पत्रकार शिवानी भटनागर हत्‍याकांड : हाई कोर्ट में आज सुनाया जाएगा फैसला

Spread the love

: सन 1999 में हुई थी हत्‍या : पूर्व आईपीएस आरके शर्मा समेत चार को निचली अदालत ने पाया था दोषी : शिवानी भटनागर मर्डर केस में हाई कोर्ट बुधवार को फैसला सुनाएगा। इस मामले में दोषियों की अपील पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पिछले साल 21 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

हाई कोर्ट में चुनौती : 23 जनवरी, 1999 को पत्रकार शिवानी भटनागर की हत्या की गई थी। पुलिस के मुताबिक पूर्व आईपीएस आरके शर्मा की शिवानी से नजदीकी थी। बाद में वह उनसे पीछा छुड़ाना चाहता था और इसी कारण उसने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर शिवानी की हत्या करवा दी। इस मामले में शर्मा के अलावा, श्रीभगवान, प्रदीप शर्मा और सत्य प्रकाश को निचली अदालत ने दोषी माना था। निचली अदालत ने शर्मा सहित चार को 24 मार्च, 2008 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ दोषियों ने हाई कोर्ट में अपील की।

सरकारी वकील की दलील : हाई कोर्ट में अपील पर सुनवाई के दौरान सरकारी वकील पवन शर्मा की दलील थी कि तमाम साक्ष्यों से यह जाहिर होता है कि पूर्व आईपीएस आरके शर्मा के पत्रकार शिवानी ने नजदीकी संबंध थे। लेकिन बाद में कड़वाहट आ गई। शिवानी से पीछा छुड़ाने के लिए शर्मा ने अन्य आरोपियों से संपर्क किया और एक साजिश रची। तमाम गवाहों के बयान सरकारी वकील ने पेश किए। 13 जनवरी, 1999 को तमाम आरोपियों ने एक दूसरे से मुलाकात की और अपनी योजना को अंजाम देने के लिए अंतिम रूप दिया। फिर 23 जनवरी को प्लान के मुताबिक हत्याकांड को अंजाम दिया गया। वारदात के बाद श्रीभगवान, सत्यप्रकाश और प्रदीप 24 जनवरी को मुंबई के मिलन होटल में रुके और वहां से आरके शर्मा और टैक्सी ड्राइवर को फोन किया। पवन शर्मा ने होटल के कर्मचारियों के बयान व कॉल डिटेल भी पेश किए।

बचाव पक्ष की दलील : पूर्व आईपीएस आरके शर्मा की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि इस मामले में उनके खिलाफ जिस कॉल डिटेल को सबूत माना गया है वह बनावटी है और उसमें कोई सच्चाई नहीं है। इस मामले में वह षड्यंत्र में शामिल नहीं हैं और इसके लिए कोई सबूत भी पेश नहीं किया गया है। दूसरे मुजरिम प्रदीप शर्मा की ओर से पेश वकील डीबी गोस्वामी ने दलील दी थी कि इस मामले में प्रदीप शर्मा को फंसाया गया है, जबकि असलियत यह है कि प्रदीप के खिलाफ कोई मकसद भी साबित नहीं हुआ है। इस मामले में पुलिस ने शिवानी के घर से जो चांस प्रिंट उठाए हैं, वे भी बनावटी हैं, क्योंकि गिरफ्तारी से पहले ही पुलिस ने प्रदीप को थाने में पूछताछ के लिए भी बुलाया था। दोनों पक्षों की दलील के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। साभार : एनबीटी

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *