आखिर वही हुआ जिसके लिये कल भूमिका बनाई जा रही थी.. गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बयान दे ही दिया कि 'आतंकवादियों के मसीहा' अफजल गुरु की दया याचिका पर ध्यान दिया जाएगा। ग़ौरतलब है कि कल ही एक समाचार एजेंसी ने अफजल गुरु को मौत से बेखौफ़ बता कर महिमामंडित किया जा रहा था.. और आज ही शिंदे साहब ने बयान दे दिया।
कल जेल अधिकारी का बयान आईएएनएस समाचार एजेंसी ने जारी किया था तो आज ग़ह मंत्री का बयान पीटीआई के जरिये आया है। खास बात ये है कि शिंदे साहब ने किसी खास पत्रकार के सवाल पर ये जवाब दिया है और अफजल के साथ फांसी की सजा पाए छह और अपराधियों की सज़ा पर पुनर्विचार की बात की है।
दिलचस्प बात ये है कि कल जिस हिन्दुस्तान अखबार के पोर्टल ने अफजल को महिमामंडित करने वाली रिपोर्ट को सबसे पहले छापा था आज उसी पोर्टल ने इस खबर को भी सबसे पहले अपने यहां जगह दी है। अंग्रेजी अखबारों में भी जगह मिलने लगी है। आखिर केंद्रीय गृह मंत्री का बयान है, बड़ी एजेंसी से बड़ा प्रचार तो मिलना ही था।
मेरा ये मानना है कि ये साफ तौर पर आतंकवादियों से मिला हुआ एक तंत्र है जो मीडिया का उपयोग कर अफजल गुरु को बचाने की साजिश कर रहा है। क्या पता इस तंत्र में मीडिया और सरकार के कितने लोग शामिल हैं?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये आलेख उनके फेसबुक वाल से साभार लिया गया है। उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है।)