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इस साल 15 फीसदी बढ़ेगा मीडिया-मनोरंजन का बाजार

बीते वर्ष भारतीय मीडिया एवं मनोरंजन (एमऐंडई) उद्योग का आकार 72,800 करोड़ रुपये से बढ़कर 82,100 करोड़ रुपये हो गया। मंगलवार को मुंबई में आयोजित हुए सालाना मीडिया और मनोरंजन कॉनक्लेव के 14वें संस्करण के मौके पर पेश की गई रिपोर्ट में यह बात सामने आई।

बीते वर्ष भारतीय मीडिया एवं मनोरंजन (एमऐंडई) उद्योग का आकार 72,800 करोड़ रुपये से बढ़कर 82,100 करोड़ रुपये हो गया। मंगलवार को मुंबई में आयोजित हुए सालाना मीडिया और मनोरंजन कॉनक्लेव के 14वें संस्करण के मौके पर पेश की गई रिपोर्ट में यह बात सामने आई।

फिक्की-केपीएमजी द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2012 में उद्योग की सालाना वृद्धि दर 12.6 फीसदी रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने हाल में जो नीतिगत कदम उठाए हैं, उनसे आर्थिक मोर्चे पर सुधार की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल उद्योग का आकार 11.8 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 91,700 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इसके पीछे डिजिटलीकरण, क्षेत्रीय मीडिया का लगातार विस्तार, आगामी आम चुनाव, फिल्म बाजार में मजबूती और नए मीडिया का तेजी से हो रहा प्रसार जिम्मेदार है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2017 तक सालाना 15.2 फीसदी की सीएजीआर की वृद्घि के साथ इस क्षेत्र का का आकार बढ़कर 1,66,100 करोड़ रुपये हो जाएगा। केपीएमजी में मीडिया और एंटरटेनमेंट के प्रमुख जेहिल ठक्कर ने कहा, 'बीता साल बेहद चुनौतीपूर्ण था। खासतौर से विज्ञापनों के मामले में। हालांकि नए मीडिया जैसे कई क्षेत्रों में तेजी भी देखने को मिली। इसी साल टीवी वितरण कारोबार में एफडीआई और डिजिटलीकरण जैसे फैसले हुए। इन फैसलों से उद्योग को 15 फीसदी की अनुमानित वृद्घि हासिल करने में मदद मिलेगी।Ó

केपीएमजी ने कहा कि डिजिटल तकनीक, ब्रॉडबैंड और डिजिटल सिनेमा के प्रसार, स्मार्टफोन के बढ़ते चलन और नियामकीय ढांचा कई क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा दे रहा है। इससे विज्ञापनदाताओं, मीडिया और दूरसंचार कंपनियों सभी का फायदा है।

टेलीविजन

टेलीविजन के मामले में केपीएमजी का यही मानना है कि केबल के डिजिटलीकरण से मल्टी सिस्टम ऑपरेटर्स (एमएसओ) और चैनलों का ग्राहक राजस्व बढ़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है, 'इससे कैरिज शुल्क का चलन घटने की उम्मीद है, जिससे नए चैनलों को शुरू करने की गुंजाइश बढ़ेगी। दर्शकों की संख्या मापने का पैमाना दुरुस्त होने से शायद चैनलों को मिलने वाले विज्ञापनों की तस्वीर बदल सकती है।'

केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012 से 2017 के दौरान टेलीविजन बाजार में सालाना 18 फीसदी की बढ़ोतरी होगी और इसका आकार मौजूदा 37,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 84,800 करोड़ रुपये हो जाएगा। ठक्कर ने बताया, 'अगर 2012 में शुरू हुई पहल तार्किक रूप से परिणति तक पहुंचती है तो अगले पांच वर्षों में टेलीविजन उद्योग की तस्वीर बदल जाएगी। उद्योग की ग्राहकों से कमाई बढ़ेगी, जिससे उसे स्थायित्व मिलेगा। दीर्घ अवधि में उद्योग की सेहत के लिहाज से डिजिटलीकरण बेहद अहम है।'

प्रिंट

रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2012 में भारतीय प्रिंट मीडिया उद्योग की वृद्घि 7.3 फीसदी रही। वर्ष 2012 में इसका आकार बढ़कर 22,400 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि पिछले साल इसकी वृद्घि अनुमान से कम रही। देश की वृहद आर्थिक स्थिति की खस्ता हालत का असर प्रिंट उद्योग पर भी नजर आया क्योंकि यह विज्ञापनों पर हद से ज्यादा निर्भर नजर रहा। वैसे 2012 में प्रिंट उद्योग के सर्कुलेशन यानी ग्राहकों से होने वाली कमाई में काफी तेजी आई जो वर्ष 2011 में महज 3.8 फीसदी बढ़ी थी तो वर्ष 2012 में उसकी वृद्घि 7.1 फीसदी रही।

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रिपोर्ट में उल्लेख किया गया, 'यह नए संस्करणों की पेशकश और पहले से चली आ रहे संस्करणों की कीमतों में बढ़ोतरी से हुआ। हालांकि यह उद्योग शायद विभिन्न कीमतों वाला मॉडल ही चालू रखे, जिसमें स्थापित बाजारों में कीमतों में तेजी और छोटे शहरों के जिन बाजारों में वे दाखिल हो रहे हैं, उनमें कीमतों में कमी रखें।' रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012 से 2017 के दौरान 8.7 फीसदी की सीएजीआर की वृद्घि के साथ इसका आकार 34,000 करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा। ठक्कर ने कहा, 'विज्ञापन राजस्व पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता से वर्ष 2012 में प्रिंट उद्योग की वृद्धि दर कम रही। राष्ट्रीय स्तर के बाजार में समीकरण बदल रहे हैं लेकिन क्षेत्रीय बाजार में अब भी बहुत संभावनाएं नजर आ रही हैं। हमें इस साल भी लगता है कि क्षेत्रीय बाजार ही वृद्धि का इंजन बना रहेगा।'

फिल्म वर्ष 2012 फिल्मों के लिहाज से बेहद शानदार साबित हुआ। इस दौरान थियेटरों से होने वाली कमाई सालाना आधार पर 23.8 फीसदी बढ़ी, जिसका फिल्म उद्योग के 11,240 करोड़ रुपये के कारोबार में 76 फीसदी हिस्सा रहा। उद्योग की पहुंच का दायरा बढ़ाने में डिजिटल वितरण तंत्र का अहम योगदान रहा। इस उद्योग ने छोटे शहरों और कस्बों तक अपनी पहुंच बनाई है। वर्ष 2017 तक 11.5 फीसदी की सीएजीआर की वृद्घि के साथ इस उद्योग का आकार 19,330 करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान है। रिपोर्ट में रेडियो, संगीत और न्यू मीडिया जैसे क्षेत्रों पर भी व्यापक रोशनी डाली गई है और माना है कि आने वाले वक्त में इनका तेजी से विकास होगा। इन क्षेत्रों में भी व्यापक संभावनाओं जताई गई हैं। (बीएस)

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