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हलचल

आई कैन नाट स्पीक इन हिंदी : चिदंबरम

गज़ब है. इस देश के गृह मंत्री पी. चिदंबरम कहते हैं कि वो हिंदी में नहीं बोल सकते. यह बात वह तब कहते हैं जब उनसे हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार अनुरोध करते हैं कि कृपया वे अपनी कुछ बात हिंदी में भी रख दें, कह दें, बोल दें. जम्मू से आ रही खबर के मुताबिक गृह मंत्री पी. चिदंबरम आज जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचे थे. जम्मू में उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया.

<p align="justify">गज़ब है. इस देश के गृह मंत्री पी. चिदंबरम कहते हैं कि वो हिंदी में नहीं बोल सकते. यह बात वह तब कहते हैं जब उनसे हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार अनुरोध करते हैं कि कृपया वे अपनी कुछ बात हिंदी में भी रख दें, कह दें, बोल दें. जम्मू से आ रही खबर के मुताबिक गृह मंत्री पी. चिदंबरम आज जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचे थे. जम्मू में उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया. </p>

गज़ब है. इस देश के गृह मंत्री पी. चिदंबरम कहते हैं कि वो हिंदी में नहीं बोल सकते. यह बात वह तब कहते हैं जब उनसे हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार अनुरोध करते हैं कि कृपया वे अपनी कुछ बात हिंदी में भी रख दें, कह दें, बोल दें. जम्मू से आ रही खबर के मुताबिक गृह मंत्री पी. चिदंबरम आज जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचे थे. जम्मू में उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया.

करीब ढाई दशक से पत्रकारिता में सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार हरबंस नागौके, जो इन दिनों ‘मार्निंग ग्लोरी’ अखबार के एडिटर हैं और ‘जेके चैनल’ के ग्रुप एडिटर हैं, ने गृह मंत्री पी. चिदंबरम से कहा कि वे कुछ सवालों के जवाब हिंदी में दे दें तो चिदंबरम का स्पष्ट जवाब था- ‘आई कैन नाट स्पीक इन हिंदी.’

हरबंस नागौके के बाद कई अन्य अखबारों व चैनलों के पत्रकारों ने भी चिदंबरम से अनुरोध किया कि वे कुछ सवालों के जवाब हिंदी में दे दें तो चिदंबरम पूरी तरह से इनकार करते हुए फिर बोले- ‘आई कैन नाट स्पीक इन हिंदी.’

जाहिर है, वे हिंदी में पूछे गए सवाल तो खूब अच्छी तरह समझ रहे थे, पर हिंदी में कुछ वाक्य कहने के अनुरोध को नहीं स्वीकार सके. पता नहीं, उन पर किसका दबाव है. हालांकि वे जिस कांग्रेस पार्टी के नेता हैं, उसमें मैडम सोनिया गांधी और पीएम मनमोहन सिंह हिंदी बोलने से गुरेज नहीं करते पर देश के गृह मंत्री पी. चिदंबरम हिंदी बोलने से परहेज करते हैं.

क्या कहा जाए इसे?

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0 Comments

  1. mritunjay pathak

    February 17, 2010 at 5:37 pm

    p chidambaram hindi me bolkar home ministery ki bifalta ko ujagar karna nahi chahte hai.

  2. rahul

    February 17, 2010 at 6:19 pm

    क्या ऐसे लोगो को किसी पद का हक है जो देश की राष्ट्रिय भाषा ना जानते हुए भी राज करना चाह्ते है? बात भाषा की भी नही, बात मानसिकता की है, चिदम्बरम की मनसिकता ठीक ऐसी ही है जैसी उन्होने बयान की

  3. pawan

    February 18, 2010 at 2:43 am

    How can u blame P. Chidambaram. …. Do you know Tamil , Telgu aur Malayalam… if u don’t know ..how can u blame ….. anyone cant impose such obligations … and its time we should understand and respect others right as well and stop posting such items

  4. SK Upadhyay

    February 18, 2010 at 4:49 am

    Illiteracy Yani gyan ka abhav . Ye Hindustan ka durbhagya aur itni azadi yhai par hai ki Jis mahanubhav ko apni matra bhasha ka hi gyan nahi wo hamar grahmantri hai. jo is desh ki bhasha ko hi samajh pate wo is desh ke logo ko jya samjhege

  5. sheetal

    February 18, 2010 at 4:56 am

    [b]Its very shameless statement that the home minister of India cant speak Hindi.
    Only wearing Indian outfits doesn’t shows that You are an True Indian ! He should stop wearing Indian clothes, he should wear some Funky dresses .. Why he show his fake Attitude to peoples .. and he should take Hindi Classes.. and Mr Home Minister My name is Sheetal and i am not your Enemy ;D8)[/b]

  6. ajay jain

    February 18, 2010 at 8:48 am

    kya yah hindi ka apaman nahi hai.aise mantriyo ko pad se hata dena chahiye jo hindi nahi janane ki bat kahate hai.

  7. jeet

    February 18, 2010 at 9:04 am

    ab kya laagta h. ke yaaha paar bhe hindi k leya kese raj thakra ko jaanam laana hoga

  8. Hanuman Mishrra

    February 18, 2010 at 9:32 am

    ऊपर एक सज्जन ने कमेन्ट करते हुए अन्य कमेन्ट करने वालों को अंग्रेजी में डांट लगायी है। उनसे मुझे कोई शिकायत नहीं है, ये उनके अपने विचार और मनोभाव थे जो उन्होंने व्यक्त किये। देश के गृह मंत्री के प्रति जो उनकी भावनाएं है मैं उनकी क़द्र करता हूँ। ऐसी भावनाएं एक राष्ट्रभक्त की ही हो सकती हैं लेकिन……लेकिन……अन्य लोगों के सुझाव भी स्वागत योग्य हैं उन्होंने जो भी कहा है शतप्रतिशत उचित है। गृह मंत्री अर्थात होम मिनिस्टर के शुरू में जो ‘होम’ शब्द है हिंदी में उसे ‘घर’ कहते हैं घर का जो मंत्री है, घर का जो स्वामी है उसे घर की भाषा न आये तो इसे आप क्या कहेंगे…..। मैं उनकी योग्यता या कार्य कुशलता पर उंगली नहीं उठा रहा हूँ, बस केवल इतना कहना चाहता हूँ की जब दूर देश से आई एक हिंदी से अनभिज्ञ महिला देश की जनता की खातिर हिंदी सीख सकती है, हिंदी बोल सकती है तो क्या हमारे गृह मंत्री अर्थात होम मिनिस्टर जी ऐसा नहीं कर सकते? उत्तर आप भी जानते होंगे, कर सकते है, तो फिर करते क्यों नहीं? ये सबाल अकेले मेरे ही नहीं बहुत सरे लोगो के मन में उठ सकता है और आप को पता होगा जब बहुत सरे लोग एक साथ मिल जाते है तो वे समूहवाचक संज्ञा अर्थात ‘जनता’ कहलाते हैं और महोदय! जनता जनार्दन कहलाती है इसलिए मेरे लिए न सही जनता जनार्दन के लिए हमारे गृह मंत्री अर्थात होम मिनिस्टर जी को हिंदी बोलनी चाहिए। आपने कुछ अन्य प्रांतीय भाषाओं का नाम लेते हुए कहा है कि हमें तमिल, तेलगु और मलयालम क्यों नहीं आती तो महोदय निवेदन करना चाहूँगा ये सभी प्रांतीय भाषाएँ हैं जरूरी नहीं कि प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक प्रांतीय भाषा का ज्ञान रखे परन्तु राष्ट्र भाषा का ज्ञान राष्ट्र प्रत्येक नागरिक को होना चाहिए खास कर ऐसे व्यक्तियों को तो जरूर होना चाहिए जो देश चला रहें हों, अतः देश की जनता की भावनाओ को धन में रखते हुए माननीय गृह मंत्री जी को कभी-कभी हिंदी बोलनी चाहिए।

  9. jitendra jeevant

    February 18, 2010 at 9:42 am

    home minister saab desh ki rajbhasha ke pradhan hoten hai aur ve acchi tarah se janten hai ki desh ki raj bhasha hindi hai. unka sandesh hindi me sign karke 14 september hindi diwas ko niklata rahta hai aise me hindi nahi bolna dohare charitra ka parichayak hai. Chindambam ji ko janan chaahihe ki is desh me pradhan mantri ban ne per hindi bolni padti hai haan we vitta mantralaya aur griha mantralya se khush hain to koi baat nahi per5 agar unhe upar jana hai to hindi apna na hi hoga jai hind jai hindi

  10. Surender Sharma

    February 18, 2010 at 10:32 am

    yh jankar dukh hi hota h ki hindi jaisi aasan aur sundar bhasa desh ke grah mantri ko nai aati. asal me aisa ho hi nai sakta ki unhe yah bhasa n aati ho. Hindi to unhe aati hi hogi lekin bolne me sharm mahsus hoti hogi.. jis desh ke home minister banne me unhe koi aitraj nahi h us desh ki rastra bhasa bolne me unhe aitraj ho sakta h..lekin yah galat h aur unhe yah karne ka koi haq nahi h….

  11. Satish Pranami

    February 18, 2010 at 12:45 pm

    ise hindi ka apmaan nahi kahenge to aur kya kahenge ki ek taraf to sarkar hindi me kaam karne, bolne ke liye abhiyan chalati hai. doosari taraf wo hi abhiyan chalane wale hindi me baat karne se gurez karte hai. badi sharam ki baat hai.
    Satish Pranami, Meerut

  12. purushottam kumar singh

    February 18, 2010 at 5:32 pm

    yaswant daa,l
    chidambaram ke hindi nahi bolne par hangama kiun ho raha main samjh nahi pa raha . jab ki kai hindi chhanel main logon ko hindi nahi aati aur wo log hindi main anchoring katr EHain .SEETAL ne ise same phul kaha hai , jo behad dukhdai hai ,itna to samjho yaaron ki chidambram ne ranga siyar banne ki kosis nahi ki na hi hindi ki ma behan karne ki kosis ki jo DELHI KA HAR AAM AUR KHAS HINDI BOLNE KE NAAM PAR KAR RAHA HAI. yaswant da jaruri nahi hai hai ki bharat ki matribhasa hame aaye hi balki jaruri ye hai ki hum baharatye banne ki kosis karen.yanha log bharat ki raastyE bahsa ko lekar makhul banane ki kosis kar rahe hain YASWANT DA YAKIN MANYE YE TAMAM LOG APNE BACHON KO ENGLISH MEDIUM KE SCHOOL ME PADHNE KE SAPNE SNJOTE HONGE.. MAAN TO HAI KI IS PER EK LEKH HI LIKH DU LEKIN ZAAKHM ABHI DARD KE INTHA PAR NAHI GAYA HAI IS LIYE BAAS ITNA HI.

  13. pushpajha

    February 19, 2010 at 9:55 am

    हिन्दी -गानों की भाषा,
    किसानों की भाषा
    विद्वानों की भाषा
    हिन्दी हिन्दुस्तानियों की भाषा
    तो चलो आज हम कसम खाये और
    हिन्दी को ही अपनी शान बनाए
    जय हिंद जय हिन्दी

    उम्मीद है की मंत्रीजी भी हमारे इस अभियान में
    हमारा साथ देंगे और आगे हिन्दी बोलने से कभी
    उन्हें परहेज नही होगी
    पुष्प झा ;D:)

  14. Daulat

    February 20, 2010 at 7:08 am

    हिंदी को लेकर बार बार इस तरह की बहस दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि इस तरह की बहस से हिंदी की ही हिंदी होती है अौर जिम्मेदार होते हैं, हिंदी का आग्रह करने वाले। जब हमें पता है कि चिदंबरम एक एेसे राज्य से आते हैं जहां हिंदी नहीं बोली जाती। हमारे कई नेता तो एेसे हैं जो हिंदी जानते हुए अपने प्रांत की भाषा सिर्फ इसलिए बोलते हैं ताकि उस राज्य के भाषाभाषी वोटर खुश हों। चिदंबरम से बड़ा अपमान तो वे करते हैं, हिंदी का। लेकिन किसी पत्रकार की उनसे हिंदी में जवाब मांगने की हिम्मत नहीं होती। इसीलिए यह पूरी बहस ही निरर्थक अौर सारहीन है। भरात विविधताअो वाला देश है अौर अनेकता में एकता इसकी पहचान है, यह बात हम सभी बड़े गर्व के साथ कहते हैं, बावजूद इसके जब-तब हिंदी में बोलने की बात को छेड़ कर हम कम से कम हिंदी अौर िहदुस्तान का हित तो नहीं करते।

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