जयपुर। "जस्ट जयपुर" प्रकाशन मामले में अपर जिला एवं न्यायाधीश न्यायालय, (क्रम-पांच) जयपुर महानगर ने राजस्थान पत्रिका के अस्थायी निषेधाज्ञा प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि "जस्ट जयपुर" राजस्थान पत्रिका का एक परिशिष्ट मात्र है, स्वतन्त्र इकाई नही है जबकि विनय जोशी द्वारा प्रकाशित "जस्ट जयपुर" एक अँग्रेज़ी भाषा की पत्रिका है जो अपने आप में एक स्वतन्त्र इकाई है, लिहाजा अस्थाई निषेधाज्ञा नहीं दी जा सकती।
राजस्थान पत्रिका प्राइवेट लिमिटेड ने अपर जिला एवं न्यायाधीश न्यायालय, क्रम-पांच (जयपुर महानगर) विष्णु दत्त शर्मा के यहां प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर कथित किया था कि विनय जोशी द्वारा किया गया प्रकाशन पासिंग ओफ की श्रेणी में आता है क्योंकि प्रार्थी कंपनी लॉ-फुल प्रोप्राइटर है। अप्रार्थी विनय जोशी ने जवाब प्रस्तुत कर किया कि प्रार्थी कंपनी राजस्थान पत्रिका के पास "जस्ट जयपुर" के नाम से कोई रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क नही है। प्रार्थी कंपनी राजस्थान पत्रिका को "जस्ट जयपुर" के संबंध में कोई विधिक अधिकार भी प्राप्त नही है। रजिस्ट्रार आफ न्यूज़पेपर ऑफ इंडिया (आर. एन. आई.) द्वारा "जस्ट जयपुर" के प्रकाशन संबंध में अप्रार्थी विनय जोशी के पास समस्त विधिक अधिकार प्राप्त है।
कोर्ट ने कहा कि "जस्ट जयपुर" राजस्थान पत्रिका से पृथक इकाई न होकर उसका भाग है। अतः ऐसी स्थिति में प्रार्थी के अख़बार को राजस्थान पत्रिका के नाम से जाना जाता है ना कि "जस्ट जयपुर" नाम से। अतः "जस्ट जयपुर" ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 की धारा 2 (जेड बी) के अनुसार प्रार्थी राजस्थान पत्रिका का ट्रेडमार्क नहीँ है। प्रार्थी के अख़बार का नाम राजस्थान पत्रिका है व अप्रार्थी की पत्रिका का नाम "जस्ट जयपुर" है। अतः ऐसी स्थिति में यह नहीँ कह सकते कि दोनोँ पक्षोँ द्वारा एक ही नाम से प्रकाशन किया जा रहा है। "जस्ट जयपुर" राजस्थान पत्रिका का एक परिशिष्ट मात्र है, स्वतन्त्र इकाई नहीँ है जबकि अप्रार्थी विनय जोशी द्वारा प्रकाशित "जस्ट जयपुर" एक अँग्रेज़ी भाषा की पत्रिका है जो अपने आप में एक स्वतन्त्र इकाई है।