नई दिल्ली : सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय ने कारोबार के सिलसिले में विदेश जाने के लिये उच्चतम न्यायालय की अनुमति हेतु आज न्यायालय में एक अर्जी दायर की। न्यायालय ने निवेशकों का 20 हजार करोड़ रुपया लौटाने में विफल रहने के कारण सुब्रत राय के विदेश जाने पर रोक लगा रखी है। न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की खंडपीठ ने कहा कि इस अर्जी पर नौ जनवरी को मूल प्रकरण के साथ ही सुनवाई की जायेगी। न्यायालय नौ जनवरी को ही सहारा समूह की 20 हजार करोड़ रूपए की संपत्तियों के मालिकाना हक के दस्तावेज सेबी को सौंपे जाने से संबंधित प्रकरण पर सुनवाई करेगा।
सुब्रत राय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी ए सुन्दरम ने न्यायालय में कहा कि उनके मुवक्किल का विदेशों में कारोबार है और इसलिये उन्हें वहां जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राय तीन दिन के भीतर स्वदेश लौट आयेंगे। न्यायाधीशों ने सुन्दरम का पक्ष सुनने के बाद कहा कि इस अर्जी पर नौ जनवरी को विचार किया जायेगा। न्यायालय ने साथ ही सेबी से जानना चाहा है कि सहारा समूह ने संपत्तियों के किस तरह के विलेख उसे सौंपे हैं।
न्यायालय ने निवेशकों को 20 हजार करोड़ रूपए नहीं लौटाने के कारण सहारा समूह पर अपना शिंकजा कसते हुये पिछले साल 21 नवंबर को सुब्रत राय के विदेश जाने पर रोक लगा दी थी। न्यायालय ने समूह को अपनी कोई भी संपत्ति बेचने से भी रोक दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि विवादों से मुक्त 20 हजार करोड़ रूपए की सपंत्ति के मालिकाना हक के विलेख सेबी को सौंपने के उसके आदेश पर पूरी तरह अमल नहीं किया गया है। इसके साथ ही न्यायालय ने राय के साथ ही समूह के अन्य निदेशकों वंदना भार्गव, रवि शंकर दुबे और अशोक राय चौधरी के देश से बाहर जाने पर रोक लगा दी थी। (एजेंसी)