सेंट्रल एक्ससाइज की यह खबर पीपुल्स समाचार में एक्सक्लूसिव थी. अगले दिन पीपुल्स समाचार, इंदौर ने इस खबर का फॉलोअप भी सेंट्रल डेस्क भोपाल को भेजा. प्रकाशित और अप्रकाशित दोनों खबरें देखकर पता नहीं क्यों एनके सिंह भिन्ना उठे. उन्होंने इंदौर का स्थानीय संपादक होने के नाते मुझे एक कड़ा मेल भेजा. इस मेल में उन्होंने मनगढ़ंत तथ्य प्रस्तुत करते हुए लिखा कि गारमेंट उत्पादक और एक्साइज डिपार्टमेंट इस रेड के बारे में ऑफिशियली डिनाय कर रहे हैं. उन्होंने लिखा कि यदि छापे की खबर उन्हें या सेंट्रल डेस्क भोपाल को दिखाई जाती तो वे उसकी हत्या कर देते. एनके सिंह ने मेल में पत्रकारिता के उच्च मापदंडों को लेकर कई प्रवचन दे डाले.
मेरे द्वारा बार-बार यह बताने पर कि एक्साइज डिपार्टमेंट ने किसी तरह का खंडन जारी नहीं किया है, एनके सिंह नहीं माने. पीपुल्स समाचार, इंदौर ने मन मसोसकर छापे के फॉलोअप की खबर रोकी. अगले दिन शहर के दो प्रमुख दैनिक समाचार पत्र ‘दैनिक भास्कर’ और ‘पत्रिका’ ने छापे की खबर को प्रमुखता से छापा और अगले चार-पांच दिनों तक इस खबर का फॉलोअप भी छापते रहे. दैनिक भास्कर, इंदौर संस्करण ने 31 अगस्त को ‘कार्रवाई का नाम कमाई पर ध्यान’, 1 सितम्बर को ‘लीपापोती की कोशिश’, 2 सितम्बर को ‘कारनामे की गूंज दूर तक पहुंची’, 3 सितम्बर को ‘डकार रहे करोड़ों का कर, लाखों कर रहे न्यौछावर’ तथा पत्रिका, इंदौर संस्करण ने 1 सितम्बर को ‘छापे पर पर्दे के लिए बैठक’, 2 सितम्बर को ‘लौटाई रिश्वत, व्यापारी खामोश’, 3 सितम्बर को ‘एक तिहाई कारोबार ही बिलिंग से’ शीर्षक से खबरें प्रकाशित कीं. शहर में यह चर्चा का विषय रह जिस समाचार पत्र ने इस छापे की कार्रवाई की खबर को प्रमुखता से छापा वह अगले दिन मौन क्यों हो गया?
सच्ची खबर को रोककर अपना बखान बघारा था एनके सिंह ने : एनके सिंह ने 31 अगस्त को वन विभाग के एक अधिकारी की खबर को भी रोकते हुए पत्रकारिता का पाठ पढ़ाया था. इस खबर में संवाददाता ने बताया था कि वन विभाग के एक अधिकारी अपने मातहत अधिकारी-कर्मचारियों को अलग-अलग कलर के नोटिस देते हैं. नोटिस की इस रंगबिरंगी कार्रवाई पर संवाददाता ने यूनियन के पदाधिकारी के वर्जन सहित खबर भेजी थी, लेकिन दंभी एनके सिंह ने इस खबर की भी हत्या कर दी और उल्टा स्वस्थ पत्रकारिता करने का पाठ पढ़ा दिया.
धमकाया था एनके सिंह ने : अच्छी और प्रमाणित खबरें रोकना एनके सिंह की पुरानी आदत है. इंदौर संस्करण ने 30 सितम्बर को रसोई गैस पर आधारित एक अच्छी खबर सेंट्रल डेस्क भोपाल को भेजी. खबर का लब्बोलुआब यह था कि केंद्र सरकार रसोई गैस टंकियों पर दी जाने वाली सबसिडी अब उपभोक्ताओं से वसूलेगी और बाद में उन्हें लौटाएगी. इंदौर संस्करण ने शाम को एनके सिंह से बातचीत के बाद यह खबर सेंट्रल डेस्क भोपाल को भेजी. सेंट्रल डेस्क ने इस खबर को फर्स्ट एडिशन (अपकंट्री एडीशन) में पहले पेज पर छापा. रात 09.30 बजे एनके सिंह ने मुझे फोन करके कहा कि उनके सोर्स इस खबर को कनफर्म नहीं कर रहे हैं, यदि यह खबर गलत हुई तो आपकी नौकरी जाएगी. मैंने ने उन्हें बताया कि खबर के पक्ष में दो वर्जन अटैच है, लेकिन वे अड़े रहे कि कोई कनफर्म नहीं कर रहा है. अंतत: यह खबर सिटी एडिशन में भी छपी. अगले दिन मैं ने प्रमुख गैस कंपनी के उच्च अधिकारी से बातचीत करके खबर की पुष्टि की. तब एनके सिंह ने कहा- नाइस स्टोरी.
लेखक प्रवीण खारीवाल पीपुल्स समाचार, इंदौर के स्थानीय संपादक रहे हैं. वे कई अखबारों में वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं. इन दिनों वे इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष हैं. इनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.
Besura
October 11, 2011 at 2:40 pm
सौ प्रतिशत सही कहा आपने, प्रवीण भाई आपने| छद्म वेशधारी जोड़-तोड़ करके जीवन भर नौकरी हथियाने और दलाली करनेवाले इस कथित वरिष्ट पत्रकार को इसी तरह से आप बेनकाब करते रहे
vishal sharma
October 12, 2011 at 3:14 am
vishal sharma, indore
yaswant singh ji………….
kya aap praveen khariwal ko jante ho……..he is sabse bara dalal in indore press club.aap bhi is dalal ki bate apni site pe dalte ho…pehele aap puri enquiry ker ke hi koi topic dale…
praveen is too fraud and dalal.uski sari bate indore ko malum hai….
n.k singh to experience and senior editor hai……we dalal logo ko avoid kerte hai, isleye praveen n.k singh ji per aarop laga raha hai…..
hence kripaya praveen ki bato ko apani site pe lane se pehele uski enquiry karwa lete…………
praveen dalal ki bate bar bar show ker ke aap apeni site ko bhi dalal site ka adda bana rahe ho.
पंडित जी
October 12, 2011 at 8:09 pm
विशाल शर्मा जी इंदौर वाले, भाषा से तो नहीं लगता कि आप पत्रकार हो। क्योंकि आप जैसा हिंदी और अंग्रेजी को लपेटकर लिखने वाला अगर मीडिया में है तो यह शर्मनाक है।
प्रवीण जी क्या हैं ये तो मालूम नहीं लेकिन आप एन के सिंह के दलाल हैं, ये जरूर मालूम है।जरा अपनी हिंदी पर ध्यान दें। एन के सिंह से हिंदी सीख लो, उसके बाद कमेंट लिखना।:D;D
पत्रकार
October 13, 2011 at 8:27 am
आदरणीय पंडित जी, श्री एन के सिंह (भोपाल वाले) को न तो हिंदी तरीके से आती है और न ही अंग्रेजी इसलिए श्री विशाल शर्मा, इंदौर वाले जैसा लिखनेवाले शिष्य उन्ही के हो सकते है
pro
October 19, 2011 at 11:32 am
सच तो ये है कि जब से अवधेश बजाज जी पीपुल्स से गए हैं.. तब से संस्थान का बट्टा बैठना शुरू हो गया है.. और एन के सिंह आने के बाद सर्कुलेशन का जो हाल है.. वो उनकी इसी दलाली वाले तेवरों की वजह से है…