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भ्रष्‍ट पत्रकारिता (15) : निष्‍पक्ष प्रतिदिन के संपादक के आगे क्‍यों नतमस्‍तक है सरकार?

लखनऊ। क्या यूपी की अखिलेश यादव सरकार सफेदपोश पत्रकार जगदीश नारायण शुक्ल के आगे नतमस्तक हो गई हैं? यह सवाल मीडिया और नौकरशाही को बीते 11 माह से मथ रहा है। इस पत्रकार के फर्जीवाड़े के कारनामों की गूंज विधान सभा में गूंज चुकी है। विधान सभा में मुख्यमंत्री को इस भ्रष्ट पत्रकार के खिलाफ कार्रवाई के लिए आश्वासन देना पड़ा। लगभग 11 माह बीत जाने के बाद लखनऊ के जिलाधिकारी ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

लखनऊ। क्या यूपी की अखिलेश यादव सरकार सफेदपोश पत्रकार जगदीश नारायण शुक्ल के आगे नतमस्तक हो गई हैं? यह सवाल मीडिया और नौकरशाही को बीते 11 माह से मथ रहा है। इस पत्रकार के फर्जीवाड़े के कारनामों की गूंज विधान सभा में गूंज चुकी है। विधान सभा में मुख्यमंत्री को इस भ्रष्ट पत्रकार के खिलाफ कार्रवाई के लिए आश्वासन देना पड़ा। लगभग 11 माह बीत जाने के बाद लखनऊ के जिलाधिकारी ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

बसपा के सदस्य डा. धर्मपाल सिंह द्वारा 11 अप्रैल 2012 को शुरू हुए विधान सभा के प्रथम सत्र में पहले सोमवार को पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि लखनऊ और सीतापुर से प्रकाशित दैनिक निष्पक्ष प्रतिदिन का प्रकाशन पूर्णतया अनियमित एवं अवैध है। मुख्यमंत्री अपने लिखित उत्तर में यह भी अवगत कराया है कि सहकारी समिति के संयुक्त निदेशक दिनेश कुमार शुक्ल ने 23 मार्च 2095 को दि लखनऊ सहकारी प्रेस लिमिटेड 289 चंद्रलोक कालोनी का निबंधन रद्द कर दिया था। 28 फरवरी 2012 को कार्रवाई के लिए संयुक्त निदेशक ने जिलाधिकारी लखनऊ को पत्र लिखा था।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि हिन्दी दैनिक निष्पक्ष प्रतिदिन समाचार पत्र 2007 से अस्तित्व में नहीं है। इस समाचार पत्र के प्रकाशक, मुद्रक और सम्पादक जगदीश नारायण शुक्ल ने सरकार को गुमराह करते हुए वर्ष 2007 से लेकर अप्रैल 2011 तक सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के विज्ञापन मद से 30,50,844,15 लाख रुपए प्राप्त किया है। इसके अतिरिक्त श्री शुक्ला ने प्रदेश और भारत सरकार के अन्य विभागों रेलवे, डीएवीपी, पॉवर कारपोरेशन, आवास विकास, विकास प्राधिकरण व अन्य विज्ञापन मदों में धनराशि प्राप्त कर शासकीय धन की क्षति पहुंचाई है। विज्ञापन के माध्यम से अवैध ढंग से प्राप्त की गई धनराशि की वसूली के लिए 14 मार्च 2012 को पावर कारपोरेशन, राजकीय निर्माण निगम, आयुक्त नगर विकास, पर्यटन विभाग, महाप्रंधक राष्ट्रीय राजमार्ग, लखनऊ विकास प्राधिकरण, मण्डी परिषद के अधिकारियों को पत्र लिखा गया है।

हिन्दी दैनिक निष्पक्ष प्रतिदिन के कथित प्रकाशक, मुद्रक और सम्पादक जगदीश नारायण शुक्ल ने शासन को गुमराह कर धोखाधड़ी और जालसाजी करते हुए भ्रामक सूचनाओं एवं झूठे अभिलेखों के आधार पर विज्ञापन प्राप्त करने और शासन को राजस्व की हानि पहुंचाने के आरोप पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर 16 मार्च 2012 को हजरतगंज थाने में मु0अ0सं096/12 धारा 419/420/467/468 भादवि बनाम जगदीश नारायण शुक्ल के खिलाफ पंजीकृत कराया गया था। इसके अलावा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने लिखित जवाब में कहा है कि  अवध प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड का भवन कमलाबाद, बढ़ौली छठवां मील सीतापुर रोड के बारे में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग ने 14 मार्च 2012 को लखनऊ के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर 6 बिन्दुओं पर एक जांच रिपोर्ट मांगी थी।

बसपा के सदस्य डा. धर्मपाल सिंह ने कहा कि सरकार ने सदन में कार्रवाई का आश्वासन देकर 11 माह का समय बीत जाने के बाद भी अभी तक कुछ नहीं किया है। आरएनआई द्वारा 24 फरवरी 2012 को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए जिलाधिकारी अनुराग यादव ने 20 जून 2012 को इस शर्त पर निष्पक्ष प्रतिदिन का टाइटिल बहाल कर दिया कि तत्काल आरएनआई द्वारा इंगित की गई कमियों को निराकरण कर अवगत कराएंगे। लखनऊ के जिलाधिकारी अनुराग यादव ने इस संबंध में कोई भी प्रतिक्रिया व्यक्त करने से मना कर दिया। सूत्रों का कहना है कि जिलाधिकारी ने इस टाइटिल को एक 'बड़े मंत्री' के कहने पर बहाल किया है। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के निदेशक प्रभात मित्तल से सम्पर्क किए जाने पर प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।

पत्रकार जगदीश नारायण शुक्ल करोड़ों रुपए की चल-अचल सम्पत्ति के मालिक हैं। यह खुलासा 18 जनवरी 2012 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के टिकट पर सेउता विधान सभा सीट से चुनाव लडऩे के लिए निर्वाचन आयोग को दिए गए हलफनामे से हुआ है। इसके तहत वित्त वर्ष 2011-12 में श्री शुक्ल और उनकी पत्नी ने 5,20,078 रुपए का आयकर दाखिल किया है। श्री शुक्ल और उनकी पत्नी ने 200 ग्राम सोना जिसका मूल्य लगभग 5,60,000 और चांदी आधा किलो जिसका मूल्य 30,000 दर्शाया गया है। 2006 में श्री शुक्ल ने कमलाबाद, बढ़ौली छठवां मील सीतापुर रोड पर 7.50 एकड़ कृषि भूमि और 60,000 वर्ग फीट का आवास 2,48,000 रुपए में खरीदने का उल्लेख किया गया है। 1989 में अलीगंज चंद्रलोक कालोनी में आवास संख्या 289 और 2008 में नोएडा में सुपरटेक हाउसिंग इंदिरा पुरम में क्रमश: 26,000 और 52,00,000 में खरीदे गए हैं। इस तरह श्री शुक्ल ने कुल 6 करोड़ 84 लाख रुपए की घोषित की है। इससे आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि कुछ लोगों के लिए पत्रकारिता एक सबसे कमाऊ पेशा बन गया है।

त्रिनाथ के शर्मा की रिपोर्ट. यह रिपोर्ट दिव्‍य संदेश में भी प्रकाशित हो चुकी है.

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