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आज, गया के पत्रकारों को 15 महीने से नहीं मिली सेलरी!

पटना से प्रकाशित होने वाले दैनिक आज के गया कार्यालय में पत्रकारों की हालत दयनीय हो गई है. उन्‍हें पिछले लगभग 15 महीने से मानदेय एवं वेतन नहीं मिला है. यहां काम करने वाले पत्रकार एवं अन्‍य कर्मचारी बुरी तरह परेशान हैं. कई बार परेशानियों से अवगत कराने के बाद भी प्रबंधन पत्रकारों के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाया हुआ है.

<p style="text-align: justify;">पटना से प्रकाशित होने वाले दैनिक आज के गया कार्यालय में पत्रकारों की हालत दयनीय हो गई है. उन्‍हें पिछले लगभग 15 महीने से मानदेय एवं वेतन नहीं मिला है. यहां काम करने वाले पत्रकार एवं अन्‍य कर्मचारी बुरी तरह परेशान हैं. कई बार परेशानियों से अवगत कराने के बाद भी प्रबंधन पत्रकारों के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाया हुआ है.</p> <p style="text-align: justify;" />

पटना से प्रकाशित होने वाले दैनिक आज के गया कार्यालय में पत्रकारों की हालत दयनीय हो गई है. उन्‍हें पिछले लगभग 15 महीने से मानदेय एवं वेतन नहीं मिला है. यहां काम करने वाले पत्रकार एवं अन्‍य कर्मचारी बुरी तरह परेशान हैं. कई बार परेशानियों से अवगत कराने के बाद भी प्रबंधन पत्रकारों के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाया हुआ है.

जानकारी के अनुसार गया जिले में एडिटोरियल में पांच लोग कार्यरत हैं. इसके अतिरिक्‍त कम्‍प्‍यूटर सेक्‍शन में भी कुछ कर्मचारी हैं. इन कर्मचारियों को लगातार काम करने के बावजूद इनका वेतन नहीं मिल रहा है. प्रबंधन को कई बार अपनी परेशानी बताने के बावजूद इनका मानदेय एवं सेलरी नहीं दी जा रही है. बहाने बनाए जा रहे हैं या फिर छोड़ कर चले जाने को कहा जा रहा है. पत्रकारों की मजबूरी समझ कर आज प्रबंधन उनका जमकर शोषण कर रहा है. दुर्भाग्‍य यह है कि इसके शिकार कार्यालय के प्रभारी एवं बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्‍यक्ष कमलेश कुमार सिंह खुद हैं. आसानी से समझा जा सकता है कि जब अध्‍यक्ष ही अपने हक की लड़ाई नहीं लड़ पा रहे हैं तो आम पत्रकारों की स्थिति कैसी होगी.

इस संदर्भ में पूछे जाने पर कमेलश कुमार सिंह ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. सेलरी समय से आ जाती है. इस बार केवल दो-तीन महीने से सेलरी नहीं आई है, लेकिन मैं अभी बाहर हूं हो सकता है सेलरी आ गई हो.

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0 Comments

  1. कमल शर्मा

    December 18, 2010 at 1:42 pm

    देश धन्‍य हो गया ऐसे नपुसंक पत्रकारों की वजह से। उठो, अपने हक की लडाई तो लड़ो। अपने आप को न्‍याय नहीं दिला सकते तो जमाने को क्‍या दिलाओगे। कमलेश जी आप जिस तरह की बातें कर रहे हैं, पहले या तो नौकरी छोडिए या फिर संघ का अध्‍यक्ष पद। यह भी कहते शर्म आनी चाहिए कि दो-तीन महीने से सेलेरी नहीं आई है। आपका घर कुछ और जुगाड़ से चल जाता होगा लेकिन बाकी स्‍टॉफ का तो ख्‍याल करो। आज वालों के पास पैसे की कोई कमी नहीं है, जमीन जायदाद खूब है। बैंड बजा दो, उठो और ईट से ईट ठोंक डालो इनकी। वैसे सही है नपुंसक कभी आंदोलनकारी नहीं हो सकते।

  2. madan kumar tiwary

    December 18, 2010 at 4:39 pm

    धन्यवाद पत्रकारों की आवाज उठाने के लिये। अभी और भी शोषण हो रहा है चैनलों के प्रबंधको द्वारा। स्थानीय स्टिंगर बनना है तो पटना में बैठे चैनल प्रभारी को दारु मुर्गे की पार्टी और ५-१५ हजार रुपये दो । उसके बाद चैनल का लोगो युक्त मुह मे घुसाने वाला माईक तथा कैमरा खरीद लो फ़िर किंग गोबरा स्टाईल में जिंस पैंट शार्ट शर्ट पहन कर जहा -जहा से उगाही की संभवना नजर आ रही हो पहुंच जाओ । महिने में १०-३० हजार की कमाई रखी हुई है। यह अलग बात है की मुह पिछे सभी लोग किंग गोबरा की मा या बहन से हीं रिश्ता जोडते नजर आते हैं। यानी किंग गोबरा पैसा लेकर हटा नही की ले दना दन लोग गाली देने लगते हैं।

  3. jagjit dhanju

    December 19, 2010 at 2:00 am

    अरे भाई पंजाब में तो शायद ही कोई ऐसा समाचार पत्र हो जिस ने अपने जिलो के इंचार्ज पत्रकारो को छोड़ किसी पत्रकारो को वेतन तो दूर महीने भर में आया खर्च भी कभी अदा किया हो बलकि उल्टा साल में कई बार सप्लीमेंट के नाम प़र लोगो से पेसे इकठे करने को कहते है जो जाते है मालिको की जेब में और बदनाम होते है पत्रकार
    सों हम तो कहेगे जागो पत्रकार भाईयो ऐसे सस्थानो के साथ काम करना बंद करो जो आप के काम की महिनत ना देकर आप को लोगो से सप्लीमेंट के नाम प़र वसूली करवा पत्रकर्ता के पवित्र काम को बदनाम करवा रहे है और किसी भी मीडिया सस्थान में काम करने के लिए सस्थान से बनते पेसे लो ना की लोगो से

  4. RAJESH SIDHANA

    December 19, 2010 at 12:16 pm

    AAWAZ DOOOOOOOO ” HUM EK HAI” SABHI PATARKAAR/ REPORTERS “EK BANNER THALAI AAO” MY BEST WISHES FOR ALL OF STAFF.

  5. varun sharma

    December 21, 2010 at 9:01 am

    aare yaar is tra k paper ko to band he kar dena chahiye.office mai baith kar baate karne walo ko kya pta k journlist kya hote hai or jab journlist virood karne per utre to kya kya ho jayega.abi tak to hum likh k paadte hai nai to…………..sabi ko ikatha hone ki jrurt hai abi.tbi koi humari takat ko samjega.

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