरण की नीतियों से खफा होकर खुद इस्तीफा दे दिया था.
दैनिक जागरण में बम्पर छंटनी अभियान से पत्रकारों के हलक सुख गए हैं. कहा जा रहा है कि छंटनी के लिए अभी हाल ही में हुई परीक्षा को आधार बनाया गया है. परीक्षा में तीन लोग नकल के दोषी पाए गए थे, जबकि तीन लोगों का अंक 30 फीसदी से कम था. कहा जा रहा है कि निकाले जाने की भनक लगते ही जो स्थायी कर्मचारी हैं वे कोर्ट जाने की तैयारी में लग गए हैं. कई लोग यह भी कह रहे हैं कि नाकाबिल साबित हो चुके और चाटुकारिता का पर्याय बने अपने लोगों को बचाने के लिए वे जागरण के निष्ठावान लोगों की विदाई सुनिश्चित कराई जा रही है. स्थानीय सम्पादक उमेश शुक्ला पर यह भी दबाव बनाया जा रहा है कि यदि छंटनी की सूची संशोधित नहीं हुयी तो गोरखपुर में कुछ भी हो सकता है. अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि इनपुट हेड सतीश शुक्ला के इशारे पर चल रहे संपादक ने उन्हें बचाने के लिए मालिकानों से मनुहार की है. जबकि सतीश शुक्ला परीक्षा में फेल हो चुके हैं. छंटनी में भेदभाव को लेकर गोरखपुर के पत्रकारों में काफी रोष है.
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