जिनेवा : एक अभियान समूह ने कहा है कि इस साल कम से कम 106 पत्रकार मारे गए जिनमें से 20 पत्रकार अरब विद्रोह के दौरान मारे गए हैं। जिनेवा स्थित प्रेस इंब्लेम केंपेन (पीईसी) के अनुसार मिस्र, लीबिया, सीरिया, ट्यूनीशिया और यमन सहित कई देशों में 100 से ज्यादा अन्य पत्रकारों पर हमले किए गए और उन्हें प्रताड़ित, गिरफ्तार तथा घायल किया गया। बहरहाल मेक्सिको और पाकिस्तान काम के लिहाज से सबसे खतरनाक देश हैं।
पीसीई ने कहा कि मेक्सिको में मारे गए 12 पत्रकार देश के उत्तर में सेना और नशीले पदार्थ तस्करों के बीच चल रहे संघर्ष में मारे गए हैं। इस क्रम में दूसरा नंबर पाकिस्तान का है, जहां 11 पत्रकारों की हत्या की गई। उनमें से अधिकतर अफगानिस्तान से लगती सीमा पर मारे गए। कर्नल मुअम्मर कज्जाफी के खिलाफ की गई कार्रवाई के दौरान सात पत्रकारों की मौत हुई। पीईसी का कहना है कि दो तिहाई पत्रकारों की हत्या जानबूझकर की गई खासकर लातिन अमेरिका में जहां प्रेस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है। पिछले साल 105 पत्रकार मारे गए थे। समाचार एजेंसी एएफपी से साभार