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अशोक पांडेय ने किया नेटवर्क10 का बेड़ा गर्क

कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। नेटवर्क 10 की लांचिंग से पहले ही आसार दिखने लगे थे कि आने वाले वक्त में इसकी हालात खस्ता होने वाली है। चैनल प्रबंधन ने मालिकों को शुरुआत में बड़े बड़े सपने दिखाए, उन सपनों के आगोश में आकर ही चैनल मालिकों ने नेटवर्क 10 को खड़ा करने के लिए जमकर पैसे लुटाए। शिमला बाईपास पर एक नई बिल्डिंग में चैनल का आफिस खोला गया। न्यूज़ रूम से लेकर, पीसीआर, आईटी और तमाम आफिस शानदार तरीके बनाए गए। 

कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। नेटवर्क 10 की लांचिंग से पहले ही आसार दिखने लगे थे कि आने वाले वक्त में इसकी हालात खस्ता होने वाली है। चैनल प्रबंधन ने मालिकों को शुरुआत में बड़े बड़े सपने दिखाए, उन सपनों के आगोश में आकर ही चैनल मालिकों ने नेटवर्क 10 को खड़ा करने के लिए जमकर पैसे लुटाए। शिमला बाईपास पर एक नई बिल्डिंग में चैनल का आफिस खोला गया। न्यूज़ रूम से लेकर, पीसीआर, आईटी और तमाम आफिस शानदार तरीके बनाए गए। 

 
नेटवर्क 10 के आफिस में जाने के बाद ये अहसास होता था मानो किसी बड़े चैनल के न्यूज रूम में आ गए हों। लेकिन कुछ ही महीने बाद इस चैनल का बंटाधार हो गया। इस चैनल को बर्बाद करने के पीछे प्रबंधन के लोग खुद ही जिम्मेदार है। जिन लोगों के कंधों पर चैनल चलाने की जिम्मेदारी दी गई है उन्हें चापलूसी के अलावा कुछ आता ही कहां है। चैनल प्रबंधन में ऊंचे ओहदे पर बैठे लोगों ने इस चैनल के लिए कभी मन से काम किया ही कहां है। जिस चैनल की कोई पालिसी ही नहीं है भला वो कामयाब कैसे होता। अब आपको इस चैनल के शेड्यूल के बारे में बताते हैं। 
 
इस चैनल में ऊंचे ओहदे पर काम कर रहे ज्यादातर लोग देहरादून से ही ताल्लुक रखते हैं। ये वो लोग हैं जिन्हें नेताओं की चापलूसी के अलावा कुछ नहीं आता है। ड्यूटी से ये अक्सर नदारद रहते हैं और हुक्म अपने जूनियरों पर चलाते हैं। चैनल में ऐसे कई चेहरे हैं जो दूसरे चैनलों के साथ भी काम कर रहे हैं और यहां से भी मोटी सैलेरी उठा रहे थे। नेटवर्क 10 के मालिकों ने जिस हिसाब से पैसा खर्च किया है, अगर उसे सही प्लानिंग के साथ इस्तेमाल किया जाता तो ये चैनल जरूर सक्सेस होता, लेकिन कामचोरों की फौज ने इस चैनल का बेड़ा गरक कर दिया। 
 
न्यूज हेड ऐसे लोगों को बना दिया गया जिन्हें खुद खबरों की परख नहीं हैं। एंकरिंग वो लोग कर रहे हैं जिन्हें ढंग से बोलना तक नहीं आता है। देहरादून में रिपोर्टिंग के लिए ऐसे पत्रकार रखे गए हैं जिन्हें सिर्फ कैमरे के सामने ही चमकने का शौक है। ऐसे हालात में भला कोई क्‍या काम कर पाएगा, इस चैनल में दिल्ली से काफी लोग गए थे, पर सैलेरी के संकट को देखते हुए ज्यादातर लोग दिल्ली वापस लौट आए हैं। इसके अलावा कुछ लोग चंडीगढ़ और कुछ ग्वालियर और आगरा के सी न्यूज का रूख कर रहे हैं।
 
नेटवर्क 10 के कर्मचारियों को अभी भी सैलरी नहीं मिली है, जिस कारण सभी कर्मचारियों ने मालिक के भारत कन्ट्रक्शन के ऑफिस के बाहर धरना दिया। वहीं थोडी देर बाद चैनल के कर्ताधर्ता अशोक पाण्डेय आए और सभी को जल्द ही सैलरी देना का आश्वासन दिया और कहा कि पोस्ट डेटेड चेक ले लो, और चैनल छोड दो। जिसके बाद तमाम लोगों ने चैनल छोड़ने का मन बना लिया है, जो लोग सैलरी नहीं लेंगे उनकी नौकरी बची रहेगी। इस चैनल का बेड़ा गर्क करने के सबसे बड़े जिम्‍मेदार अशोक पांडेय है। वहीं चैनल के मालिक अभी भी स्थिति स्पष्ट करने को राजी नहीं हैं कि आखिर उनके बीच और पाण्डेय जी के बीच डील क्या हुई है।
 
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
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