द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वीडन के सर्वश्रेष्ठ कवि टॉमस ट्रांसटोमर को वर्ष 2011 के साहित्य के प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। उन्हें अपनी कविताओं में लोकोत्तर घनीभूत छवियों का चित्रण करके यथार्थ को नया आयाम देने के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया। संक्षिप्त, सटीक, मर्मस्पर्शी एवं पैनी उपमाएं उनकी रचनाओं की खास विशेषता है।
पेशे से मनोवैज्ञानिक 80 वर्षीय कवि ट्रांसटोमर ने अपनी रचनाओं में मनुष्य के अंतर्मन और परालौकिक अनुभवों का विश्लेषण किया। पिछले 30 से भी ज्यादा वर्षों के बाद नोबेल पुरस्कार इसे देने वाले देश के व्यक्ति को मिला है। इससे पहले 1974 में स्वीडन के हैरी मैरिन्सन और आईविंड को संयुक्त रूप से यह पुरस्कार मिला था।
हाल के वर्षों में 1.5 मिलियन डॉलर की इनामी राशि वाले पुरस्कार के लिए ट्रांसटोमर का नाम हर किसी की जुबान पर था। स्वीडिश अकादमी के स्थायी सचिव पीटर ने बताया कि ट्रांसटोमर ने यह सुखद समाचार अपने अंदाज में लिया। स्वीडिश टेलीविजन ने पीटर के हवाले से कहा कि मुझे लगा कि समाचार सुनकर वह आश्चर्यचकित रह गए। वह आराम से बैठकर संगीत का आनंद ले रहे थे। उन्होंने कहा कि यह समाचार बहुत अच्छा है। ट्रांसटोमर को 1990 में पक्षाघात हुआ था, जिससे उनके आधे शरीर ने काम करना बंद कर दिया था और वह बोलने में भी असमर्थ हो गए थे।
बावजूद इसके उन्होंने लिखना जारी रखा और वर्ष 2004 में अपने विचारों को कविता के रूप में ढालकर अपना बेहतरीन संकलन ‘द ग्रेट इनिग्मा’ लांच किया। ट्रांसटोमर की रचनाओं का 50 से अधिक भाषाओं में अनुवाद हुआ है, जिसने विश्व भर में अपनी अतुलनीय लेखनी की छाप छोड़ी है। ट्रांसटोमर की सर्वश्रेष्ठ कृतियों में 1966 की विंडोज एंड स्टोन और 1974 की बाल्टिक्स है। इस साल की शुरुआत में ट्रांसटोमर के स्वीडिश पब्लिशिंग हाऊस बोनीयर्स ने टॉमस के 80वें जन्मदिन पर 1954 से 2004 तक की उनकी रचनाओं का संकलन रिलीज किया।
जीवन परिचय :– 15 अप्रैल 1931 में स्टाकहोम में जन्मे ट्रांसटोमर के माता-पिता का तलाक हो गया था। तब वह काफी छोटे थे। उनकी मां टीचर जबकि पिता पत्रकार थे। स्टाकहोम के सोड्रा लैटिन स्कूल में पढ़ाई करने के दौरान उन्होंने कविताएं लिखना शुरू किया और सेवेंटीन पोयम के नाम से 23 वर्ष की उम्र में अपना पहला संकलन लांच किया। वर्ष 1958 में उन्होंने स्टाकहोम यूनिवर्सिटी से मनोविज्ञान की डिग्री प्राप्त की और बाद में अधिकतर समय कविताएं लिखते हुए और मनोवैज्ञानिक के तौर पर काम करते हुए बिताया।
अपनी कविताओं में लोकोत्तर घनीभूत छवियों का चित्रण करके यथार्थ को नया आयाम देने के लिए ट्रांसटोमर को इस साल का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया जा रहा है। साभार : अमर उजाला