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एक न्यूज चैनल में भड़ैती के कुछ सीन (पार्ट एक)

'चांपना न्यूज' में यूं तो न्यूज के नाम पर भड़ैती का नंगा नाच संपादक के रूप में कार्यरत सिंह साहब की विदाई और सीईओ शर्मा जी (आदमी कम भांड़ जादा) की एंट्री के साथ शुरू हो गया था। लोग जानने और समझने भी लगे थे। लेकिन आपसी गुटबाजी, टॉप मैनेजमेंट के तलवे चाट कर अपने समकक्ष की छीलने का अधिकार हासिल करने का लालच ने उन सबकी समझ पर पर्दा डाल दिया। नए संपादक के आने के बाद लगा था कि ब्लैकमेलिंग की डगर पर बढ़ रहे चैनल को अब नई राह मिलेगी, लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ। यह समझ से परे की बात है क्योंकि नए संपादक, जो वरिष्ठ पत्रकार के रूप में विख्यात हैं, ब्लैकमेलिंग के धंधे में तो शामिल नहीं हो सकते। चलिए, नए संपादक की ज्वाइनिंग से पहले और बाद की कुछ बैठकों और 'चांपना न्यूज' चैनल के भीतरी दृश्यों का कोलाज यहां दिखाते हैं….

‘चांपना न्यूज’ में यूं तो न्यूज के नाम पर भड़ैती का नंगा नाच संपादक के रूप में कार्यरत सिंह साहब की विदाई और सीईओ शर्मा जी (आदमी कम भांड़ जादा) की एंट्री के साथ शुरू हो गया था। लोग जानने और समझने भी लगे थे। लेकिन आपसी गुटबाजी, टॉप मैनेजमेंट के तलवे चाट कर अपने समकक्ष की छीलने का अधिकार हासिल करने का लालच ने उन सबकी समझ पर पर्दा डाल दिया। नए संपादक के आने के बाद लगा था कि ब्लैकमेलिंग की डगर पर बढ़ रहे चैनल को अब नई राह मिलेगी, लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ। यह समझ से परे की बात है क्योंकि नए संपादक, जो वरिष्ठ पत्रकार के रूप में विख्यात हैं, ब्लैकमेलिंग के धंधे में तो शामिल नहीं हो सकते। चलिए, नए संपादक की ज्वाइनिंग से पहले और बाद की कुछ बैठकों और ‘चांपना न्यूज’ चैनल के भीतरी दृश्यों का कोलाज यहां दिखाते हैं….

पहली मीटिंगः

“एमपी-छत्तीसगढ, बिहार-झारखण्ड और यूपी-उत्तराखण्ड तीनों ही चैनलों की मॉर्निंग मीटिग्स का मुद्दा कंटेंट क्वालिटी से बदल कर करैंसी क्वांटिटी हो गया। मीटिंगो में सारी बातें सुनने के बाद सीईओ शर्मा कहता है- …यू सी रमेश, सॉरी महेश, ऐसी स्टोरीज को चलाने से क्या फायदा जिनका असर बड़ी मछलियों पर होगा ही नहीं… हम चैनल चला रहे हैं कोई एनजीओ नहीं चला रहे हैं…और एनजीओ का भी चलाने के लिए पैसा जरूरी होता है…वो पैसा सरकार ही देती है…कम से कम ऐसा तो हो सरकार हमें वो पैसा तो दे…रमेश, नीतीश कुमार को खींचो…खींचो नीतीश कुमार को…जम कर चलाओ साल्ले के खिलाफ…कुछ भी मिले ठांस के दिखाओ…स्टिंग करवाओ…हम पटना गए तो उसने हमें भाव ही नहीं दिया…साल्ले दूध के धुले नहीं हैं…एक दो स्टोरी चलेगी खुद साले नीचे आएंगे…फिर भी देंगे सरकारी भी देंगे और गैर सरकारी भी, क्यों रीता (उत्तरप्रदेश-उत्तराखण्ड का एसाइनमेंट देखती हैं) उत्तराखण्ड के बारे मे बताया करो यार…इनको ये भी वैसा की फॉलो करें…।

सीईओ शर्मा फिर सभी को एक साथ सम्बोधित करते हुए कहता- देखो मेडिकल पर स्टोरीज करो सब लोग, स्ट्रिंगरों को अपने रिपोर्टर्स को मेल करो कि अपने नजंदीक के सरकारी अस्पतालों का स्टिंग करें, स्टोरी मंगा लो….बैंक करलो…ये सभी चैनल करेंगे। सभी हेड्स यह श्योर करेंगे कि मेडिकल की स्टोरी़ज आएं…मेडिकल में बहुत पैसा है…मोबाइल वैन्स, मोबाइल हॉस्पीटल्स के लिए हजारों करोड़ रुपया दिया गया है…अंजू तुम उत्तराखण्ड पर लगो…ठांस के मंगाओ..ठांस के दिखाओ। यू सी दिग्विजय जी, जब मैं भोपाल में शिवराज जी के साथ था, उन्होंने मुझे यह सब बताया…सैकड़ों-हजारों करोड़ रुपया आया है…हमारी हैल्थ मोबाइल वैन्स चलती हैं न उनके वनवासी कल्याण कार्यक्रम में…तो हम सारे स्टेट्स में एक साथ स्टोरीज चलाएंगे…इसका एक प्रोग्राम बनालो सभी चैनलों में एक साथ दिखाओ…क्यों रमेश क्या टेक्स्ट दोगे…जी दावों की हकीकत…

दावों की हकीकत से कुछ क्लियर नहीं हुआ…

अर्रे सर्र हम दिखाएंगे करोरों रुपया हजम कड गए और हेल्थ सुविधाएं जसकी तस हैं..पहले स्टिंग कराएंगे फिर बाइट लेंगे…साला सीएमओ कडेगा जैसा आप कहिएगा…

नहीं…नहीं रमेश…इसमें हेल्थ मिनिस्टर को इनवॉल्व  करो…चीफ मिनिस्टर को इनवॉल्व  करो पहले कुछ सप्लायर्स को पकड़ो, कॉन्ट्रैक्टर्स को पकड़ो,सारे स्टिंग वो करा देंगे…

सर, कॉन्ट्रैक्टर्स कैसे हमें स्टोरी देगा जब वो खुद खा रहा है…

कर दी न रमेश तुमने भी वोई बात…

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अरे, अपने रिपोर्टर को बोलो, उसे पकड़े जिसे कॉंन्ट्रैक्ट नहीं मिला… जिसे सप्लाई नहीं मिली…सब बताएंगे कि कब कहां रासलीला मनाई जा रही है…कहां शबाब-कबाब का खेल चल रहा है…मैं आपको बता रहा हूं रमेश जी अस्पतालों और गंदगी के विजुवल्स दिखा कर आपको रेवेन्यू नहीं मिलेगा…

सर…ये दिखा देंगे  तो, रेव्हेन्यू क्यों देगा…साला गोली मारेगा या केस ठोंक देगा..

ट्टट्टट्टट…टट्टट्टट…रमेश-रमेश तुम तो वेबकूफों जैसी बातें  कर रहे हो…स्टिंग तो करवाओ…स्टिंग हुआ है… यह सिर्फ जानकारी पहुंचानी है उन तक चलाना किसे है, तभी तो वो दिस वे ऑर दैट वे रेवेन्यू देंगे और हमारी स्टोरी को जस्टीफाई करते हुए बाइट भी देंगे… अभी नहीं समझे तो फिर से समझाऊं…

मगर्र सर्र स्टिंगर्स-रिपोर्टर्स पूछेगा तो क्या कहेंगे..

बोलो, उसको जब ठीक समय  आ जाएगा, चला देंगे…देखो यार रमेश तुम भी जानते हो, सब जानते हैं ये कि स्टिंगर्स-रिपोर्टर्स क्या करते हैं फील्ड में, बस इस सिस्टम को सिस्टेमाइज करना है।…और जादा कुछ है तो स्टिंगर्स-रिपोर्टर्स का कमीशन फिक्स्ड कर देते हैं रेवेन्यू पर…

ठीक सर्र…ये ठीक रहेगा…स्टिंगर्स-रिपोर्टर्स को कमीशन मिलेगा तो वो कर देगा…और सर्र टेक्स्ट तो दावों की हकीकत बिल्कुल  फिट है…पहले बाइट लेंगे कितना पैसा आया कितना खड्च हुआ, कहां खड्च हुआ…फिर अस्पतालों की व्हिजुअल्स-बाइट…स्टिंग…फिर मंत्री-मुख्य मंत्री की बाइट…

ओके…रमेश टेक्स्ट तुम जैसा समझो…या सभी हेड्स मिल कर डिसाइड करलो। इसका प्रोमो, स्टिंग जैकेट बनाकर  मुझे मेल करो कब से ऑन एयर  कर रहे हो…और हां ध्यान  रखना डीलिंग में स्टिंगर्स-रिपोर्टर्स इनवॉल्व न रहें, वो हम अपने स्तर से करेंगे..एमआई राइट मयंक जी…

मयंक जी सिर हिला कर मंजूरी दे देते हैं”

दूसरी मीटिंग

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तीनों चैनल्स के सभी हेड्स, लौंडा मालिक मयंक कुमार, भांड (सीईओ) शर्मा और विजय सिंह

न्यूज स्टोरी की बातें खत्म होने के बाद- भांड उवाच-

“ मे आय से समथिंग मयंक जी ….

जी, यस्स प्लीज

सबसे पहले मैं आप लोगों को एपरीशिएट करूंगा कि आप लोग मैनेजमेंट के निर्देशों को बहुत अच्छी तरह से इम्पलीमेंट और एक्जीक्यूट कर रहे हैं बावजूद इसके अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है…हमारे स्टिंगर्स-रिपोर्टर्स से आने वाला मंथली रेवेन्यु लगातार कम होता जा रहा है और स्टिंगर्स-रिपोर्टर्स के खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं जो चैनल पर एक अन-नेसेसरी बोझ है, मैं आप लोगों से यह जानना चाहता हूं कि ये बोझ भी कम हो जाए और चैनल भी स्मूथली चलता रहे…

बीच में बात काट कर लौंडा मालिक मयंक कुमार कहते हैं- शर्मा जी, भोपाल वाला झकास तिवारी का फार्मूला सभी जगह लागू नहीं कर सकते क्या..

जी…जी मैं उसी पर आ रहा  हूं, तो बात ये है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ में हम लोगों  ने पुरानी व्यवस्था की जगह एक नया सिस्टम लागू किया है। सभी जिलों-तहसीलों के रिपोर्टर और स्टिंगर्स से कहा गया है कि अक्टूबर ऑनवर्डस न्यूज कलेक्शन की मद में कोई एक्सपेंसेज नहीं दिए जाएंगे सभी स्टिंगर्स-रिपोर्टर्स को मंथली रेवेन्यू टारगेट भी पूरा करना होगा। इसी रेवेन्यू से वो अपने खर्चे निकालेंगे और चैनल को भी पैसा देंगे। इसके अलावा एक फिक्स्ड अमाउंट हर स्टिंगर्स-रिपोर्टर्स को डिपोजिट करनी होगी। मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में ये मिनिमम फिफ्टी थाउजेंड फिक्स्ड है। झकास तिवारी ने सब जगह मीटिंग ली है, बहुत अच्छा रेस्पॉंस मिल रहा है। लोग डिपॉजिट करवा रहे हैं। क्यों यूपी-बिहार के लिए कितना रखा जाए…मिनिमम वन लैख…

मीटिंग में सन्नाटा  फिर एक दूसरे की तरफ देख  कर सभी बोले नहीं सर…बहुत जादा हो जाएगा…

तो 75 फिक्स्ड किया जाए…

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नहीं सर ये भी जादा है- उत्तरप्रदेश-उत्तराखण्ड में कुछ दिन पहले शामिल चोटी-दाढ़ी शर्मा ने कहा…

तो बताइये फिफ्टी फिक्स्ड किया जाये। रमेश और महेश ने सिर हिला दिया। सीईओ शर्मा ने चोटी-दाढ़ी शर्मा से बोला- आपसे कुछ नए लोगो को अपाइंट करने के लिए कहा गया था, कहां-कहां अपाइंट हो गए, उन्हें कब बुलाया है नोएडा। बीच में लौंडा मालिक मयंक कुमार ने फिर टोका, और बोले, अगर फिफ्टी थाउजेंड भी जादा हैं तो, चोटी-दाढ़ी शर्मा आप भी नोट कर लीजिये डिस्ट्रिक हेड क्वार्टर फिफ्टी, बडी तहसील 35 और 25 छोटी तहसील। इससे कम कुछ नहीं होगा।

भाँड शर्मा ने फिर बोलना शुरु किया- अब इससे कम कुछ नहीं होगा। मयंक जी ने जो कह दिया वो आखिरी शब्द हैं। अब कोई कहता है कि क्या करेगा, कैसे लाएगा, ब्लैक मेलिंग करेगा नहीं करेगा, हमें नहीं मालूम, हमारे पास बस कम्प्लेन्ट नहीं आनी चाहिए। हमे हर महीने टारगेट अचीव्ड चाहिए। जो नहीं कर सकते हैं उनसे आईडी वापस मंगा लीजिए। नए लोग अपाइंट करिए। आईडी जमा नहीं करें तो एफआईआर दर्ज करवाने के लिए बोलिए नए लोगों से उनके खिलाफ। पुराने लोग पैसा मांगे तो कह दीजिए हिसाब-किताब देखा जा रहा है। फायनल होने पर चेक से पेमेंट पहुंच जाएगा एकाउंट में। नए लोगों को अपाइंट करना और उनसे रेवेन्यू डिपॉजिट करवाना ये आप सभी हेड्स की जिम्मेदारी है। अगर आप भी ये काम नहीं कर सकते हैं तो बताइये आप की जगह ये काम करने वालों को हायर किया जाए।”

तीसरी मीटिंग

न्यूज की सारी बातें हो चुकी थीं…. मध्यप्रदेश के एक साथी ने बताया कि कैलाश विजयवर्गीज के खिलाफ- भाँड बोला…. किसने रोका उनके खिलाफ खबर चलाने से- मामला जादा बडा हो तो स्टिंग भी करवालो…”

…शेष अगले अंक में…

चैनल का नाम और चैनल के चरित्रों का नाम बदल दिया गया है. घटनाक्रम पूरी तरह सही है.


इसके बाद के पार्ट्स पढें-

अथश्री चांपना न्यूज इंटरनल कथा

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