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पत्रकार पाठक मर्डर मिस्ट्री तीन साल बाद भी अनसुलझी

बिलासपुर : 19 दिसंबर 2010 की रात को हुए पत्रकार सुशील पाठक के मर्डर को 3 साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक पुलिस उनकी मर्डर मिस्ट्री को सुलझा नहीं पाई है. गौरतलब है कि सुशील की उनके सरकंडा स्थित मकान से कुछ ही दूरी पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. दैनिक भास्कर के पत्रकार व प्रेस क्लब के तत्कालीन सचिव सुशील पाठक की हत्या को 3 साल बाद भी पुलिस केस को नहीं सुलझा पाई है. बीते 26 महीने से ये मामला सीबीआई के पास है.

बिलासपुर : 19 दिसंबर 2010 की रात को हुए पत्रकार सुशील पाठक के मर्डर को 3 साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक पुलिस उनकी मर्डर मिस्ट्री को सुलझा नहीं पाई है. गौरतलब है कि सुशील की उनके सरकंडा स्थित मकान से कुछ ही दूरी पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. दैनिक भास्कर के पत्रकार व प्रेस क्लब के तत्कालीन सचिव सुशील पाठक की हत्या को 3 साल बाद भी पुलिस केस को नहीं सुलझा पाई है. बीते 26 महीने से ये मामला सीबीआई के पास है.

वारदात के बाद पुख्ता जांच और आरोपियों तक पहुंचने का दावा करने वाली पुलिस के सारे तंत्र फेल हो चुके हैं. वहीं लोकल पुलिस के बाद रायपुर से आई स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम भी इस मामले में कुछ नहीं कर सकी. पुलिस ने इस पूरे मामले में संदेह के चलते बादल खान को गिरफ्तार किया था लेकिन पुलसि उस पर लगाए आरोप साबित नहीं कर पाई. जिसके चलते बादल खान का कोर्ट में चालान भी पेश नहीं हो सका.

28 दिसंबर 2010 को पुलिस मुख्यालय ने जांच के लिए रायपुर से स्पेशल टीम भेजी. इस टीम के सामने आरोपी बादल अपने बयान से मुकर गया. सुशील के परिजन व पत्रकारों की मांग पर मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने घटना की जांच सीबीआई से कराने की घोषणा की. 14 सितंबर 2011 से ये केस सीबीआई के पास है. लेकिन 26 महीने गुजर गए पर जांच एजेंसी के हाथ अभी तक कोई सुराग नहीं मिला. 

सीबीआई पर से पीड़ित परिवार के लोगों को भरोसा तब उठ गया जब इसके अफसर व प्राइवेट जासूस एक संदेही से रिश्वत लेते पकड़े गए. इतना ही नहीं हत्याकांड की जांच टीम में शामिल एएसआई लक्ष्मीनारायण को सीबीआई भिलाई विंग ने 23 अगस्त 2012 को जमीन कारोबारी रामबहादुर नागर को केस से बाहर निकालने के नाम पर दो लाख रुपए लेते रंगे हाथों पकड़ा. इस मामले में बिचौलिये की भूमिका निभा रहे प्राइवेट जासूस तपन गोस्वामी को भी पकड़ा गया. उसके घर से दो लाख रुपए बरामद किए गए हैं.

एएसआई ने 8 लाख रुपए बतौर रिश्वत मांगी थी. यह रकम 2-2 लाख रुपए की किश्तों में दी जानी थी. नागर ने सीबीआई से शिकायत की थी. इसके बाद टीम में फेरबदल हुआ. सीबीआई की दूसरी टीम अभी भी मामले की तह तक जाने में जुटी है लेकिन खाली हाथ है. पत्रकार सुशील पाठक हत्याकांड का खुलासा और हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं होने के विरोध में बिलासपुर के सभी पत्रकार 19 दिसंबर को काला दिवस मना रहे हैं. इस दौरान शाम 4 बजे प्रेस क्लब में श्रद्धांजलि सभा होगी.जरूरी निर्देश भी दिए हैं. सीबीआई निदेशक की पहल के बाद अब इस मामले से परदा उठने की उम्मीद है.

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