कोर्ट ने पीटीआई से कहा – नीरज भूषण को काम पर रखो और पूरे पैसे दो

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नीरज भूषण
नीरज भूषण
पीटीआई के पूर्व पत्रकार नीरज भूषण को बर्खास्‍त करने के मामले को कोर्ट ने अवैध एवं अन्‍यायपूर्ण माना है. कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए पीटीआई को निर्देश दिया है कि नीरज को न सिर्फ नौकरी ज्‍वाइन कराई जाय बल्कि बर्खास्‍तगी की तिथि 23 अप्रैल 2003 से अब तक की पूरी बकाया धनराशि प्रदान की जाए.

गौरतलब है कि पीटीआई में कार्य करने के दौरान नीरज भूषण कर्मचारी यूनियन के जनरल सेक्रेटरी थे. कर्मचारियों के हितों को लेकर इनका अक्‍सर प्रबंधन से टकराव होता रहता था. प्रबंधन ने इनपर आठ आरोप लगाकर 23 अप्रैल 2003 को डिसमिस कर दिया. सभी आरोप यूनियन से जुड़े मसलों पर लगाया गया. कोर्ट में यह साबित हुआ कि नीरज भूषण एक कर्मचारी के रूप में पीटीआई के लिए कभी परेशानी का कारण नहीं बने. अपने निर्गत कार्यों के प्रति वे हमेशा सजग रहे.

कोर्ट ने माना कि नीरज भूषण के उपर जो आरोप लगाए गए हैं, उसमें किसी भी मामले में पीटीआई आरोप साबित कर पाने में सफल नहीं हो सकी है. लिहाजा कोर्ट ने इस पूरी कार्रवाई को अवैध एवं अन्‍यायपूर्ण बताते हुए नीरज भूषण को वापस जॉब पर रखने तथा बर्खास्‍तगी के समय तक का पूरा पैसा देने का निर्देश दिया है.

नीरज भूषण पीटीआई के अलावा टाइम्‍स ऑफ  इंडिया, हिंदुस्‍तान टाइम्‍स के साथ भी लंबे समय तक कार्यरत रहे. कई न्‍यूज चैनलों के साथ जुड़े रहे. कर्मचारी मुद्दों पर हमेशा संघर्ष को तैयार नीरज भूषण को इसी की कीमत चुकानी पड़ी थी. उन्‍होंने हार न मानते हुए अन्‍याय के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखी.

कोर्ट द्वारा पीटीआई को दिया गया आदेश : “Accordingly, it is held that Management has failed to prove the allegations against the workman leveled vide chargesheet EX.WW1/6, and so, has failed to prove misconduct on the part of the workman. Dismissal of the workman by the Management vide order dated 23.4.2003, was both illegal and unjustified. The workman is entitled to reinstatement to his job with continuity of service and full back wages from the date of his dismissal i.e. 23.4.2003 till his reinstatement. Award made accordingly.”

पीटीआई द्वारा नीरज भूषण पर लगाए गए आरोप : Charge no.1 relates to instigation to wives of the staff members and outsiders to make criminal trespass on 22.10.2002. Charge no. 2 relates to unauthorized absence from duty w.e.f. 23.10.2002 onwards. Charge no. 3 relates to making baseless and wild allegations against Sr. Manager (Administration) undermining the interests of the organization. Charge no.4 relates to a letter got written to the General Manager on October 28, 2002 from All India General Mazdoor Trade Union, New Delhi. Charge no.5 relates to going to various departments of the Management organization on 31.10.2002, asking the employees to participate in ‘halla bol’ rally starting 1.00 p.m. on 01.11.2002. Charge no.6 relates to inciting the workers to indulge in violence. Charge no.7 relates to intending to intimidate the Company’s Directors on 26.11.2002, threatening to hold dharnas at their offices. Charge no. 8 relates to putting up banner, demonstrating and blocking the side gate of the PTI building on November 22, 2002.

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Comments on “कोर्ट ने पीटीआई से कहा – नीरज भूषण को काम पर रखो और पूरे पैसे दो

  • मदन कुमार तिवारी says:

    एक स्वागतयोग्य फ़ैसला। देर तो लगती है लेकिन हक की लडाई लडोगे तो जित मिलेगी .

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  • I know Mr Neeraj since my academic days.. He is a charismatic person & a fighter. He has been a inspiration for many of us.. I am glad to hear this news..

    Good Luck sir..

    Regards,
    Gaurav Prakash

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  • pti ke dhukhi karamchari says:

    एशिया की सबसे बडी न्यूज एजेंसी पी.टी.आई. के इतिहास में शायद पहली बार कोई एक पत्रकार लेबर कोर्ट से आठ साल के कडे. कानूनी संघ्रर्ष के बाद मैनेजमेंट से जंग को जीत गया है.
    www. neerajbhushan.com के प्रणेता और न्यूज एजेंसी में प्रशासन और प्रो-मैनेजमेंट फेडरेश्न के सुकर्मों का नित चिट्ठा रोज खोल रहे नीरज भूषण को देहली की लेबर कोर्ट ने उनके पुन: नियुक्ति के आदेश दिए हैं. प्रो-मैनेजमेंट फेडरेशन के नेताओं एम.एस. याद्ब और राकेश पाठ्क को आज ये एक “तोफा” है. और मैनेजमेंट की तिकडी के मुंह पर हल्का सा दुलार है कि उनकी गोदी में बैठे ये फेडरेशन के नेता-पुत्र कभी भी एजेंसी को डुबो कर भाग खडे. होंगे. और उन्हें लावारिस छोड. जायेंगे. सभी मेहनती पत्रकारों को होली की बधाई. — ह्म हैं एजेंसी के दुखी पत्रकार .

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  • kai karmchari says:

    भाई होली से पह्ले ही आपने पीटीआई के हार्ड कोर कर्प्ट नेताओं और उनके गुलाम मैनेजरों और टोप प्रशासन पर “काला” रंग बनाम कालिख पोत दी. होली है..होली है. बुरा मानों होली है.— पीडि.त और शोषित पत्रकार, उत्तर प्रदेश, छतिसगड.

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  • pti sources says:

    सुना है आप के लौट्ने से पहले एक और सबसे टाप नेता पीटीआई छोड. कर मैरिज गार्ड्न खोलना चाह रहा है. संवाद समिति के लोगों के बच्चों की शादियों में भारी रियायत देगा. है ना होली पर गंभीर मजाक, पर हो सकता है ये अगली होली से पह्ले सच्च हो. होली पर काश ये रंग अपना रंग ले ले.
    — खुफिया कर्मचारी.

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