मित्रों आप लोगों को सहारा के द्वारा किये गए और वर्तमान में भी किये जा रहे कुकृत्यों के बारे में भली भांति पता होगा. सहारा के लिए कोई भी नियम कानून का कोई मतलब नहीं है देश के सारे नियम कानून सहारा अपनी जेब में रखता है, इसीलिए कोई भी गलत कार्य करने में इसको कोई भी संकोच नहीं होता है। सहारा अपने आप को देश का सबसे बड़ा परिवार मानता है और सहारा श्री सुब्रत राय अपने आप को इस परिवार का अभिभावक होने पर गर्व महसूस करते हैं। लेकिन आज उसी अभिभावक के आदेश पर कर्मचारियों से जबर्दस्ती इस्तीफा लिखवाया जा रहा है, जो लोग इस्तीफा नहीं दे रहे है या तो उनके साथ मारपीट करके इस्तीफा लिया जा रहा है या तो टर्मिनेट किया जा रहा है।
सहारा द्वारा हाल ही में किये गए छंटनी से व्यक्तिगत तौर पर कितने लोगों को कितनी बड़ी क्षति हुई है शायद ही आपको मालूम होगा इस छंटनी की वजह से कई लोगों को हृदयाघात जैसी बीमारी हो गई. कई लोग जो कि बैंको से कर्ज लिए और अपना घर खरीदा है आज उन लोगों के सामने बेघर होने की समस्या है. कई कर्मचारियों ने जिन्होंने अपने बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराया है वो बच्चे अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ कर गांव जाने को मजबूर हैं जिससे उन मासूम बच्चों की लाइफ भी ख़राब हो सकती है। इससे साफ हो गया कि जो सहारा बाहर से दिखता है अन्दर वो नहीं है। अभी-अभी समाचार पत्रों में सहारा के द्वारा पीएफ में भी किये गए गड़बड़झाले के बारे में भी खबर छपी थी। सहारा में आज उन्हीं लोगों को चुन-चुन के बहार निकाला जा रहा है जो लोग ऑफिस में सिर्फ अपने काम से ही काम रखते हैं और अपने अधिकारियों की जी हुज़ूरी नहीं करते, जो लोग निरीह और सीधे हैं।
मित्रों मैं आप लोगों को सूचित करना चाहता हूँ कि सहारा के हाल के दिनों में पूरी तरह से गलत और असंवैधानिक तरीके से निकाले गए लोग 9 दिसम्बर को जंतर-मंतर पे आमरण-अनशन करने जा रहे हैं और शाम को कैंडल लाइट मार्च भी होगा। यह सहारा के द्वारा किये जा रहे अत्याचार के खिलाफ लड़ाई है। शायद अभी छंटनी बंद की गई है लेकिन चुनाव के बाद फिर से शुरू होने की सम्भावना है। जिन लोगों कि छंटनी नहीं हुई शायद वो लोग खुश हो रहे होंगे लेकिन ऐसा नहीं है हो सकता है कल आप की बारी हो, इसलिए इस अनशन को सफल बनाने के लिए आप सब लोग उपस्थित होने की कृपा करें। अत्याचार सहना अत्याचार करने के बराबर होता है, ये लड़ाई आर-पार की है अनशनकारियों कि प्राथमिकता ये रहेगी कि इस प्रकरण को संसद भवन में भी उठाया जाय।
अतः आप उन तमाम लोगों से आग्रह है कि जो लोग भी इस सहारा के द्वारा चलाये जा रहे दमन चक्र को गलत मानते हैं वो लोग 9 दिसंबर को जंतर-मंतर पर उपस्थिति होकर इस आमरण अनशन को नैतिक बल प्रदान करें।
सहारा मीडिया में कार्यरत रहे और छंटनी के शिकार हुए एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित